लाखों रुपये का राजस्व देने वाला हिसुआ का बस स्टैंड बदहाल
हिसुआ बस स्टैंड जो हर वर्ष लाखों रुपये का राजस्व देता है, यात्री सुविधाओं के अभाव का सामना कर रहा है। यहां न तो शुद्ध पेयजल है और न बैठने के लिए उचित शेड। स्थानीय प्रशासन की लापरवाही के कारण यात्रियों...

हिसुआ, संवाद सूत्र। प्रत्येक वर्ष लाखों रुपये राजस्व देने वाले हिसुआ बस स्टैंड में यात्री सुविधाओं का घोर अभाव है। यहां से प्रत्येक दिन गया, नवादा, पटना, बिहारशरीफ, रांची, जमशेदपुर, असम और कोलकाता के लिए कई बसें खुलती हैं। जिसमें नित्य दिन हजारों यात्री सफर कर अपने गंतव्य की ओर रवाना होते हैं। इसके साथ ही बोधगया और राजगृह जैसे पर्यटक स्थलों के लिए भी वाहनों का परिचालन होता है। इस महत्वपूर्ण बस स्टैंड में यात्री सुविधाओं की कमी के कारण लोगों को काफी फजीहत झेलनी पड़ती है। इस स्टैंड में यात्रियों के लिए न तो शुद्ध पेयजल की व्यवस्था है और न ही बैठने के लिए बेहतर शेड।
हालांकि पूर्व में नगर पंचायत द्वारा स्टैंड के भीतर पूर्वी और पश्चिमी छोर पर यात्रियों के बैठने के लिए शेड का निर्माण कराया जरूर गया था। लेकिन पूर्वी छोर के यात्री शेड पर एजेंट और पश्चिमी छोर के शेड में गंजेड़ियों का अवैध अघोषित कब्जा जमा रहता है। लिहाजा दोनों शेड यात्रियों के लिए बेकार साबित हो रहा है। नगर परिषद द्वारा संचालित सुलभ शौचालय जरूर है, लेकिन उसके आगे वाहन खड़ रहते हैं। जिसके कारण लोगों को शौचालय होने का पता भी नहीं चल पाता है। इससे शौचालय के ठीकेदार को भी काफी हानि उठानी पड़ती है। कोलकाता जाने वाली बसों का रहता है कब्जा फिलहाल हिसुआ बस स्टैंड जिस जगह पर संचालित होता है, वहां पर्याप्त जगह उपलब्ध नहीं है। कम जगह और अधिक वाहनों के परिचालन होने की वजह से जिले के इस अतिमहत्त्वपूर्ण बस स्टैंड पर सारा दिन कोलकाता आने-जाने वाली बसों का कब्जा बना रहता है। सुबह से लेकर देर शाम तक कोलकाता आने जाने वाली बड़ी-बड़ी लग्जरी बसें खड़ी रहने की वजह से लोकल रूट में चलने वाली वाहनों को यहां पार्क करने की जगह नहीं मिलती है। जिसके कारण इन वाहन के चालकों को मजबूर होकर सड़क किनारे अपनी वाहन खड़ी कर यात्रियों को चढ़ाना और उतारना पड़ता है। लोकल रूट की बसें नहीं खुलती स्टैंड से बता दें कि हिसुआ शहर के विश्वशांति चौक के ठीक बगल में पश्चिमी छोर पर स्थित हिसुआ बस स्टैंड के भीतर सिर्फ कोलकाता आने-जाने वाली बसों का ही परिचालन होता है। जबकि लोकल रूट की बसों एवं अन्य वाहन को जगह कम होने कि वजह से स्टैंड के भीतर से परिचालन नहीं हो पाता है। लिहाजा लोकल रूट में चलने वाली बसों को सड़क किनारे हीं खड़ा कर यात्रियों को चढाने और उतारने की विवशता होती है। जिसके कारण यात्रियों और स्थानीय प्रशासन को काफी समस्याओं से रूबरू होना पड़ता है। अवैध पार्किंग से नित्य दिन जाम की समस्या होती है उत्पन्न प्रशासन की लापरवाही के कारण हिसुआ बस स्टैंड सिर्फ नाम का स्टैंड बनकर रह गया है। एक तो कम जगह और उपर से सारा दिन लम्बी दूरी कि बसों के स्टैंड के भीतर खड़ा होने की वजह से यहां वाहनों का संचालन काफी लापरवाही पूर्ण तरीके से किया जाता है। खासकर विश्वशांति चौक के चारों ओर गया रोड, नवादा रोड, नरहट रोड और राजगृह रोड के दोनों छोर पर वाहनों का अवैध पड़ाव लगा रहता है। जबकि रही सही कसर ई-रिक्शा और टेम्पो चालक जहां-तहां अपनी वाहनों को खड़ी कर पूरी कर देते हैं। जिससे सारा दिन हिसुआवासी जाम की समस्या झेलने को मजबूर होते हैं। बस स्टैंड पर ये होनी चाहिए सुविधाएं जिले के बस स्टैंडों के लिए बेसिक सुविधाएं अनिवार्य हैं। इनमें यात्रियों के लिए पीने योग्य पानी, स्वच्छ शौचालय, बैठने की जगह और बिजली की व्यवस्था अनिवार्य होनी चाहिए। सुरक्षा के लिहाज से स्टैंड को देर रात तक चालू रखने के लिए पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था और पुलिस गश्ती आवश्यक है। नगर परिषद द्वारा नियमित सफाई और निगरानी सुनिश्चित होनी चाहिए। यात्रियों को अन्य रूटों पर जाने के लिए बस सेवाएं उपलब्ध होनी चाहिए, जिससे आवागमन और व्यापारिक गतिविधियां बढ़े। क्षतिग्रस्त भवन और टिकट काउंटर की तत्काल मरम्मत की जानी चाहिए ताकि एक सुरक्षित कार्य वातावरण बन सके। वातानुकूलित विश्रामागार, फूड कोर्ट, मार्केट कॉम्प्लेक्स, रेस्टोरेंट, चार्जिंग प्वाइंट्स, लिफ्ट, और एस्केलेटर जैसी आधुनिक सुविधाओं को भी बस स्टैंड में शामिल किया जा सकता है, लेकिन फिलहाल ये सब सुविधाएं नहीं हैं। ----------------- वाहन पड़ाव की नीलामी हुई पर नहीं मिली अनुमति बताया जाता है कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए नगर परिषद हिसुआ द्वारा वाहन पड़ाव की नीलामी की गई थी। करीब 92 लाख रुपए की उच्च बोली लगाकर नीलामी नरहट इलाके के किसी राजीव कुमार ने अपने नाम की थी। नीलामी तो हो गई, लेकिन नियमानुसार निर्धारित अवधि में डाक धारक ने राशि नगर परिषद को भुगतान नहीं किया। ऐसे में डाकधारक को दैनिक चुंगी वसूली की अनुमति नहीं दी गई। अब नए सिरे से नगर परिषद की ओर से वाहन पड़ाव की नीलामी की तैयारी की जा रही है। -------------------------------- आम लोगों की व्यथा राजगीर-बोधगया मार्ग पर यह बस स्टैंड काफी महत्वपूर्ण है। यात्री सुविधाओं के प्रति विशेष ध्यान देने की जरुरत है। सुलभ शौचालय के आगे बसें खड़ी रहती हैं। जिससे शौचालय के बारे में बाहरी यात्रियों को पता भी नहीं चल पाता है। शैलेश कुमार, हिसुआ। बस स्टैंड में बना दोनों यात्री शेड आमलोगों के उपयोग के लिए नहीं है। एक पर वाहन चालकों का तो दूसरे पर गंजेड़ियों का जमावड़ा लगा रहता है। इस पर धन देने की जरुरत है, ताकि यात्रियों को बैठने की सही जगह मिल सके। रौशन कुमार, हिसुआ। बस स्टैंड में पर्याप्त जगह नहीं होने की वजह से हमें सड़क किनारे वाहन खड़ा कर यात्रियों को चढ़ाने और उतारने की मजबूरी होती है। हमलोग नियमित पार्किंग का भुगतान करते आ रहे हैं। हमारी समस्याओं पर भी नगर परिषद ध्यान दे। सूरज सिंह, बस कंडक्टर। हिसुआ बस पड़ाव से नगर परिषद को सिर्फ अपने राजस्व से मतलब है। यात्रियों की परेशानीयों से कोई मतलब नहीं है। नगर प्रशासन यहां जल्द बुनियादी सुविधा बहाल करे, ताकि यात्रियों को फजीहत नहीं झेलनी पड़े। सुजीत कुमार, ई-रिक्शा चालक। क्या कहते हैं जिम्मेदार बस स्टैंड की समस्याओं से वाकिफ हैं। हाल में सम्पन्न सामान्य बोर्ड की बैठक में बस स्टैंड को तिलैया नदी के समीप उपलब्ध सरकारी भूमि पर शिफ्ट करने का निर्णय लिया गया है। जहां से बसें अपने निर्धारित समय से खुलकर बस स्टैंड आएगी और यात्रियों को बिठाकर अपने गंतव्य की ओर रवाना होगी। इससे वर्तमान स्टैंड में जगह भी उपलब्ध हो जायेगा और यात्रियों को किसी अन्य प्रकार की असुविधा भी नहीं होगी। इसके साथ ही नरहट रोड में चलने वाली ई-रिक्शा को शिवाला और नवादा रोड की ई-रिक्शा को बड़की पुल के समीप और गया रोड की ई-रिक्शा को बिजली ऑफिस एवं राजगीर रोड की ई-रिक्शा को उदासीन संगत के समीप से संचालित करने पर विचार किया जा रहा है। अतिश रंजन, मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी नगर परिषद हिसुआ।
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