शहर की हवा में मानक से सात गुना अधिक महीन धूलकण
मुजफ्फरपुर की हवा में मानक से सात गुना अधिक महीन धूलकण हैं। MIT के अध्ययन में पाया गया कि एक वर्गमीटर में 70 ग्राम महीन धूलकण हैं, जबकि मानक 10 से 20 ग्राम होना चाहिए। शोधकर्ताओं ने सड़क किनारे घास...

मुजफ्फरपुर, मृत्युंजय। मुजफ्फरपुर की हवा में मानक से सात गुना अधिक महीन धूलकण हैं। एमआईटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के अध्ययन में यह बात सामने आई है। एमआईटी के सिविल ब्रांच से एमटेक कर रहे ऋषिकेश ने विभाग के प्रो. आशीष कुमार के दिशा निर्देश में यह अध्ययन किया है। यह अध्ययन अब रिसर्च जर्नल में प्रकाशित होने जा रहा है।
प्रो. आशीष कुमार और ऋषिकेश ने अपने अध्ययन में पाया गया कि मुजफ्फरपुर में महीन धूलकण अधिक हैं। इस कारण यह वायुमंडल में जाकर फंस जा रहे हैं। ऋषिकेश के मुताबिक इन महीन धूलकण को तकनीकीश भाषा में सिल्ट लोड कहा जाता है। मुजफ्फरपुर में सिल्ट लोड काफी ज्यादा है। कॉलेज की इस रिसर्च टीम ने एमआईटी, बैरिया, जीरोमाइल और उसके आसपास जाकर धूलकणों का अध्ययन किया था।
एमआईटी के अध्ययन में पाया गया कि मुजफ्फरपुर में एक वर्गमीटर क्षेत्र में 70 ग्राम महीन धूलकण हैं, जबकि मानक के अनुसार इसकी संख्या 10 से 20 ग्राम होनी चाहिए। अध्ययन करने वाले ऋषिकेश ने बताया कि महीन धूलकण वायुमंडल में जाकर अटक जाते हैं। अगर धूलकण भारी होंगे तो वह जमीन से ऊपर उड़ेंगे ही नहीं। प्रो. आशीष कुमार का कहना है कि महीन धूलकणों का वायुमंडल में ऊपर जाने से रोकने के लिए सड़कों के किनारे घास लगाई जानी चाहिए। घास लगाए जाने से एयर क्वालिटी इंडेक्शन में काफी सुधार होगा।
गाड़ियों के धुएं से मिलकर शरीर में जा रहे धूलकण :
प्रो. आशीष का कहना है कि सड़क किनारे उड़ने वाले ये महीन धूलकण गाड़ियों के धुएं के साथ मिलकर हमारे शरीर में प्रवेश कर रहे हैं। वहीं, छात्र ऋषिकेश ने बताया कि हमारे नाक के अंदर जो बाल रहते हैं उनकी क्षमता मोटे धूलकणों को रोकने की होती है। इन महीन धूलकणों को वे नहीं रोक पाते हैं। नाक के रास्ते ये धूलकण हमारे फेफड़ों में जाकर बैठ जाते हैं।
अध्ययन में रोड शोल्डर बनाने का दिया गया सुझाव :
अध्ययन में एमआईटी की रिसर्च टीम ने इस महीन धूलकण को रोकने के लिए रोड शोल्डर बनाने का सुझाव दिया है। अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि रोड शोल्डर बनाने से प्रदूषण फैलाने वाले पीएम 2.5 और पीएम 10 में कमी आएगी। बताया गया कि मुजफ्फरपुर के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में आने के कारण बूढी गंडक नदी से भी बड़ी संख्या में महीन धूलकण निकलते हैं।
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