नई सुरक्षा परिषद में धर्म, आस्था जैसे मानदंड ठीक नहीं : भारत
भारत ने नई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में धर्म और आस्था को प्रतिनिधित्व के मानदंड के रूप में शामिल करने के प्रयासों की आलोचना की। भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने कहा कि यह क्षेत्रीय...

संयुक्त राष्ट्र, एजेंसी। भारत ने नई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में धर्म और आस्था जैसे नए मानदंडों को प्रतिनिधित्व के आधार के रूप में शामिल करने के प्रयासों की आलोचना की। भारत ने कहा कि यह क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के स्वीकृत आधार के पूरी तरह विपरीत है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने कहा कि जो लोग नियम आधारित वार्ता का विरोध करते हैं, वे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधारों पर प्रगति नहीं चाहते हैं। नई परिषद में प्रतिनिधित्व के लिए धर्म और आस्था जैसे नए मानदंडों को आधार बनाने का प्रयास क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के पूरी तरह विपरीत है। उन्होंने कहा, ‘ऐसे तर्क कि विस्तारित एवं नई सुरक्षा परिषद प्रभावी नहीं होगी, वास्तविक सुधारों को रोकने का प्रयास है। उचित कार्य पद्धतियों और जवाबदेही तंत्र युक्त नई परिषद अहम वैश्विक मुद्दों पर सार्थक ढंग से काम करने में सक्षम होगी। भारत ने जोर देकर कहा कि सुरक्षा परिषद में स्थायी और अस्थायी दोनों श्रेणियों में विस्तार नहीं होने से सुधार के उद्देश्य को हासिल करना संभव नहीं है। इससे स्थिति यथावत रहेगी।
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