Home Minister daughter was kidnapped India had to release 5 most wanted terrorists then Kandahar hijack happened गृह मंत्री की बेटी का अपहरण, भारत को छोड़ने पड़े 5 मोस्ट वांटेड आतंकी; फिर हुआ कंधार हाईजैक, India Hindi News - Hindustan
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गृह मंत्री की बेटी का अपहरण, भारत को छोड़ने पड़े 5 मोस्ट वांटेड आतंकी; फिर हुआ कंधार हाईजैक

  • ऐसा कहा जाता है कि फारूक अब्दुल्ला ने शुरू में आतंकियों को रिहा करने का विरोध किया। हालांकि केंद्र सरकार के दबाव के कारण अंततः निर्णय लिया गया कि आतंकवादियों को रिहा किया जाएगा।

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तानThu, 17 April 2025 08:56 AM
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गृह मंत्री की बेटी का अपहरण, भारत को छोड़ने पड़े 5 मोस्ट वांटेड आतंकी; फिर हुआ कंधार हाईजैक

आईसी-814 विमान हाईजैक की कहानी तो लगभगर हर भारतीय जानते हैं, लेकिन उससे पहले जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में 1989 में एक महिला डॉक्टर रुबैया सईद का दिनदहाड़े अपहरण कर लिया गया था। वह तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी थीं। रुबैया की रिहाई के बदले में भारत सरकार को पांच आतंकवादियों को छोड़ना पड़ गया था। जानकारों का मानना है कि इस घटना ने कश्मीर में आतंकवादियों को अपनी बैठ बनाने में काफी मदद की थी।

8 दिसंबर 1989 को लाल डेड मेमोरियल महिला अस्पताल के बाहर से एक नीले मारुति वैन में आए जेकेएलएफ (जम्मू एंड कश्मीर लिबरेशन फ्रंट) के आतंकवादियों ने रुबैया को बंदूक की नोक पर अगवा कर लिया था। वह उस समय एक मेडिकल इंटर्न के रूप में वहां काम करती थीं। इस अपहरण के कुछ घंटों बाद एक कॉल के जरिए बताया गया कि अगर भारत सरकार जेकेएलएफ के पांच आतंकवादियों अब्दुल हमीद शेख, ग़ुलाम नबी भट, नूर मोहम्मद कलवाल, मोहम्मद अल्ताफ और जावेद अहमद ज़रगर को रिहा नहीं करती है तो रुबैया को नुकसान पहुंचाया जाएगा।

उस समय जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला लंदन में थे। जैसे ही उन्हें सूचना मिली, वह कशमीर वापस लौटे। केंद्र सरकार ने एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल को श्रीनगर भेजा। उसमें आईके गुजराल, अरिफ मोहम्मद खान और एमके नारायणन शामिल थे।

आतंकियों की रिहाई के खिलाफ थे फारूख अब्दुल्ला
ऐसा कहा जाता है कि फारूक अब्दुल्ला ने शुरू में आतंकियों को रिहा करने का विरोध किया। हालांकि केंद्र सरकार के दबाव के कारण अंततः निर्णय लिया गया कि आतंकवादियों को रिहा किया जाएगा। उन्होंने हाल ही में सितंबर 2024 में दिए एक बयान में कहा, "मैंने पहले ही कहा था कि इन आतंकवादियों को छोड़ना भविष्य में विनाश का कारण बनेगा। लेकिन किसी ने मेरी नहीं सुनी। आज वही लोग पाकिस्तान से आतंक फैला रहे हैं।"

चुपचाप हुई थी रिहाई
13 दिसंबर 1989 को पांचों आतंकवादियों को चुपचाप रिहा कर दिया गया। कुछ ही समय बाद एक स्थानीय पत्रकार ज़फर मीराज को जेकेएलएफ के प्रवक्ता जावेद अहमद मीर का फोन आया, जिसमें उन्हें बताया गया कि उनके लड़ाके सुरक्षित पहुंच गए हैं। इसके कुछ ही घंटों में रुबैया को छोड़ दिया गया।

10 साल बाद विमान अपहरण
इस घटना के करीब 10 साल बाद 1999 में इन्हीं में से कुछ आतंकियों ने आईसी-814 विमान का अपहरण किया, जिसके बदले भारत सरकार को मसूद अजहर को रिहा करना पड़ा था। मसूद अजहर भारतीय जेल से रिहा होने के बाद जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठन का सरगना बना। आज भी वह भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की फिराक में रहता है और भारत के खिलाफ जहर उगलता रहता है।

यासीन मलिक की गिरफ्तारी
2019 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा यासीन मलिक को आतंकी फंडिंग केस में गिरफ्तार किया गया। इसके बाद रुबैया के अपहरण मामले को दोबारा खोला गया। 2023 में रुबैया ने अदालत में यासीन मलिक को पहचान लिया और कहा कि वह उन लोगों में से एक था जिन्होंने उनका अपहरण किया था। यासीन मलिक अब उम्रकैद की सजा काट रहा है और उसके साथ-साथ कई अन्य आरोपियों पर भी केस चल रहा है। उनमें अली मोहम्मद मीर, मोहम्मद जमां मीर, इकबाल अहमद गंडरू, जावेद अहमद मीर, मोहम्मद रफीक पहलू, मंजूर अहमद सोफी, वजाहत बशीर, मेहराजुद्दीन शेख और शोकत अहमद बख्शी जैसे नाम शामिल हैं।