सुविधाओं से महरूम है अंबेदकर नगर, नाले साफ नहीं हुए तो फिर डूबने का डर
मुजफ्फरपुर के अंबेदकर नगर में बुनियादी सुविधाओं की कमी है। यहाँ के लोग वर्षा के मौसम में घुटनों तक पानी में चलने को मजबूर हैं। निगम ने दो दशक पहले सड़क और नाला बनाया था, लेकिन रखरखाव की कमी से स्थिति...
मुजफ्फरपुर। शहर के सबसे पुराने बसे इलाकों में से एक है गोला बांध रोड। मुजफ्फरपुर नगर निगम के वार्ड नंबर 18 में इसका अधिकतर हिस्सा पड़ता है। दुर्गा स्थान की तरफ से इस रोड में करीब 150 मीटर आगे बढ़ने पर दाहिनी तरफ अंबेदकर नगर है। 100 घरों की बसावट वाली इस बस्ती की आबादी करीब सात सौ है, लेकिन लोग दशकों से बुनियादी सुविधाओं से महरूम है। पेयजल तक की किल्लत है। बरसात में तीन महीने घुटनों तक पानी पार कर आने-जाने की मजबूरी रहती है। दो दशक पहले नगर निगम ने सड़क और नाला बनवाया, लेकिन उसके बाद रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया।
नतीजतन गाद भरने से नाले जाम हो गए हैं। सड़क की स्थिति चलने लायक नहीं है। लोगों का कहना है कि जिम्मेदार अगर समय रहते ध्यान नहीं दिए तो इस बरसात भी मोहल्ले का डूबना तय है। शहर का दशकों पुराना मोहल्ला अंबेदकर नगर बुनियादी सुविधाओं के मामले में हाशिये पर है। यहां के राजेश पासवान ने बताया कि यह मोहल्ला काफी पुराना है। उनके दादा समाजसेवी जंगी पासवान ने इसे बसाया था। आज से तीन दशक पहले भी बस्ती के लोगों को न तो शुद्ध पेयजल नसीब था और न आज मिल पा रहा है। उससे भी बड़ी समस्या बरसात के समय तीन महीने घुटनों तक पानी पार कर आवागमन की मजबूरी है। दो दशक पहले निगम ने सड़क और नाला बनवाया, लेकिन उसके बाद से रखरखाव के अभाव में नाले में गाद भरने से जाम हो गया। सड़क भी अब कई चलने लायक नहीं रह गई है। मोहल्ले की प्रमिला, रानी और पूजा कहती हैं कि यहां रहनेवाले अधिकतर लोग गोला रोड, राम भजन मार्केट और शहर की अन्य मंडियों में हाथ ठेला चलाते हैं या ऑटो रिक्शा चलाकर आजीविका चला रहे हैं। चुनाव से पहले वोट मांगने आने वाले हर तरह की सुविधा उपलब्ध कराने का वादा करके चले जाते हैं, लेकिन जीतने के बाद वे फिर पलट कर नहीं देखते हैं। घर के पुरुष सदस्यों के बाहर चले जाने के बाद घर का सारा काम हम महिलाओं को ही करना पड़ता है। बरसात में घुटनों तक पानी पार कर आने-जाने की विवशता है। गंदे पानी से होकर बच्चों को भी स्कूल भेजना पड़ता है। आसपास के मोहल्लों का पानी भी हो जाता है जमा : स्थानीय शिवजी प्रसाद गुप्ता, गंगा सागर, रंजीत महतो ने बताया कि यह मोहल्ला काफी नीचे बसा हुआ है। इसका यह होती है कि आसपास के नाले का पानी भी इधर ही आकर लग जाता है। खासकर गांधी पुस्तकालय और राम भजन मार्केट से निकले नालों का पानी यहीं आकर जमा हो जाता है। जनप्रतिनिधियों का ध्यान इस ओर कई बार दिलाया गया, लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिला। स्ट्रीट लाइट नहीं, शाम ढलते ही छा जाता है अंधेरा : मोहल्ले के जितेंन्द्र प्रसाद, गीता देवी, पूजा देवी का कहना है कि यह बस्ती शहर के बीचोंबीच है, लेकिन शाम होते ही अंधकार में डूब जाती है। बिजली रहने के बावजूद रोशनी का कोई प्रबंध नहीं है। एक भी खंभे पर स्ट्रीट लाइट नहीं होने से अंधेरे में आना-जाना करना पड़ता है। कुत्तों के आतंक से लोग डरे रहते हैं। गांधी पुस्तकालय से लेकर बस्ती तक में अंधेरा रहता है। पानी का प्रेशर कम, 15 मिनट में भरती है बाल्टी : स्थानीय सिया देवी, फुलो देवी, मुन्नी देवी का कहना है कि अधिकतर परिवार गरीब हैं। पुरुष जब दिहाड़ी कमाने चले जाते हैं तो महिलाएं खाली बैठी रहती हैं। जिला प्रशासन को चाहिए कि हमलोगों को रोजगारपरक प्रशिक्षण दिलाया जाए। वहीं, गोपाल प्रसाद का कहना है कि रोजगार के अलावा सबसे बड़ी समस्या पेयजल की है। इतना कम प्रेशर में पानी आता है कि छोटी सी बाल्टी भरने में भी 15 से 20 मिनट लग जाते हैं। बोले जिम्मेदार : लोगों की परेशानियों से अवगत हूं। मोहल्ले की समस्याओं का समाधान हमारी प्राथमिकता में शामिल है। नया नाला बनाने की कवायद शुरू की जा चुकी है। इससे जलजमाव की समस्या जल्द ही दूर होगी। जहां तक स्ट्रीट लाइट की बात है, तो इसके लिए निगम बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव पारित किया जा चुका है। खरीदारी होते ही लाइटें लगा दी जाएंगी। कुत्तों के आतंक से मुक्ति दिलाने के भी उपाय किए जा रहे हैं। -संजू देवी, पार्षद, वार्ड 18
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