Community Meeting Enhances Health Services Accessibility in Kishanganj ग्रामीण क्षेत्र में हेल्थ सब सेंटर में यूनिसेफ व स्वास्थ्य विभाग ने की संयुक्त पहल, Kishanganj Hindi News - Hindustan
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ग्रामीण क्षेत्र में हेल्थ सब सेंटर में यूनिसेफ व स्वास्थ्य विभाग ने की संयुक्त पहल

किशनगंज के ठाकुरगंज प्रखंड में बालूबाड़ी हेल्थ सब सेंटर में आयोजित सामुदायिक बैठक का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच बढ़ाना और लोगों में जागरूकता लाना था। इस बैठक में नियमित...

Newswrap हिन्दुस्तान, किशनगंजFri, 25 April 2025 03:23 AM
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ग्रामीण क्षेत्र में हेल्थ सब सेंटर में यूनिसेफ व स्वास्थ्य विभाग ने की संयुक्त पहल

किशनगंज, एक प्रतिनिधि। जिले के ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के उद्देश्य से ठाकुरगंज प्रखंड अंतर्गत बालूबाड़ी हेल्थ सब सेंटर (एचएससी)खानाबाड़ी में गुरुवार को सामुदायिक बैठक का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच बढ़ाना और लोगों में जागरूकता लाना था। इस बैठक का संचालन यूनिसेफ के बीएमसी एजाज अहमद अंसारी ने किया, जिसमें स्वास्थ्य विभाग के एएनएम पूजा कुमारी, एएफ लिलीमा सिन्हा सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मी उपस्थित थे। ठाकुरगंज सीएचसी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ.अखलाकुर रहमान ने बताया कि ग्रामीण परिवेश में अक्सर देखा गया है कि जानकारी के अभाव, सामाजिक मान्यताओं, और सुविधा की कमी के चलते लोग जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित रह जाते हैं। खासकर मातृत्व और बाल स्वास्थ्य जैसे विषयों में जागरूकता का अभाव गंभीर परिणाम उत्पन्न करता है। ऐसी स्थिति में इस प्रकार की सामुदायिक बैठकें ग्रामीणों को न केवल जानकारी देती हैं बल्कि उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ने का मजबूत माध्यम भी बनती हैं। इसी उद्देश्य से ग्रामीण क्षेत्र में सामुदायिक बैठक के कर ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है।

इन बिंदुओं पर ग्रामीणों को किया गया जागरूक:

नियमित टीकाकरण :

बैठक की शुरुआत नियमित टीकाकरण की महत्ता पर चर्चा से हुई। बीएमसी यूनिसेफ एजाज अहमद अंसारी ने बताया कि बच्चों को समय पर टीका न लगने से वे खसरा, डिप्थीरिया, पोलियो जैसे जानलेवा बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। ग्रामीण महिलाओं से आग्रह किया कि वे न केवल अपने बच्चों का टीकाकरण कराएं, बल्कि अपने समुदाय की अन्य महिलाओं को भी इसके लिए प्रेरित करें।

संस्थागत प्रसव:

संस्थागत प्रसव को लेकर विस्तार से चर्चा की गई, जिसमें बताया गया कि घर पर प्रसव के दौरान जच्चा और बच्चा दोनों को कई प्रकार के जोखिम होते हैं। वहीं, अस्पतालों में प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की देखरेख में प्रसव होने से इन जटिलताओं से बचा जा सकता है। आशा फैसिलिटेटर लिलीमा सिन्हा ने बताया कि सरकार संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से आर्थिक सहायता भी प्रदान कर रही है।

मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना:

इस योजना की जानकारी देते हुए बताया गया कि बेटियों के जन्म पर सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि दी जाती है, जिससे न केवल कन्या भ्रूण हत्या पर रोक लगेगी बल्कि समाज में बेटियों को भी समान अधिकार और सम्मान मिल सकेगा। यह योजना मातृत्व सेवाओं से भी जुड़ी हुई है, इसलिए इसका लाभ लेने के लिए समय पर एएनसी जांच और संस्थागत प्रसव अनिवार्य है।

गैर-संचारी रोगों की जांच:

बैठक में 30 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की नियमित जांच के महत्व को बताया गया। बीपी, डायबिटीज, ओरल कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर जैसी बीमारियां अक्सर चुपचाप शरीर में पनपती हैं और समय रहते पकड़ में न आने पर गंभीर हो जाती हैं। ऐसे में स्वास्थ्य केंद्रों पर मुफ्त जांच की सुविधा का लाभ उठाना जरूरी है।

एएनसी जांच: गर्भवती महिलाओं को समय पर एएनसी (प्रसव पूर्व) जांच, आयरन और कैल्शियम की गोलियां, टीटी टीकाकरण, और पोषण संबंधी परामर्श की जानकारी दी गई। यह सभी सेवाएं हेल्थ सब सेंटर व पीएचसी पर उपलब्ध हैं, जिनका लाभ उठाकर महिलाएं गर्भावस्था को सुरक्षित बना सकती हैं।

सामुदायिक बैठक संवाद का बेहतर माध्यम:

सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने कहा कि ऐसी बैठकें हमारे लिए एक अवसर होती हैं जिससे हम समुदाय के और करीब पहुंचते हैं। मातृत्व व शिशु स्वास्थ्य से जुड़ी सेवाओं की जानकारी और उपयोग बढ़ाना ही हमारा लक्ष्य है। कहा कि स्वस्थ समाज के निर्माण में ऐसी पहलें मील का पत्थर हैं। जब तक अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएं नहीं पहुंचतीं, तब तक हमारा विकास अधूरा है। हम सभी विभागों के सहयोग से यह सुनिश्चित करेंगे कि हर व्यक्ति इन योजनाओं से लाभान्वित हो सके। उन्होंने कहा कि यह सामुदायिक बैठक जहां एक संवाद का माध्यम बनी, वहीं लोगों को सरकारी योजनाओं और स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ने का एक मजबूत प्रयास भी सिद्ध हुई। इस प्रकार की जागरूकता बैठकें यदि नियमित रूप से की जाएं, तो ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और प्रभावशीलता दोनों में अभूतपूर्व वृद्धि की जा सकती है।

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