बेहतर मैदान मिले तो जिले का नाम रौशन करेंगी लड़कियां
समस्तीपुर जिले में महिला एथलेटिक्स को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जिले में खेल मैदान और उपकरणों की कमी है, जिससे खिलाड़ी अपनी प्रतिभा को नहीं निखार पा रही हैं। प्रशासन को खिलाड़ियों की...
समस्तीपुर। जिला खेल और खिलाड़ी की प्रतिभा के लिए जाना जाता है। जिले ने देश को वैभव जैसे युवा किक्रेटर भी दिए हैं। इसके बाद भी जिला प्रशासन खिलाड़ियों को सुविधाएं और उपकरण देने में नाकाम रहा है। महिला खिलाड़ियों ने अपनी समस्याओं पर चर्चा करते हुए कहा कि जिले में एक भी अच्छा खेल मैदान नहीं है। शहर का पटेल मैदान और रोसड़ा का जननायक कर्पूरी स्टेडियम जर्जर हालत में हैं। दौड़ के अभ्यास के लिए अच्छा रनिंग ट्रैक नहीं है। एकल स्पर्धा के लिए अच्छे उपकरण भी उपलब्ध नहीं है। प्रशासन इन जरूरी समान की व्यवस्था कराए तो खिलाड़ियों का नाम होगा। एथलेटिक्स में रनिंग, जंपिंग, थ्रोइंग या वॉकिंग, दौड़,मैराथन, लॉन्ग जम्प, हाई जम्प, वेडलिफ्टिंग जैसी कई स्पर्धाएं शामिल हैं। इसे सामान्य तौर पर ट्रैक एंड फील्ड के रूप में जाना जाता है। एथलेटिक्स एक काफी जोखिम भरा महत्वपूर्ण एकल खेल है। इसे सामान्य तौर पर ट्रैक एंड फील्ड के रूप में जाना जाता है। ट्रैक एंड फील्ड में बालिकाओं-महिलाओं के लिए अलग से ट्रैक होता है, लेकिन समस्तीपुर जिले में इसकी सुविधा नहीं है। यहां खिलाड़ियों की संख्या सर्वाधिक है। एथलेटिक्स खिलाड़ियों के लिए व्यायाम व आहार की भी बहुत जरूरत होती है।
इन संसाधनों की कमी खिलाड़ी झेलने को विवश हैं, लेकिन समस्तीपुर में बालिकाओं के लिए ट्रैक एंड फील्ड की सुविधा नहीं है। सुविधाओं के अभाव के बीच बालिकाएं किसी प्रकार अपना प्रैक्टिश करने को विवश हैं। खेल की अपनी प्रतिभा को उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली बालिकाएं संसाधनों के अभाव में सही रूप से अपनी प्रतिभा को निखार पाने में असमर्थ हो जा रही हैं। 100 मीटर दौड़ से 400 मीटर दौड़, 400 मीटर बाधा दौड़, रिले स्पर्धाएं, जैवलिन थ्रो आदि की प्रतिभा निखारने में अपना जी जान लगा रही है। बावजूद सरकार व खेल मंत्रालय का इस ओर अभी तक समुचित रूप से ध्यान नहीं दिया गया है। जबकि खिलाड़ी सुविधाओं की आस लगाए बैठी हैं।
महिला एथलीट मधु कुमारी, रंजना कुमारी और रुणा कुमारी ने बताया कि को कई तरह की समस्याओं का सामना करने को विवश होना पड़ रहा है। जगह व ट्रैक की कमी से हो रही परेशानी एथलेटिक्स खेल की प्रैक्टिश के लिए कोई अलग से स्थान व ट्रैक नहीं है। अलग से कोई सुविधा नहीं रहने के कारण काफी भीड़ भाड़ वाले पटेल मैदान स्टेडियम व रोसड़ा के यूआर कॉलेज मैदान में प्रैक्टिश करते हैं। इसी स्टेडियम में फुटबॉल, क्रिकेट, वालीबॉल आदि का खिलाड़ी अपना अभ्यास करते रहते हैं। इस कारण महिला एथलीट अपने को काफी असहज महसूस करते हैं। जगह नहीं मिलने की स्थिति में स्टेडियम के बाहर गोला फेकने आदि खेल का अभ्यास करने को विवश रहती है। एथलेटिक्स खेल की अपनी एक अलग गरिमा है।
रंजना कुमारी. शालिनी कुमारी. स्नेहा रे. स्वाति वर्मा ने बताया कि शारीरिक कौशल की आवश्यकता वाले प्रतिस्पर्धी खेलों और खेलों के समूह के लिए एथलेटिक्स काफी रोचक खेल है। एथलेटिक्स खेल प्रतियोगिताओं का एक समूह है जिसमें प्रतिस्पर्धी दौड़ , कूद और फेंकना शामिल है। एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं के सबसे महत्वपूर्ण प्रकार ट्रैक और फील्ड , रोड रनिंग , क्रॉस कंट्री रनिंग और रेसवॉकिंग हैं। इस खेल में शामिल खिलाड़ियों को व्यायाम की अति आवश्यकता है लेकिन इन लोगों को व्यायाम से संबंधित भी सामग्रियों के अभाव का सामना करना पड़ता है। खेल सामग्रियों की भी घोर कमी रहने से उनकी प्रतिभा कुंठित हो जा रही है, जबकि रेसिंग इवेंट के नतीजे फिनिशिंग पोजीशन के आधार पर तय किए जाते हैं। जबकि जंप और थ्रो उस एथलीट द्वारा जीते जाते हैं जो प्रयासों की एक शृंखला से उच्चतम या सबसे दूर माप प्राप्त करता है। प्रतियोगिताओं की सादगी और महंगे उपकरणों की आवश्यकता की कमी, एथलेटिक्स को दुनिया में सबसे आम प्रकार के खेलों में से एक बनाती है। एथलेटिक्स ज्यादातर एक व्यक्तिगत खेल है।
बोले-जिम्मेदार
पंचायत स्तर पर स्पोर्ट्स क्लब के गठन के लिए आवेदन लिया गया है। इसके लिए अलग-अलग पंचायतों से आवेदन आये है। स्पोर्ट्स क्लब के गठन के लिये आने वाले कुछ दिनों में प्रकिया शुरू भी हो जाएगी। मनरेगा के तहत हर पंचायत में खेल मैदान भी बनाया जा रहा है। किसी खिलाड़ी को कोई समस्या हो तो वह कार्यालय में आकर संपर्क कर सकता है। -आकाश, जिला खेल पदाधिकारी, समस्तीपुर
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।