बीएड की फर्जी डिग्री, मार्क्स रजिस्टर में छेड़छाड़; BRA बिहार यूनिवर्सिटी के साख सवाल
पांच फर्जी डिग्री का मामला टैबुलेटिंग रजिस्टर, टीआर की जांच में पकड़ में आया था। टीआर का पन्ना फाड़ उसमें दूसरा पन्ना लगाया गया था। लेकिन, जांच कमेटी ठीक से काम नहीं कर रही है।

बिहार के प्रतिष्ठित बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर बिहार यूनिवर्सिटी, बीआरएबीयू में बीएड की पांच फर्जी डिग्री मामले की जांच अटक गई है। कई महीने पहले उजागर इस मामले में विवि प्रशासन और परीक्षा विभाग ने कोई कदम नहीं बढ़ाया है। फर्जी डिग्री का मामला सामने आने के बाद विवि ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई थी। कमेटी की बैठक भी हुई। उसमें संबंधित कॉलेज से छात्रों का ब्योरा मांगा गया, लेकिन ब्योरा नहीं आने से जांच आगे नहीं बढ़ी। इस वजह से विश्वविद्यालय की साख पर सवाल उठ रहे हैं।
दरअसल, पांच फर्जी डिग्री का मामला टैबुलेटिंग रजिस्टर, टीआर की जांच में पकड़ में आया था। टीआर का पन्ना फाड़ उसमें दूसरा पन्ना लगाया गया था। सूत्रों ने बताया कि एक बार फिर टीआर में छेड़छाड़ का मामला सामने आया, लेकिन परीक्षा विभाग या परीक्षा नियंत्रक की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया है। बीआरएबीयू में जांच में कई डिग्रियों पर संदेह पैदा हो रहा है। कुछ डिग्रियों पर लाल घेरा भी लगा दिया है।
बीआरएबीयू में परीक्षा विभाग की लचर व्यस्था के कारण छात्र बहुत परेशान हैं। सूत्रों ने बताया कि परीक्षा विभाग में वर्ष 1990 से 2000 तक की डिग्री और अंक पत्र देने का फार्मेट खत्म हो गया था। इसे दोबारा छपवाने के लिए भेजा गया था लेकिन 20 साल बाद भी फॉर्मेट नहीं आया है। परीक्षा नियंत्रक को मॉनिटरिंग कर इसे तुरंत मंगवाना था। इसके अलावा कुछ टेबुलेशन रजिस्टर भी छपने को भेजे गए हैं, जो परीक्षा विभाग नहीं पहुंचे हैं। ऐसे हालात में विश्वविद्यालय से प्रदत्त अन्य प्रमाण पत्रों पर शक हो रहा है।
इससे पहले भी बिहार यूनिवर्सिटी की परीक्षा विभाग में लापरवाही और गड़बड़ी के मामले उजागर हो चुके हैं। विभाग की सक्रियता में कमी की वजह से लेट सेशन यहां की परंपरा बन गई है। समय से परीक्षा और डिग्री नहीं मिलने की वजह से छात्र, छात्राओं को आगे की पढ़ाई या नौकरी में सफर करना पड़ता है।