Vaishali Express Turns 41 Celebrating 41 Years of Service and Excellence तीन करोड़ को मंजिल तक पहुंचा चुकी वैशाली एक्सप्रेस 26 को 41 साल की हो जाएगी, Muzaffarpur Hindi News - Hindustan
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तीन करोड़ को मंजिल तक पहुंचा चुकी वैशाली एक्सप्रेस 26 को 41 साल की हो जाएगी

26 जनवरी को वैशाली एक्सप्रेस 41 साल की हो जाएगी। 1984 में इसका नाम बदला गया था। यह उत्तर बिहार की पहली एसी ट्रेन है और अब तक तीन करोड़ यात्रियों को सफर करा चुकी है। इसे दुल्हन की तरह सजाकर चलाने की...

Newswrap हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुरWed, 22 Jan 2025 06:55 PM
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तीन करोड़ को मंजिल तक पहुंचा चुकी वैशाली एक्सप्रेस 26 को 41 साल की हो जाएगी

मुजफ्फरपुर, सोमनाथ सत्योम। अगले गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी को सहरसा-नई दिल्ली वैशाली एक्सप्रेस 41 साल की हो जाएगी। 26 जनवरी 1984 को जयंती जनता से नाम बदलकर वैशाली किया गया था। इसके बाद से यह वैशाली सुपरफास्ट के नाम से चल रही है। उत्तर बिहार की पहली एसी ट्रेन होने का भी इसे गौरव प्राप्त है। बरौनी-समस्तीपुर-मुजफ्फरपुर-हाजीपुर होकर नई दिल्ली जाने वाली वैशाली एक्सप्रेस अबतक तीन करोड़ से अधिक यात्रियों को सफर करा चुकी है। 41वें साल के उपलक्ष्य में ट्रेन को दुल्हन की तरह सजाकर चलाने की तैयारी है। इस दौरान रूट के सभी प्रमुख स्टेशनों पर इसका स्वागत किया जाएगा।

वैशाली एक्सप्रेस की तुलना लोग राजधानी से करते थे। इसका कारण इसका परिचालन समय से होना और हर बोगी सुंदर दिखना था। वैशाली अब भी दिल्ली जाने वालों की पहली पसंद है। इसकी खास बात यह भी है कि अब तक के सफर में यह सबसे कम निरस्त होने वाली ट्रेन है। विलंब भी अन्य ट्रेनों की तुलना में कम रही है।

शुरुआत में पटना के रास्ते भी चली थी यह ट्रेन :

वैशाली एक्सप्रेस बनने से पहले यह ट्रेन जयंती जनता एक्सप्रेस के नाम से पहचानी जाती थी। इसका परिचालन 31 अक्टूबर 1973 को समस्तीपुर से नई दिल्ली के बीच शुरू हुआ था। तत्कालीन रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र ने इसका उद्घाटन किया था। शुरुआत में यह ट्रेन समस्तीपुर से खुलकर बरौनी, मोकामा, पटना के रास्ते नई दिल्ली जाती थी। 2 जनवरी 1975 को समस्तीपुर-मुजफ्फरपुर रेलखंड के बड़ी लाइन में परिवर्तित होने के बाद यह ट्रेन समस्तीपुर से खुलकर मुजफ्फरपुर के रास्ते दिल्ली जाने लगी।

1982 में बरौनी तो 2019 में सहरसा तक हुआ विस्तार :

वर्ष 1982 में इसका विस्तान समस्तीपुर से बरौनी तक किया गया। फिर 7 मार्च 2019 से इसका विस्तार सहरसा तक कर दिया गया। 16 जुलाई 1984 से यह प्रतिदिन चलने लगी। इसमें डाइनिंग और पुस्तकालय की भी सुविधा थी। यह पहली ट्रेन थी, जिसमें यात्रियों के खाने-पीने के लिए डाइनिंग कार कोच भी लगाए गए थे। पहली बार सबसे तेज ट्रेन में शामिल जयंती जनता एक्सप्रेस एसी व स्लीपर कोच से लैस थी। बाद में सामान्य कोच भी जोड़ा गया। सभी कोच भूरे रंग की थी। सीता स्वयंवर पर आधारित ट्रेन के सभी कोच अंदर और बाहर मिथिला पेंटिंग लगाये गये थे।

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