होमियोपैथी दवा और चिकित्सकों को सरकारी प्रोत्साहन की दरकार
बिहार में सरकार की गलत नीतियों के कारण होमियोपैथी चिकित्सा पर बुरा प्रभाव पड़ा है। दवाओं की सप्लाई चेन टूट गई है और 30 एमएल की पैकिंग के कारण दवा की कीमतें बढ़ गई हैं। डॉक्टरों ने मांग की है कि सरकार...
बिहार में मौजूदा दौर में होमियोपैथी चिकित्सा सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है। स्प्रिट की बिक्री पर नियंत्रण से दवाओं की सप्लाई चेन टूट गई है। बाजार में दवाएं कम हो गई हैं। सरकार ने किसी भी दवा की शीशी 30 एमएल तक सीमित कर दी है। इससे डॉक्टर अपने क्लिनिक में एक ही दवा की 30 एमएल की शीशी रख सकते हैं। इससे दवा की कमी हो रही है। छोटी पैकिंग के कारण दवा की कीमत भी बढ़ गई है। मरीजों पर इसका सीधा असर पड़ा है। डॉ. कैलाश सिंह, डॉ. भरत कुमार सिंह, डॉ. एकरामुल हक व डॉ. अमरनाथ शरण ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों से होमियोपैथी की पढ़ाई करने वाले छात्रों की संख्या भी घट रही है।
कॉलेजों में नामांकन लगातार कम हो रहा है। डॉक्टरों ने मांग की कि नीट परीक्षा में होमियोपैथी के लिए अलग व्यवस्था हो। इससे नामांकन बढ़ेगा। डॉक्टरों ने कहा कि सरकार होमियोपैथी के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। समय रहते नीति में सुधार नहीं हुआ तो यह चिकित्सा पद्धति खत्म हो जाएगी। डॉक्टरों ने मांग की कि होमियोपैथी प्रैक्टिशनर को भी एलोपैथ की तरह लाइफटाइम रजिस्ट्रेशन की सुविधा मिले। ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले डॉक्टरों को हर साल रजिस्ट्रेशन रिन्यू कराना पड़ता है। समय पर रिन्यू न होने पर उन्हें परेशान किया जाता है। कई बार डॉक्टरों को प्रैक्टिस बंद करनी पड़ती है। इसलिए सरकार को ऑनलाइन आवेदन की सुविधा देनी चाहिए। डॉक्टरों ने कहा कि होमियोपैथी गरीबों की सबसे सस्ती चिकित्सा पद्धति है। महंगाई के दौर में लोगों का भरोसा इस पर बढ़ा है। सरकार को इसे संरक्षित करना चाहिए। जांच के नाम पर हो रही अवैध वसूली पर रोक लगे। जांच टीम में होमियोपैथ डॉक्टरों को भी शामिल किया जाए। इससे जांच पारदर्शी होगी। डॉक्टरों ने कहा कि होमियोपैथी को बढ़ावा देने के लिए कंबाइंड क्लीनिक की व्यवस्था हो। केंद्र सरकार ने इसे अपनी नीति में शामिल किया है। बिहार में भी इसे लागू किया जाए। डॉक्टरों ने सरकार से अपील की कि समय रहते कदम उठाए जाएं, नहीं तो होमियोपैथी चिकित्सा पद्धति पूरी तरह खत्म हो जाएगी। राज्य सरकार की गलत नीतियों का सबसे ज्यादा होमियोपैथी चिकित्सा पर बुरा प्रभाव पड़ा है। गलत नीति का ही परिणाम है कि होमियोपैथी दवा की सप्लाई चेन बिगड़ गई है। इस वजह से प्रैक्टिसनरों के पास दवा की किल्लत सी हो गई है। इसकी सबसे बड़ी वजह दवा का पैक 30 एमएल तक सीमित करने से हुआ है। सरकार को होमियोपैथी पर लगे इस प्रतिबंध को हटाना चाहिए ताकि प्रैक्टिशनर को राहत मिले। प्रतिबंध से प्रैक्टिशनर को दवा की किल्लत झेलनी पड़ती है। पैक छोटा होने से दवा की कीमत भी मरीजों के लिए बढ़ जाती है। वहीं दूसरी ओर होमियोपैथी की पढ़ाई करने वाले छात्रों की संख्या लगातार सरकार की गलत नीतियों के कारण घट रही है। डॉ. अजीत कुमार, डॉ. मृत्युंजय कुमार, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. संदीप आनंद, डॉ. प्रशांत सौरभ, डॉ. मो. हिदायतुल्लाह खां, डॉ. इकबाल हसन आदि ने सरकार से होम्योपैथी चिकित्सकों की समस्याओं के समाधान की दिशा में कारगर कदम उठाने की अपील की है।
-बोले जिम्मेदार-
आयुष के डॉक्टरों की ओर से किसी प्रकार की समस्या की सूचना मेरे स्तर तक नहीं पहुंची है। आयुष डॉक्टरों के लिए पीएचसी स्तर पर दवा आदि की समस्या के निदान के लिए अलग से बॉडी तैनात की गई है। वैसे, मंत्रालय से प्राप्त आदेशों का सही से पालन कराने की व्यवस्था की गई है। -डॉ. अरुण कुमार पासवान, सिविल सर्जन, दरभंगा
होमियोपैथी के क्षेत्र में राज्य सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के बारे में संबंधित विभाग से विस्तृत जानकारी लेंगे। इसके बाद चिकित्सकों से बात कर उनकी भी समस्या जानेंगे। इसके बाद राज्य सरकार और जरूरत पड़ी तो केंद्र सरकार के स्तर पर भी समस्या दूर कराने की पहल करेंगे।
- डॉ. गोपाल जी ठाकुर, सांसद
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