कौआकोल के वार्ड पांच में पेयजल की समस्या विकराल
कौआकोल प्रखंड के वार्ड संख्या 5 महादलित टोला बीझो में पानी की गंभीर समस्या बनी हुई है। मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत बोरिंग कराए जाने के बावजूद पानी की सप्लाई नहीं हो रही है। ग्रामीणों को पीने...

कौआकोल। एक संवाददाता कौआकोल प्रखंड के मुख्यालय ग्राम पंचायत कौआकोल के वार्ड संख्या 5 महादलित टोला बीझो में पानी की समस्या विकराल बनी हुई है। सरकार की सात निश्चय योजना के तहत आने वाली नल जल योजना की भी सुविधा नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीण देवेन्द्र महतो, राहुल कुमार, इन्द्रदेव महतो आदि ने बताया कि इस वार्ड में मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत आज से लगभग सात वर्ष पूर्व ही बोरिंग कराकर पानी का टंकी लगाया गया। कुछ कुछ लोगों के घरों तक पाइप लाइन भी दुरुस्त कर दिया गया। पर विभाग की निष्क्रियता के कारण आज तक पानी का सप्लाई नहीं हो सका है।
लोग पीने की पानी को लेकर परेशान हो रहे हैं। गौरतलब है कि गर्मी का दस्तक देते ही कौआकोल के विभिन्न कस्बों में पेयजल की समस्या गहराने लगी है। लोग पीने की पानी को लेकर काफी परेशान हैं। प्रखंड के कौआकोल पंचायत के वार्ड संख्या 5 महादलित टोला बीझो में लोगों को पेयजल की संकट से जूझना पड़ रहा है। सरकार द्वारा जल जल की योजना पर लाखों रुपए खर्च किए जाने के बावजूद ग्रामीणों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। उक्त वार्ड में सरकारी मद से लगाए गए चापाकल भी मरम्मति के अभाव में यूं ही बेकार पड़ा हुआ है। उनके समक्ष विकराल बनी हुई पानी की समस्या के प्रति न तो कोई जनप्रतिनिधि गंभीर है और न ही पदाधिकारी। हालांकि सात साल पहले इस वार्ड में मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत बोरिंग कर नल जल बिछाने का काम कराया गया था, लेकिन पाइप लाइन में पानी की सप्लाई नहीं किए जाने के कारण लोगों के घरों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। पाइप भी पूरी तरह से घटिया किस्म का लगाया गया। इसके चलते लोगों को अपनी प्यास बुझाने के लिए कुएं तथा दूर बधार की सबमर्सिबल पर आश्रित रहना पड़ रहा है। वार्ड की तकरीबन 5 सौ की आबादी है प्रभावित कौआकोल पंचायत के वार्ड संख्या 5 में तकरीबन 5 सौ की आबादी है। जो पेयजल संकट का सामना कर रही है। प्रतिदिन महिलाओं को बधार स्थित सबमर्सिबल की ओर दौड़ लगाना पड़ता है या फिर दूसरे में घरों में लगे सबमर्सिबल से पानी लाना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव में नल-जल योजना पर लाखों रुपये खर्च किए गए, लेकिन फायदा शून्य के बराबर है। संबंधित विभाग भी इस दिशा में कार्रवाई नहीं कर रहा। लिहाजा ग्रामीण पीने से लेकर दैनिक उपयोग के लिए पानी की व्यवस्था करने में परेशान हैं। पीएचईडी विभाग की निष्क्रियता के कारण वार्ड में बिगड़े पड़े चापाकलों की मरम्मति भी नहीं हो पा रहा है। उक्त वार्ड में पानी की समस्या बिकराल रहने के बावजूद विभाग के अधिकारियों के उपर किसी तरह का प्रभाव नहीं पड़ रहा है। पीएचईडी विभाग के अधिकारी ने तो कभी कौआकोल आते हैं और न ही समस्या को लेकर गंभीर हैं। पशुपालकों को हो रही ज्यादा परेशानी ग्रामीणों का कहना है कि गांव उत्पन्न हुए पानी की समस्या से सबसे ज्यादा परेशानी पशुपालकों को हो रही है। पानी की समस्या के कारण वे अपनी मवेशियों को टाल के क्षेत्र में लेकर जाने के लिए विवश हो रहे हैं। पशु पालक अभी से असाढ़ माह तक अपनी मवेशियों को लेकर टाल के क्षेत्र में ही रहेंगे। जब बारिश होना प्रारम्भ हो जाएगा तो वे वहां से अपनी मवेशियों को लेकर गांव वापस आएंगे। बहुतों पशुपालक पानी की समस्या को देखते अपनी मवेशियों को बेच देना या रिश्तेदारों के यहां ही भेज देना जरूरी समझ रहे हैं। पानी की विकराल समस्या को लेकर पशुपालक अपनी पशुओं को औने-पौने दाम पर बेच देने के लिए विवश हो रहे हैं।
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