Kauakol PHC Building in Ruins Urgent Repairs Needed for Patient Safety कौआकोल पीएचसी का भवन हुआ जर्जर, खतरे की आशंका, Nawada Hindi News - Hindustan
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कौआकोल पीएचसी का भवन हुआ जर्जर, खतरे की आशंका

कौआकोल, एक संवाददाता। देखरेख एवं मरम्मत के अभाव के कारण कौआकोल पीएचसी का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है।

Newswrap हिन्दुस्तान, नवादाMon, 21 April 2025 03:10 PM
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कौआकोल पीएचसी का भवन हुआ जर्जर, खतरे की आशंका

कौआकोल, एक संवाददाता। देखरेख एवं मरम्मत के अभाव के कारण कौआकोल पीएचसी का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। भवन के जर्जर हालत रहने के कारण छत का प्लास्टर टूट टूटकर गिर रहा है। छत के उपर पौधे तथा घास पात उग आए हैं। जिसके कारण बरसात के दिनों में कमरा में ही पानी टपकता है। इसी छत के नीचे डाक्टरों को बैठकर इलाज करने तथा मरीजों को इलाज कराने की मजबूती बनी रहती है। जिससे वहां इलाज कराने आने वाले मरीजों एवं उनके परिजनों तथा डाक्टरों में हमेशा ही खतरा की आशंका बनी रहती है। लिहाजा सरकारी व्यवस्था को लेकर उन लोगों में काफी असंतोष है। क्षेत्र के लोगों की शिकायत है कि इस संबंध में कई बार सीएस से शिकायत की जा चुकी है। भवन की मरम्मत के लिए आग्रह किया जा चुका है। अस्पताल में इलाज कराने आने वाले मरीजों की शिकायत है कि एक तो भवन का जर्जर होने से यहां सुविधाओं की किल्लत है तो दूसरी तरफ अस्पताल परिसर में साफ सफाई की व्यवस्था भी खराब है। अस्पताल परिसर में साफ सफाई की भी समुचित व्यवस्था नहीं रहने से गंदगियों का अंबार लगा हुआ है। भवन पीछे जहां तहां कूड़े का ढेर लगा कर रखा गया है। मरीजों के इलाज के उपयोग में लाए गए सिरिंज, निडिल, दवा के पत्ते आदि यंत्र तत्र बिखरे पड़े हुए रहते हैं। जिसे कोई देखने वाला नहीं है। जिससे अस्पताल में इलाज कराने वाले मरीजों को विभिन्न तरह के इंफेक्शन का खतरा बना रहता है। लोगों की शिकायत है कि जब कभी भी जिले के अधिकारियों का इस अस्पताल में पहुंचने की खबर यहां के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी या स्वास्थ्य प्रबंधक को होती है तो आनन-फानन में अस्पताल परिसर की साफ सफाई करा दी जाती है। बेडों पर दिन के अनुसार रंग बिरंगे के चादर बिछा दिए जाते हैं।और अधिकारियों के जाते ही सभी चादरों को हटा कर रख दिया जाता है। मरीजों को सरकार की ओर दिए जाने वाले चाय, ब्रेड तथा भोजन भी मरीजों को नहीं मिल पाता है। उन्हें अपने घरों से ही लाकर नास्ता एवं भोजन करने होते हैं। अस्पताल में शौचालय आदि की भी व्यवस्था ठीक-ठाक नहीं रहने के कारण मरीजों तथा उनके साथ आने वाले परिजनों को अस्पताल परिसर से बाहर जाकर खुले में शौच करने की विवशता रहती है। जबकि सरकार द्वारा स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से खुले में शौच करने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाकर रखा गया है। 2 लाख 5 हजार की आबादी निर्भर है इस पीएचसी पर कौआकोल प्रखंड की कुल आबादी दो लाख पांच हजार है। तथा यहां गांवों की संख्या 116 है। जिसके इलाज के लिए कौआकोल में एक मात्र पीएचसी की सुविधा है। जिला मुख्यालय से कौआकोल प्रखंड की पूर्वी सीमा पर बसे गांवों की दूरी 55 किलोमीटर है। एरिया भी पूरी तरह से जंगली व पहाड़ी है। जहां अनुसूचित जाति एवं जनजातियों की आबादी अधिक है। चरम पर गरीबी होने के कारण वे लोग पूरी तरह से सरकारी अस्पतालों पर ही आश्रित हैं। पीएचसी से रेफर दिए जाने के बाद अपने मरीजों को इलाज के लिए नवादा या जमुई ले जा पाना इनके लिए काफी कठिन कार्य है। लिहाजा कई बार इलाज के अभाव में मरीजों की जान चली जाती है। वर्जन कौआकोल पीएचसी के भवन का जर्जर हो जाने की समस्या को गंभीरता से लिया गया है। इसके लिए विभाग तथा सरकार से लगातार पीएचसी के लिए ने भवन बनाने की मांग की जा रही है। सरकार द्वारा कौआकोल पीएचसी को अपग्रेड किया जा चुका है और इसके लिए 5 करोड़ 29 लाख रुपए से 30 शैय्या वाला भवन का जल्द ही विभाग द्वारा निर्माण कराए जाने का की स्वीकृति भी मिल चुकी है। बहुत जल्द ही कौआकोल पीएचसी को नया भवन मिल जाएगा। रीना राय, प्रखंड प्रमुख कौआकोल।

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