हिल रेल सेक्शन की सुरक्षा के लिए तकनीक का इस्तेमाल
कटिहार में पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे क्षेत्र ने मानसून के दौरान पहाड़ी सेक्शन में ट्रेनों के परिचालन को सुगम बनाने के लिए तकनीकी उपायों को तेज कर दिया है। इसमें ड्रोन-आधारित सर्वेक्षण, लेजर स्कैनिंग और...

कटिहार, एक संवाददाता। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे क्षेत्र के हिल सेक्शन में ट्रेनों का परिचालन खराब मानसून में सुगम बनाने का प्रयास रेलवे ने तेज कर दिया है। इसके लिए अत्याधिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। सीपीआरओ कपिंजल किशोर शर्मा ने बताया कि इस तकनीकी के उपयोग से अत्याधिक मानसून की स्थिति में संवेदनशील हिल रेलवे सेक्शन में ट्रेनों का परिचालन बाधित न हो इसके प्रयास हैं। बताया कि चुनौतियों को कम करने के लिए, पूसी रेलवे ने किमी 45 से किमी 125 तक पहाड़ी सेक्शन के 80 किलोमीटर हिस्से पर एक व्यापक हवाई और भूभौतिकीय सर्वेक्षण शुरू किया है।
यह पहल उन्नत ड्रोन-आधारित लाइडर (लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग), हाई-रिज़ॉल्यूशन एरियल इमेजिंग और विद्युत चुम्बकीय सर्वेक्षण का उपयोग करती है। हाईड्रोलॉजिकल पैटर्न से जोखिम को किया वर्गीकृत: सीपीआरओ ने बताया कि जमीनी स्तर के सर्वेक्षणों के अलावा ये मानचित्र ढलान के कोण, मिट्टी की विशेषताओं, वनस्पति आवरण और हाइड्रोलॉजिकल पैटर्न के आधार पर क्षेत्रों को निम्न से उच्च जोखिम श्रेणियों में वर्गीकृत करते हैं। यह समग्र और तकनीकी रूप से उन्नत दृष्टिकोण एनएफआर की अपनी परिसंपत्तियों, यात्रियों और कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। सुरंगों की सुरक्षा के लिए स्थलीय लेजर स्कैनिंग: सीपीआरओ ने बताया कि सुरंगों की सुरक्षा और संरचनात्मक प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिए, विशेष रूप से मानसून के मौसम में, प्रमुख स्थानों पर स्थलीय लेजर स्कैनिंग की, जिसमें लोकेशन 20 पर 750 मीटर लंबी सुरंग भी शामिल है। रखरखाव और दीर्घकालिक परिचालन योजना का सहयोग करते हुए यह 360-डिग्री लेजर स्कैनिंग तकनीक विकृति, संयुक्त अव्यवस्था और पानी के प्रवेश का पता लगाने में परिशुद्धता प्रदान करती है।
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