One-Day Seminar on the Relevance of Phanishwar Nath Renu s Literature at Munger University फणीश्वर नाथ रेणु का साहित्य जनता के जीवन का दर्पण, Munger Hindi News - Hindustan
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फणीश्वर नाथ रेणु का साहित्य जनता के जीवन का दर्पण

मुंगेर विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर हिंदी विभाग में फणीश्वरनाथ रेणु के साहित्य की प्रासंगिकता पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि प्रो. भवेशचंद्र पांडेय ने रेनु की आंचलिकता और समाज...

Newswrap हिन्दुस्तान, मुंगेरSat, 12 April 2025 02:05 AM
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फणीश्वर नाथ रेणु का साहित्य जनता के जीवन का दर्पण

मुंगेर, हिन्दुस्तान संवाददाता। मुंगेर विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर हिंदी विभाग में शुक्रवार को फणीश्वरनाथ रेणु के साहित्य की प्रासंगिकता विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। अध्यक्षता विभागाध्यक्ष स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ शिव कुमार मंडल ने की। मुख्य अतिथि अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. डॉ भवेशचंद्र पांडेय थे। वहीं विशिष्ट अतिथि विभागाध्यक्ष स्नातकोत्तर उर्दू विभाग प्रो. डॉ शहीद रजा जमाल, प्रमुख वक्ता स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग के प्राध्यापक डॉ हरीश चंद्र शाही एवं बीआरएम कॉलेज के हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अभय कुमार, पत्रकार व समीक्षक विनय कुमार सिंह, हरि सिंह महाविद्यालय के हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सुनील कुमार, जमालपुर कॉलेज जमालपुर के हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ चंदन कुमार, स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ राजीव एवं डॉ अवनीश चंद्र पांडेय थे ।

इस संगोष्ठी के संयोजक विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ रोशन रवि एवं सह-संयोजक डॉ अजय प्रकाश थे। मंच संचालन शोध छात्र अभिषेक ने किया। डॉ चंदन कुमार ने बीज वक्तव्य के साथ विषय प्रवेश कराया । मुख्य अतिथि प्रो भावेशचंद्र पांडेय ने कहा कि फणीश्वरनाथ रेणु अपनी कृतियों में जिस आंचलिकता को देखते हैं, उसमें सार्वभौमिकता ज्यादा है। वह समाज की चेतनागत समग्रता को सामने लाते हैं।

उनकी आंचलिकता में समग्रता है। जिसे देख कर निर्मल वर्मा उन्हें हिन्दी का संत साहित्यकार कहते हैं। प्रमुख वक्ता में डॉ अभय कुमार ने कहा कि फणीश्वरनाथ रेणु की पुण्यतिथि पर हिन्दी विभाग ने उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की प्रासंगिकता पर जिस प्रकार सेमिनार कर रहा है, उस परिप्रेक्ष्य में मैं उन्हें शहीदी साहित्यकार कहना चाहूंगा। रेणु लगभग अकेले ऐसे साहित्यकार हैं, जिन्होंने न केवल भारत के आजादी के आंदोलनों में प्रत्यक्ष भागीदारी की। बल्कि नेपाली क्रांति में भी सहयोग किया। मौके पर विनय कुमार सिंह, प्रो शाहिद रजा जमाल, डॉ राजीव कुमार, डॉ अवनीश चंद्र पांडेय आदि ने भी विचार रखे। अध्यक्षीय उद्बोधन में विभागाध्यक्ष डॉ शिव कुमार मंडल ने कहा कि फणीश्वरनाथ रेणु ने उपन्यास, कहानी, रिपोर्ताज, शब्द चित्र, यात्रा वृतांत, कविता लेखन, सिनेमा आदि के जरिए कम समय में अपने समय के स्पंदन को अपने साहित्य में दर्ज किया। उनका लेखन सही अर्थों में भारत की बहुसंख्यक जनता के जीवन का दर्पण है।

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