बेमौसम बारिश से 30 फीसदी फसल की क्षति, पर नहीं मिलेगी राहत राशि
नवादा में बेमौसम बारिश और तेज आंधी ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। गेहूं और मक्का की फसलों को भारी क्षति हुई है, जहां 30 फीसदी तक फसलें नष्ट हो गई हैं। कृषि विभाग ने नुकसान का आकलन किया है,...

नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। बेमौसम बारिश और तेज आंधी ने दो दिनों पूर्व जिले भर के किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। बुधवार की रात और गुरुवार की सुबह आई इस आपदा ने खासकर गेहूं और मक्का की फसलों को भारी क्षति पहुंचाई। जिले के विभिन्न प्रखंडों से मिली रिपोर्ट के अनुसार 30 फीसदी तक फसलें नष्ट हो गई हैं। इस बीच, कृषि विभाग फसल क्षति से हुए नुकसान का आकलन कराया गया। किसान सलाहकारों ने गांवों में जाकर फसल क्षति का अनुमान लगाया और आंकड़े समर्पित कर दिए। इस साल गेहूं के मूल्य में बढ़ोतरी होने से किसानों के चेहरे खिले हुए थे। बेमौसम बारिश ने उनकी यह खुशी छीन ली। किसान अपने उत्पाद का अच्छा मूल्य पाने की परिस्थिति बनती देख बहुत उत्साहित थे और आगामी योजनाएं बनाने लगे थे लेकिन इस पर तुषारापात हो कर रह गया। किसान परेशान हैं कि जो गेहूं की फसल भीग गई है, वह भी सलामत रह पाएगी या नहीं। किसान बारिश में भीगे फसलों को आनन-फानन में सूखाने की जुगत लगा रहे हैं। कटनी के बाद खेतों में पड़ी फसलें भी हुईं बर्बाद जिले में लगभग 25 से 30 फीसदी तक गेहूं की कटनी हो गयी थी। बारिश ने इसे बर्बाद कर दिया। मेसकौर बिसिआइत के किसान राम कृष्णा पासवान कहते हैं कि हमने कर्ज लेकर गेहूं और मक्का की फसल लगाई थी। सोच रहे थे कि इस बार मुनाफा होगा, लेकिन आंधी और बारिश ने सब बर्बाद कर दिया। अभी खड़ी गेहूं की फसल थी, जो पूरी तरह से खत्म होने के कगार तक पहुंच गई है। अन्य किसानों ने बताया कि मेसकौर प्रखंड की अधिकांश पंचायतों में खेतों में गेहूं की अभी खड़ी फसलें ही लगीं थीं, जो आंधी में गिर गईं या बारिश में भीग गईं। यहां महज 10 से 15 फीसदी फसल की ही कटनी हो पाई है। इधर, जिले भर में 70 प्रतिशत गेहूं की फसल अब भी खेतों में खड़ी है। 30 फीसदी फसल खेतों में काट कर रखी गई थीं, जो बारिश में भींग कर बर्बाद हो गईं। प्राकृतिक आपदा के बाद जिले की प्रत्येक पंचायतों में किसान सलाहकार खेतों का सर्वे कर रहे हैं। जिसकी रिपोर्ट जिला प्रशासन को भेजी जाएगी। बड़े नुकसान से किसान चिंतित, भविष्य की फिक्र जिले में सबसे ज्यादा प्रभाव गेहूं की फसल पर पड़ा है। हिसुआ बलियारी के किसान सुरेंद्र सिंह बताते हैं कि दो एकड़ में गेहूं लगाया था, जो काफी हद तक नष्ट हो चुका है। गेहूं के रेट में इस बार बढ़ोतरी हुई थी। उम्मीद थी कि अच्छा लाभ मिलेगा, लेकिन सब खत्म हो गया। वारिसलीगंज भेड़िया के किसान शंकर राम ने बताया कि 10 कठ्ठा मक्का की फसल तेज हवा में गिरकर खराब हो गई। अब पशुओं को भी खिलाने लायक नहीं बची। वहीं, हिसुआ सिंघौली के किसान मुसाफिर कुशवाहा और मनोज कुशवाहा ने बताया कि फसल कटाई की तैयारी हो रही थी, लेकिन बारिश ने सब खराब कर दिया। कृषि समन्वयक और किसान सलाहकार जिले के विभिन्न प्रखंडों में आपदा के कारण खराब हुई फसल का सर्वे कर रहे हैं, जिसके बाद करीब 10 एकड़ की फसल, जिसकी कीमत लगभग दो लाख की फसल क्षतिग्रस्त हो जाने का आकलन किया गया है। हालांकि किसान इससे अधिक नुकसान का दावा कर रहे हैं। ---------------------------- आपदा राहत से वंचित रहेंगे जिले के किसान नवादा। जिला कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक आपदा राहत के लिए सरकार की पहल पर क्षति का आकलन करने का सर्वे कराया गया, जिसमें गेहूं की फसल की क्षति का कोई बड़ा आंकड़ा प्राप्त नहीं है। सामान्य रूप से किसानों द्वारा कहा जा रहा है कि नुकसान हुआ है, जिसे मोटे तौर पर आच्छादन का 30 फीसदी भी मान लिया जाए तो आपदा राहत से जिले के किसान वंचित ही रह जाएंगे क्योंकि नियमानुकूल 33 फीसदी की सकल क्षति पर ही आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा किसानों को फसल की क्षति का मुआवजा देने का प्रावधान है। इस बीच, मगही पान उत्पादकों को कुछ नुकसान हुआ है। आंकड़े बताते हैं कि 16.93 हेक्टेयर में पान की क्षति हुई है। कुल आच्छादन के लिहाज से यह भी 30 फीसदी से कम ही है जबकि सब्जी उत्पादन को लेकर लगाए गए शेड नेट वाले 0.2 हेक्टेयर में पॉली हाउस ध्वस्त हो गए हैं, जिसके अंदर शिमला मिर्च की खेती की गयी थी। यह क्षति भी आपदा राहत पाने के लिए नाकाफी है।
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