मुआवजे को लेकर रैयतों ने शुरू नहीं होने दिया भारतमाला एक्सप्रेस वे का काम
-किसानों का वर्षों से जमीन पर है दखल कब्जा, हर वर्ष भर रहे हैं लगान,
मुआवजा नहीं मिलने से गुस्साए रैयतों ने भारतमाला एक्सप्रेस वे का काम शुरू नहीं होने दिया। रैयतों के उग्र रूप देखकर काम शुरू करने मशीन के साथ आए निर्माण कंपनी के कर्मियों को वापस लौटना पड़ा। इसके बाद गुरुआ सीओ ने किसी तरह समझा बुझाकर रैयतों को शांत कराया। देवा यादव, मनोज यादव, पवन, अमरेश यादव, शंकर यादव, विजय मांझी, लालमोहन, सरोज यादव आदि रैयतों ने बताया कि जो जमीन एक्सप्रेस वे में जा रही है सरकार की ओर से उसे सरकारी घोषित कर दी गई है। जिसकी लड़ाई लगातार लड़ रहे हैं, जबकि उनकी जमीन रजिस्ट्री और रिटर्न से दादा परदादा ने प्राप्त किया था। जिस पर उनकी दखल कब्जा है और हर वर्ष लगान भरते आ रहे हैं। इस पर कई बार सरकारी लाभ भी ले चुके हैं। कई रैयतों के सालों से घर भी बना हुआ है। इसके बाद भी रैयतीकरण की लड़ाई लड़ रहे हैं। जिलाधिकारी के कार्यालय में मामला चल रहा है।
डीएम ने मंगी थी 20 दिनों का मोहलत
पिछले वर्ष 28 नवंबर को रैयतों के मामले को सुलझाने आमस आए जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन ने बीस दिनों की मोहलत मांगी थी। साथ ही स्थानीय अधिकारियों को शीघ्र मामले को निष्पादित करने का निर्देश भी दिया था, लेकिन रैयतों के मामले अबतक ज्यों का त्यों है। रैयतों ने बताया कि एलपीसी नहीं बनने के कारण अब तक मुआवजे की फूटी कौड़ी नहीं मिली है। बता दें कि आमस से दरभंगा जानेवाली भारतमाला एक्सप्रेस वे आमस के गंगटी मोड से शुरू होना है। लेकिन, रैयतों के अड़चन के कारण जीरो प्वाइंट पर ही काम शुरू नहीं हो पा रहा है। इसमें गंगटी और धरमपुर गांव के करीब चार दर्जन से अधिक रैयतों की सैकड़ों एक्स जमीन जा रही है, जिसका मुआवजे की रैयतों को आस है। कई रैयतों ने बताया कि एक्सप्रेस वे जमीन चले जाने के बाद वे भूमिहीन हो जाएंगे। कहा जान क्यों न देना पड़े बिना मुआवजा मिले काम शुरू नहीं होने देंगे।
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