ओवैसी ने सीमांचल में बिगाड़ा था तेजस्वी का खेल, अब राजद-कांग्रेस से चल रही AIMIM के गठबंधन की बात
साल 2020 के बिहार चुनाव में 20 सीटों पर लड़ने वाली ओवैसी की पार्टी के 5 विधायक जीते थे। पार्टी ने जो पांच सीटें जीती थीं, वो सभी पूर्वी बिहार के मुस्लिम बहुल सीमांचल क्षेत्र में आती हैं, जिसमें अररिया, पूर्णिया, कटिहार और किशनगंज समेत चार जिले शामिल हैं।

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में सीमांचल में तेजस्वी की आरजेडी की खेल बिगाड़ने वाली असदुद्दीन की पार्टी एआईएमआईएम इस बार महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ने का मन बना रही है। लालू की राजद और कांग्रेस पार्टी के साथ बात चल रही है। जिसकी पुष्टि एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल ईमान ने की है। उन्होने कहा कि बिहार में सांप्रदायिक ताकतों को सत्ता तक पहुंचने से रोकने के लिए बड़े अलायंस की जरूरत है। ऐसे में हमने पहल की है। हालांकि फैसला आरजेडी और कांग्रेस को ही लेना है।
साल 2020 के चुनावों को तेजस्वी की आरजेडी को नुकसान पहुंचाने वाले ओवैसी अब उनके साथ आना चाहते हैं। दरअसल बिहार के सीमांचल इलाक़े में 24 सीटे हैं। जिनमें से आधी से ज़्यादा सीटों पर मुसलमानों की आबादी आधी से ज़्यादा है। इन सीटों पर ओवैसी की AIMIM का प्रभाव बीते चुनाव में दिख चुका है। जब चुनावी मैदान में एआईएमआईएम के आने से आरजेडी और कांग्रेस को सीटों का नुकसान तो हुआ है। 20 सीटों पर लड़ने वाली ओवैसी की पार्टी के 5 विधायक जीते थे। पार्टी ने जो पांच सीटें जीती थीं, वो सभी पूर्वी बिहार के मुस्लिम बहुल सीमांचल क्षेत्र में आती हैं, जिसमें अररिया, पूर्णिया, कटिहार और किशनगंज समेत चार जिले शामिल हैं।
हालांकि झटका भी एआईएमआईएम को आरजेडी से ही लगा था, जब उसके पांच विधायकों में से चार विधायक मुहम्मद इजहार असफी (कोचादाम), शाहनवाज आलम (जोकीहाट), सैयद रुकनुद्दीन (बैसी) और अजहर नईमी (बहादुरगंज) राजद में शामिल हो गए थे। प्रदेश एआईएमआईएम अध्यक्ष अख्तरुल ईमान वर्तमान में पार्टी के एकमात्र विधायक (अमौर) हैं। बीते महीने दो दिवसीय बिहार दौरे पर आए ओवैसी ने 50 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही थी। ऐसे में अगर महागठबंधन के साथ ओवैसी जाते हैं, तो कम सीटों पर भी लड़ने को तैयार हो सकते हैं। जिससे एनडीए क मुश्किलें जरूर बढ़ जाएंगी।