वेंडरों का लाइसेंस नवीकरण नहीं होने से स्टांप पेपर का संकट
करण नहीं होने से स्टांप वेंडरों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। स्टांप वेंडर सदनंद पाठक ने बताया कि हर साल लाइसेंस नवीकरण होता है। पुराने रजिस्टर को जम

मुंगेर, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। स्टांप पेपर बेचने वाले वेंडरों के लाइसेंस का नवीकरण नहीं हो पाया है। इससे 10 दिनों से स्टांप पेपर(नॉन ज्यूडिशियल) का संकट बना हुआ है। हालांकि ई. स्टांप पेपर उपलब्ध है। लेकिन शपथ पत्र, सहमति पत्र, केवाला का नकल निकालने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लाइसेंस नवीकरण नहीं होने से स्टांप वेंडरों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। स्टांप वेंडर सदनंद पाठक ने बताया कि हर साल लाइसेंस नवीकरण होता है। पुराने रजिस्टर को जमा करने के बाद लाइसेंस नवीकरण कर नया रजिस्टर मिलता है, इसके बाद ही स्टांप की बिक्री कर सकते हैं। लाइसेंस नवीकरण नहीं होने से 15 अप्रैल से स्टांप पेपर की बिक्री बंद है। स्टांप पेपर की जरूरत वाले लोगों को परेशानियों के साथ वेंडरों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। रोज करीब 40 से 50 हजार के स्टांप पेपर की बिक्री होती थी। जानकारों ने बताया कि ई. पेपर उपलब्ध है लेकिन केवाला का नकल निकालने, किरायानामा, मोर्गेज, जरबियाना, आपसी समझौता आदि मामले में 100 या इससे अधिक के शपथ पत्र की जरूरत होती है।
ईं. स्टांप की बिक्री में आई तेजी: स्टांप पेपर उपलब्ध नहीं रहने से ई. स्टांप की बिक्री में तेजी आयी है। निबंधन कार्यालय स्थित ई. स्टांप केन्द्र (अधिकृत संग्रहण केन्द्र) के प्रभारी मो. मुनीशउद्दीन ने बताया कि स्टांप पेपर उपलब्ध नहीं होने से
ई. स्टांप की बिक्री में इजाफा हुआ है। खासकर 100 रुपये के ई. स्टांप की अधिक मांग है। 10 दिनों से रोज करीब 100 रुपये के 50 से 60 ईं. स्टांप की बिक्री हो रही है।
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