मैदान व प्रशक्षिक संग मिले प्रोत्साहन तो खिलाड़ियों का संवर जाएगा भवष्यि
मोतिहारी के फुटबॉल खिलाड़ियों ने स्थायी स्टेडियम और सरकारी सहायता की मांग की है। यहां के खेल मैदानों की उपेक्षा से खिलाड़ी अभ्यास के लिए तरस रहे हैं। खिलाड़ियों में प्रतिभा की कमी नहीं है, लेकिन सही...
मोतिहारी ने खेल जगत में एक अच्छा सफर तय किया है। वह सफर और शानदार हो सकता था, लेकिन किसी ने यहां के खेल मैदानों के विकास पर ध्यान तक नहीं दिया। साल 1980 से 1990 तक यहां फुटबॉल का जबर्दस्त क्रेज था। यहां के खिलाड़ियों ने बिहार और राष्ट्रीय स्तर पर फुटबॉल के खेल में डंका बजाया। खेल प्रतियोगिताओं को लेकर सुर्खियों में रहनेवाले शहर के विभन्नि खेल मैदान वर्तमान में खिलाड़ियों के पैरों की आहट सुनने को तरस रहे हैं। खेल मैदानों की उपेक्षा से खिलाड़ी अभ्यास को भटक रहे हैं। फुटबॉल खिलाड़ियों को सरकारी मदद की दरकार है। खिलाड़ियों को किसी प्रकार की सरकारी सुविधा नहीं मिलती है। खिलाड़ियों में प्रतिभा की कमी नहीं : स्पोर्ट्स क्लब व जिला फुटबॉल संघ के सचिव प्रभाकर जायसवाल, सीनियर खिलाड़ी मो. राशिद, साजन कुमार, रवि कुमार, जमील अख्तर आदि ने कहा कि खिलाड़ियों में प्रतिभा की कमी नहीं है, बस जरूरी है सही मार्गदर्शन व प्रोत्साहन की। जिले में खेल व खिलाड़ियों के लिए सुविधा व संसाधन का घोर अभाव है। यहां के फुटबॉल खिलाड़ियों को स्थायी स्टेडियम तक नसीब नहीं है। शहर के एकमात्र नेहरू स्टेडियम में केंद्रीय वद्यिालय का संचालन हो रहा है। इससे खिलाड़ियों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है। मजबूरन, खिलाड़ी स्थानीय स्पोर्ट्स क्लब मैदान, नेहरू स्टेडियम, जिला स्कूल, गांधी स्मारक, एमएस कॉलेज मैदान, गांधी मैदान समेत आसपास के खाली मैदान में अभ्यास करने पहुंचते हैं। फुटबॉल खिलाड़ियों को सरकारी लाभ नहीं मिलता है।
स्थायी स्टेडियम को तरस रहे खिलाड़ी : खिलाड़ियों ने कहा कि वे शहर में महज एक स्थायी स्टेडियम को तरस रहे हैं। एकमात्र नेहरू स्टेडियम भी खिलाड़ियों से छिन जाने से मायूसी है। खेल संघ व खिलाड़ियों को जिला स्तर पर कोई सरकारी सहायता नहीं मिल पा रही है। सभी गेम फेडरेशन की मदद से संचालित हो रहे हैं। सरकारी स्कूलों में खेल शक्षिकों की भूमिका सही नहीं है। खिलाड़ियों को प्रोत्साहन व आर्थिक मदद की जरूरत है। पहले गांव-गांव में बच्चे फुटबॉल खेलते थे, अब प्रशक्षिक के अभाव में रुचि घट रही है। ग्रामीण खेल फुटबॉल को पुनर्जीवित करने की जरूरत है।
ग्रामीण स्तर पर स्टेडियम के साथ सुविधा भी मिले : खेल में सुधार व ग्रामीण प्रतिभाओं को तरासने के ख्याल से हाईस्कूलों में खेल शक्षिकों की बहाली की गई है। बावजूद इसके हालात सुधार नहीं रहे हैं। सरकार की ओर से पंचायत स्तर पर स्टेडियम बनाया जा रहा है। मगर, खिलाड़ियों के प्रशक्षिण व उचित मार्गदर्शन के लिए जिला स्तर पर कोच नहीं हैं। खिलाड़ियों को उचित मार्गदर्शन नहीं मिलता है। संसाधन व प्रोत्साहन की भी कमी है। पंचायत स्तर पर स्टेडियम नर्मिाण के साथ सुविधा बढ़ाने पर भी जोर दिया जाए। पहले सरकारी विभाग की फुटबॉल टीम होती थी। खेल के आधार पर सरकारी नौकरी भी मिलती थी, अब नौकरी भी नहीं मिलती।
नेहरू स्टेडियम खाली कराए जिला प्रशासन : जिला मुख्यालय के भवानीपुर जिरात मुहल्ला स्थित नेहरू स्टेडियम को खिलाड़ियों के लिए खाली कराने की जरूरत है। फिलहाल यहां केंद्रीय वद्यिालय संचालित हो रहा है। खिलाड़ियों को यह स्टेडियम मिल जाने से फुटबॉल खिलाड़ियों को स्थाई मैदान मिल सकेगा।
शिकायतें
1.नेहरू स्डेडियम में केंद्रीय वद्यिालय संचालित हो रहा है। इससे खिलाड़ियों को ग्राउंड में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाती है।
2.सरकारी नौकरी नहीं मिलने से फुटबॉल के प्रति लोगों की रुचि घटी है। स्टेडियम के साथ संसाधन मिलना चाहिये।
3.पहले गांव-गांव में फुटबॉल का मैच होता था। अब ढूंढ़ने से खिलाड़ी नहीं मिल रहे। फुटबॉल के प्रति उदासीनता है।
4.खेल के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करनेवाले खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी दी जाए। खिलाड़ियों को अतिरक्ति खर्च भी मिले।
5.शहर में स्थायी स्टेडियम व प्रशक्षिति कोच नहीं होने से फुटबॉल खिलाड़ियों को अभ्यास में असुविधा होती है।
सुझाव
1.शहर के नेहरू स्टेडियम को खाली कराया जाए। इससे खिलाड़ियों को स्थायी ग्राउंड मिल सकेगा।
2.शहर के सभी स्टेडियम का जीर्णोंद्धार कराया जाए। इससे फुटबॉल में रुचि रखनेवाले खिलाड़ियों को फायदा होगा।
3.जिला स्कूल के स्टेडियम को फुटबॉल मैच के लिए विकसित किया जा सकता है। इसमें बड़ी-बड़ी घास उग आयी हैं।
4.जिले में फुटबॉल टूर्नामेंट को लेकर सरकारी उदासीनता है। खिलाड़ियों की तरक्की विभन्नि खेल फेडरेशनों के भरोसे है।
5.जिलास्तर पर फुटबॉल के खिलाड़ियों के लिए प्रशक्षिति कोच व संसाधन विकसित किए जाने की जरुरत है।
बोले जम्मिेदार
जिले में खेल व खिलाड़ियों की बेहतरी पर ध्यान दिया जाएगा। सभी खेल संघों के पदाधिकारी से बातकर ठोस पहल की जाएगी। खासकर महिला खिलाड़ियों की सुविधा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। फुटबॉल के साथ सभी तरह के खेलकूद पर काम करेंगे। युवा पीढ़ी के लिए आउटडोर गेम में गतिविधि बढ़ाना बहुत जरूरी है। जिला मुख्यालय के सभी खेल मैदानों को ठीक कराया जाएगा।
-विकास कुमार, जिला खेल पदाधिकारी, पूर्वी चंपारण।
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