फलों की खेती कर प्रेरणाश्रोत बने भवानीपुर के किसान
भवानीपुर के किसान युगेश्वर प्रसाद सिंह ने पारंपरिक खेती से हटकर फल खेती में नए प्रयोग किए हैं। उन्होंने पपीता, अमरूद, और ड्रैगन फ्रूट जैसी फसलें उगाकर न केवल अच्छा मुनाफा कमाया है, बल्कि अन्य किसानों...

भवानीपुर, एक संवाददाता। एक तरफ जहां प्रखंड के किसान पारम्पारिक खेती पर निर्भर हैं वहीं दूसरी तरफ भवानीपुर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत सिंघियान गांव के किसान युगेश्वर प्रसाद सिंह खेती में नित्य नये प्रयोग कर रहे हैं। किसान युगेश प्रसाद सिंह फलों की खेती कर ना सिर्फ अच्छी आमदनी ले रहे हैं बल्कि जिले के किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं। प्रगतिशील किसान युगेश्वर प्रसाद सिंह वर्तमान में दस एकड़ में पपीता, ढाई एकड़ में उन्नत अमरूद, एक एकड़ में ड्रेगन फ्रूट के साथ साथ सेब एवं अन्य फलों की खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनके खेतो में प्रखंड क्षेत्र के अलावे दूसरे प्रखंडों के किसान भी खेती के गुर सीखने आते हैं। जिन्हें उनके द्वारा खेती की उन्नत विधि सिखाने का काम किया जाता है।
खुद नर्सरी में तैयार करते हैं फलों के पौधे
प्रगतिशील किसान युगेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि उसने उड़ीसा से रेड लेडी पपीता के हाइब्रिड पौधे लाकर खेती करना शुरू किया था। उन्होंने बताया कि पूसा कृषि विश्विवद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों के देखरेख में पपीता की खेती आरम्भ किया। परंतु मौसम और स्थानीय मिट्टी के अनुरूप पौधा नहीं होने की वजह से उन्हें उस वक्त पपीता की खेती में बहुत ज्यादा घाटा उठाना पड़ा। घाटा लगने के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने स्वयं से मौसम एवं स्थानीय मिट्टी के अनुकूल पपीता के पौधे तैयार करने की ठानी और स्वयं से नर्सरी डालकर मौसम अनुकूल स्थानीय मिट्टी में फलने वाले पौधे उगाने का काम किया। उन्होंने आरम्भ में एक एकड़ में पपीता लगाने का काम किया। एक एकड़ में पहली बार दो लाख रुपया फायदा होने के बाद उन्होंने स्वयं के नर्सरी में तैयार किये पपीता के पौधों से वर्तमान समय मे दस एकड़ में पपीता की खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पपीता के एक पौधे से औसतन 50 से 60 किलो फल प्राप्त होते हैं। जिससे एक एकड़ में किसान को दो से ढाई लाख रुपया आमदनी हो जाती है ।
विजयवाड़ा से अमरूद का पौधा लाकर शुरू की खेती
प्रगतिशील किसान खेती में नित्य नये प्रयोग करते हुए पपीता के पौधों के बीच बचे खाली जगहों में कुछ नया करने की तरकीब सोच रहे थे। इसमें उन्होंने अमरूद के पौधे लगाने का फैसला लिया। जिसके बाद उन्होंने विजयवाड़ा जाकर अमरूद की खेती करने का प्रशिक्षण लिया और वहां से ताइवान पिंक और ताइवान व्हाईट अमरूद के उन्नत पौधे लाकर अपने खेतों में लगाने का काम किया। वर्तमान समय मे उनके ढाई एकड़ से ज्यादा खेतो में लगे अमरूद के पौधों में फल लदे हुए हैं जिसे बेचकर वह अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं ।
बिहार से लेकर बंगाल तक फलों की मांग
किसान युगेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि वह अपने खेतों में उगाये फलों को स्थानीय बाजार के साथ साथ पटना, भागलपुर, सिवान, छपरा के अलावे पश्चिम बंगाल आदि जगहों पर भेजने का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि बाहर के मार्केट में स्थानीय मार्किट की अपेक्षा उनके फलों की ज्यादा मांग है और वहां उन्हें अच्छी कीमत भी मिल जाती है। फलों की खेती करने में किसानों को आरंभ में थोड़ा सा मुश्किलों का सामना करना पड़ता है लेकिन बाद में सिर्फ उचित देखभाल से सालों भर मुनाफा होता है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।