फूलों के बाग में एन्जॉय करेंगे जेल के कैदी, भभुआ डीएम ने क्यों किया अनोखा प्रयोग
- मंडल कारा के बंदियों के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए डीएम के निर्देश पर जेल प्रशासन ने 30 प्रकार के फूलों का बाग लगाया है, जिसकी देखरेख बंदी करते हैं। कारा अधीक्षक का मानना है कि इससे उनमें जिम्मेदारी, आत्मनिर्भरता और सकारात्मक बदलाव की भावना विकसित हो रही हैं।

अपराध करने पर सजा के तौर पर किसी व्यक्ति को जेल में डाला जाता है। वहां के कायदे कानून बहुत कड़े बताए जाते हैं ताकि व्यक्ति फिर से अपराध करने से बचे। लेकिन बिहार के भभुआ के जिलाधिकारी सावन कुमार ने कैदियों को अपराध की प्रवृत्ति से दूर करने के लिए एक अनूठा प्रयोग किया है ताकि यहां से निकलने के बाद वे समाज की मुख्य धारा में शामिल हो कर आदर्श जीवन व्यतीत कर सकें। जेल में आकर्षक और खुशबूदार फूलों के बाग लगाए गए हैं।
मंडल कारा के बंदियों के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए डीएम के निर्देश पर जेल प्रशासन ने 30 प्रकार के फूलों का बाग लगाया है, जिसकी देखरेख बंदी करते हैं। कारा अधीक्षक का मानना है कि इससे उनमें जिम्मेदारी, आत्मनिर्भरता और सकारात्मक बदलाव की भावना विकसित हो रही हैं। अन्य कैदी भी फूलों के बाग का आनंद ले रहे हैं।
भभुआ जेल में चार मानसिक रोगी बंदी भी हैं, जिनकी जांच नियमित होती है। इस बाग में उनके द्वारा समय बिताने से उनमें सकारात्मक बदलाव देखा जा रहा है। इसकी पुष्टि मानसिक रोग विशेषज्ञ की जांच से हो रही है। डीएम सावन कुमार ने कहा कि प्राकृतिक वातावरण केवल बाहरी सौंदर्य ही नहीं, बल्कि आंतरिक शांति और सुधार का माध्यम भी होता है। यह बाग बंदियों को मानसिक सुकून और उनके पुनर्वास में सहायक सिद्ध होगा। उन्होंने इसे आत्म सुधार और नया कौशल सीखने का एक अवसर बताया।
जेल प्रशासन का मानना है कि इस प्रकार की पहल से बंदियों के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होगा और उन्हें समाज में पुन: शामिल होने की प्रेरणा मिलेगी। जेल अधीक्षक संदीप कुमार ने बताया कि बंदी न केवल इस बाग को संवार रहे हैं, बल्कि इससे उन्हें अनुशासन, धैर्य और प्रकृति के प्रति प्रेम की सीख भी मिल रही है। भविष्य में इसे विस्तारित किया जाएगा।