केसरिया के बौद्ध स्तूप का होगा विकास,बजट से जगी उम्मीद
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में भगवान बुद्ध से जुड़े स्थलों के विकास की बात की है, जिससे केसरिया बौद्ध स्तूप के विकास की उम्मीद बढ़ गई है। सांसद राधामोहन सिंह और अन्य नेताओं ने इस निर्णय का...
केसरिया,निज संवाददाता। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में पेश बजट में भगवान बुद्ध से जुड़े स्थलों का विकास की बात कही है। जिससे जिला स्थित विश्व के सबसे ऊंचे केसरिया बौद्ध स्तूप के विकास की उम्मीद बढ़ गयी है। जिससे लोगों में खुशी की लहर है। पूर्व केंद्रीय कृषि एवं कल्याण मंत्री सह स्थानीय सांसद राधामोहन सिंह ने बताया कि भगवान बुद्ध से जुड़े स्थलों के विकास संबंधी बजट में घोषणा से केसरिया के स्तूप का भी विकास होगा। इस ऐतिहासिक कदम से यहां पर्यटन उद्योग को गति मिलेगी। बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए एमएलसी महेश्वर सिंह ने कहा है कि बजट में भगवान बुद्ध से जुड़े स्थलों के विकास पर जोर दिया गया।जो कि ऐतिहासिक कदम है। इससे केसरिया स्थित बौद्ध स्तूप का विकास हो सकेगा।महात्मा बुद्ध सेवा संस्थान के पूर्व अध्यक्ष सह प्रसिद्ध चिकित्सक डॉक्टर परमेश्वर ओझा ने कहा है कि हम लोग स्तूप के विकास को लेकर काफी समय से संघर्षरत हैं ।लेकिन स्तूप का जितना विकास होना चाहिए नही हो सका।अब बजट से उम्मीद जगी है। महात्मा बुद्ध सेवा संस्थान के अध्यक्ष सीताराम यादव ने कहा है कि यह ऐतिहासिक निर्णय है। इस निर्णय से केसरियावासियों को उम्मीद जगी है कि विश्व के सबसे ऊंचे बौद्ध स्तूप का विकास अब तेजी से होगा।यह स्तूप विश्व का सबसे ऊंचा स्तूप होने के बावजूद स्तूप का विकास काफी धीमा है।बौद्ध डेवलपमेंट सेंटर के अध्यक्ष के के जायसवाल ने कहा है कि स्तूप के विकास से केसरिया सहित आसपास के क्षेत्रों का भी विकास होगा। कौमी एकता फ्रंट के अध्यक्ष वसील अहमद खान ने कहा कि वे वितमंत्री के बजट का स्वागत करते है। इस बजट से केसरिया बौद्ध स्तूप का विकास होने की संभावना है। एम एल सी प्रतिनिधि चुन्नू सिंह ने कहा कि स्तूप का विकास 27 साल बाद भी नही हो पाया है। वित्त मंत्री की घोषणा के बाद अब उम्मीद जगी है।
105 फीट ऊंचा है बौद्ध स्तूप:
यहां बता दें कि केसरिया का बौद्ध स्तूप विश्व का सबसे ऊंचा स्तूप है। यह धरातल से 105 फीट ऊंचा है। इस स्तूप पर सात तल है प्रत्येक तल पर भगवान बुद्ध की प्रतिमा विभिन्न मुद्राओं में स्थापित है। जो स्तूप की खुदाई के बाद मिला है।
भगवान बुद्ध से जुड़ा है यह स्तूप:
केसरिया का बौद्ध स्तूप भगवान बुद्ध के जीवन काल से जुड़ा हुआ है। भगवान बुद्ध जब वैशाली से महापरिनिर्वाण के कुशीनगर के लिए चले तो प्रथम रात्रि विश्राम इसी स्थल पर किया।यहां स्तूप बना है।भगवान बुद्ध के रात्रि विश्राम को लेकर ही उनके शिष्यों द्वारा बौद्ध स्तूप का निर्माण कराया गया।जो कई कालों में बनकर तैयार हुआ।
27 साल बाद भी स्तूप की खुदाई कार्य नहीं हुई पूरी:
केसरिया स्तूप की खुदाई 4 मार्च 1998 को शुरू हुई थी।लेकिन 27 साल बाद भी स्तूप की खुदाई कार्य अब भी अधूरा है। स्तूप के 60प्रतिशत हिस्से की ही अब तक खुदाई हो पाई है। स्तूप परिसर का कुछ खास विकास भी नहीं हो पाया है।
प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में आते है विदेशी पर्यटक:
स्तूप को देखने के लिए प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में विदेशी पर्यटक यहां आते हैं। थाईलैंड,कंबोडिया,रूस,वियतनाम, अमेरिका,नेपाल, मलेशिया सहित विश्व के कोने कोने से विदेशी पर्यटक यहां आते हैं। जो घंटों स्तूप की पूजा करते हैं।
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