मदरसा शिक्षकों को डेढ़ साल से नहीं मिल रहा वेतन, परिवार चलाना मुश्किल
सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों के शिक्षकों को डेढ़ साल से वेतन नहीं मिला है। ये शिक्षक पसमांदा समाज के बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण परेशान हैं। विभाग की जांच के चलते उनका वेतन...
सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों में पढ़ा रहे शिक्षक डेढ़ साल से वेतन नहीं मिलने से आर्थिक तंगी झेल रहे हैं। इन शिक्षकों पर पसमांदा समाज के बच्चों को मुख्य धारा से जोड़ने की जिम्मेदारी है। वे उर्दू व अरबी के साथ हिंदी, गणित और विज्ञान की भी पढ़ाई कराते हैं। इसके बावजूद सरकार, मदरसा बोर्ड और शिक्षा विभाग इनकी लगातार उपेक्षा कर रहे हैं। शिक्षक शहाबुद्दीन ने बताया कि वेतन भुगतान को लेकर हमेशा अनिश्चितता बनी रहती है। कभी भी किसी आदेश के चलते महीनों तक वेतन रोक दिया जाता है। इससे न केवल शिक्षक, बल्कि उनका पूरा परिवार आर्थिक संकट में आ जाता है।
कई शिक्षकों ने कहा कि विभाग से कोई भी आदेश आते ही सबसे पहले वेतन रोक दिया जाता है। करीब डेढ़ साल पहले मदरसा बोर्ड ने 205 कोटि के मदरसों की स्थिति जानने के लिए जांच का आदेश दिया था। जांच पूरी नहीं हुई, लेकिन उसी समय से शिक्षकों का वेतन रोक दिया गया। कई शिक्षकों ने बताया कि अधिकतर मदरसों की जांच हो चुकी है, फिर भी जिला शिक्षा पदाधिकारी एनके सदा बोर्ड को रिपोर्ट नहीं भेज रहे। इसी कारण वेतन अटका हुआ है। मदरसा शिक्षक मो. मुस्तफा, मो. अली, आफताब आलम आदि ने बताया कि वेतन नहीं मिलने से घर चलाना मुश्किल हो गया है। महंगाई के बीच किसी तरह गुजारा हो रहा है। बच्चों को पढ़ाकर उन्हें आगे बढ़ाने की कोशिश जारी है, लेकिन शिक्षक खुद परेशान हैं तो बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है। शिक्षकों ने बताया कि आर्थिक बदहाली के कारण कई शिक्षक जान गंवा चुके हैं। कुछ गंभीर रूप से बीमार होकर अस्पताल में भर्ती हैं। उनका कहना है कि विभागीय आदेश का पालन जितना वेतन रोकने में होता है, उतना ही वेतन देने में हो तो हालात सुधर सकते हैं। कई शिक्षकों ने कहा कि मदरसा के शिक्षकों की सबसे बड़ी समस्या समय पर वेतन पर भुगतान नहीं होना है। शिक्षकों ने कहा कि सालों से ऐसे बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं जिनके परिवार में पहली बार बच्चे पढ़ने में लगे हैं। उन्होंने कहा कि यदि शिक्षक थोड़ा भी पढ़ाई के काम में सुस्त हुए तो बच्चे पढ़ाई छोड़कर दूसरी गतिविधियों में लग जाते हैं। शिक्षा का माहौल बना रहे इसके लिए सरकार और विभाग को शिक्षकों का सहयोग करना चाहिए, ताकि पसमांदा समाज को शिक्षा के जरिए मुख्य धारा से जोड़ा जा सके। कई शिक्षकों ने कहा कि मदरसा में समाज के वैसे तबके के बच्चों को पढ़ाया जाता है जिनमें न तो शिक्षा के प्रति लोग जागरूक हैं और न ही उन्हें शिक्षा के महत्व का एहसास है। ऐसे बच्चों को जोड़े रखना ही चुनौतीपूर्ण कार्य है। ऐसे में शिक्षकों को मानसिक और आर्थिक रूप से मजबूत होना चाहिए, लेकिन विभाग के ढुलमुल रवैये के कारण शिक्षक आर्थिक और मानसिक तौर से परेशान हैं। गलत नीति की वजह से इन शिक्षकों के सामने हमेशा वेतन भुगतान को लेकर अनिश्चितता बनी रहती है। एक शिक्षक ने सवालिया अंदाज में कहा कि कहीं ऐसा होता है क्या कि डेढ़ साल से वेतन रोकने के बाद भी शिक्षक कर्ज लेकर घर चलाने के साथ ही पढ़ाने का काम करता है। ऐसा केवल मदरसा के शिक्षक ही कर सकते हैं।
-बोले जिम्मेदार-
मदरसा बोर्ड की ओर से 205 कोटि के कुछ मदरसों की स्थलीय जांच करने का आदेश प्राप्त हुआ है। इसी क्रम में मदरसों की जांच की जा रही है। कई मदरसों की जांच मुकम्मल हो चुकी है जबकि कई मदरसों की जांच होनी अभी बाकी है। स्थलीय जांच के बाद तुरंत बोर्ड को रिपोर्ट भेजी जाएगी।
- केएन सदा, डीईओ, दरभंगा
मदरसा शिक्षकों का भुगतान स्थलीय जांच प्रक्रिया के कारण बाधित है। विभाग से आदेश मिलने के बाद स्थलीय जांच की जा रही है। जांच कार्य पूरा होने के बाद प्रतिवेदन भेजा जाएगा। जैसे-जैसे जांच प्रक्रिया आगे बढ़ रही है, भुगतान का मार्ग भी प्रशस्त होता जा रहा है।
- संदीप रंजन, डीपीओ स्थापना
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