हैवान ने कुढ़नी रेप पीड़िता की काटी थी सांस की नली, उत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल में नहीं है इलाज; NHRC भी सख्त
एसकेएमसीएच उत्तर बिहार का सबसे बड़ा अस्पताल है। सुपर स्पेशलिटी की सुविधा भी शुरू हो गई, लेकिन पारा मेडिकल कर्मियों की कमी से यहां मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है। अधीक्षक प्रो. डॉ. कुमारी विभा ने बताया कि बच्ची के इलाज में किसी तरह की कोताही नहीं की गई थी।

मुजफ्फरपुर जिले में कुढ़नी की दुष्कर्म पीड़िता की सांस नली कट गई थी, इसे जोड़ने के लिए एसकेएमसीएच में संसाधन और विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं है। इस कारण पीड़िता को पांच दिन बाद रेफर करना पड़ा। ईएनटी विभाग के डॉक्टरों की देखरेख में पीड़िता का इलाज चल रहा था। ईएनटी विभाग की ओटी में सामान्य ऑपरेशन का संसाधन तो है, लेकिन विशेष और गंभीर ऑपरेशन के लिए उपकरण नहीं है। गंभीर ऑपरेशन के लिए बाहर से उपकरण मंगाना पड़ता है।
एसकेएमसीएच उत्तर बिहार का सबसे बड़ा अस्पताल है। सुपर स्पेशलिटी की सुविधा भी शुरू हो गई, लेकिन पारा मेडिकल कर्मियों की कमी से यहां मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है। अधीक्षक प्रो. डॉ. कुमारी विभा ने बताया कि बच्ची के इलाज में किसी तरह की कोताही नहीं की गई थी। गले की नस से खून निकल रहा था। सबसे पहले एंटी बी सर्जरी के डॉक्टर ने ऑपरेशन कर खून बंद किया था। दो यूनिट खून भी उसे चढ़ाया गया। सांस नली कटने के कारण इलाज में परेशानी हो रही थी।
डॉ. शशि कुमार व सर्जरी के डॉ. सुशांत कुमार, डॉ. विजय भारद्वाज की सहमति के बाद बच्ची को बाहर भेजने का निर्णय लिया गया था। एम्स पटना के डॉक्टर से बात की गई, लेकिन वहां विशेषज्ञ डॉक्टर अवकाश पर रहने के कारण एम्स में नहीं भेजकर पीएमसीएच भेजा गया। बेहतर इलाज का पूरा प्रयास किया गया।
NHRC भी सख्त
कुढ़नी की नाबालिग से दुष्कर्म के बाद इलाज के दौरान पीड़िता की मौत मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने स्वतः संज्ञान लिया है। आयोग ने बिहार के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है। कुढ़नी की दुष्कर्म पीड़िता की पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (पीएमसीएच) में एक जून को मौत हो गई थी।
परिजनों का आरोप है कि बच्ची को चिकित्सा देखभाल मिलने से पहले घंटों एंबुलेंस में इंतजार करना पड़ा। पीड़िता के साथ 26 मई को दुष्कर्म करने के बाद आरोपित ने गला रेत दिया था। उसे गंभीर स्थिति में एसकेएमसीएच में भर्ती कराया गया था। हालत बिगड़ने पर 30 मई को उसे पीएमसीएच रेफर किया गया था।
मुआवजे की पहली किस्त मिली
सोमवार को जिला प्रशासन की ओर से पीड़ित परिवार को मुआवजे का भुगतान किया गया। कुल 8.50 लाख रुपये के मुआवजे में पहली किस्त चार लाख 12 हजार 500 रुपये दिए गए हैं। डीएम ने जिला कल्याण पदाधिकारी को आरोपपत्र दायर होने के साथ ही मुआवजे की दूसरी किस्त भी शीघ्र भुगतान करने को कहा है।
डीएम सुब्रत कुमार सेन ने मृतका के परिवार को प्रतिमाह 7750 रुपये पेंशन और पीड़ित परिवार को सरकारी नौकरी देने की दिशा में कार्रवाई का निर्देश भी दिया है।