गली-मोहल्लों में अच्छी सड़कें, नल-जल का मिले कनेक्शन
समस्तीपुर नगर निगम का वार्ड-30, जिसमें शम्भूपट्टी, पाहेपुर और राजखंड शामिल हैं, के निवासियों को सड़क, जल निकासी और पेयजल की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। वार्ड की आबादी लगभग पांच हजार है और लोग...

समस्तीपुर। नगर निगम वार्ड-30 दो साल पहले बना है। शम्भूपट्टी, पाहेपुर और राजखंड के इलाके इसमें आते हैं। इस वार्ड की आबादी करीब पांच हजार है। यहां के लोगों का कहना है कि वार्ड के कई मोहल्लों में अच्छी सड़कें नहीं हैं। नाले का निर्माण भी अधूरा पड़ा है। नल जल योजना के पाइप लाइन में कई जगह लिकेज है। लोगों को घर-घर कनेक्शन नहीं मिला है। लोग शुद्ध पेजयल को तरस रहे हैं। इनका कहना है कि निगम को सिर्फ टैक्स से मतलब है। बारिश में जलजमाव के कारण लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
लोगों की मांग है कि बारिश से पहले पुलिस लाइन से विशनपुर तक सड़क का निर्माण होना चाहिए। शहर का वार्ड 30 नगर निगम का नया वार्ड है। शम्भूपट्टी, पाहेपुर और राजखंड के इलाके इसमें आते हैं। यहां के लोग अपने इलाके के विकास के प्रति सजग और सक्रिय हैं। एकता गजब की है। अपने हक के लिए ये हर समय आगे रहते हैं। वैसे यहां हर वर्ग के लोग रहते लेकिन दलितों की संख्या अधिक हैं। कई आर्थिक रूप से मजबूत हैं तो अधिकांश आर्थिक रूप से कमजोर भी हैं। मजदूर पेशा से वे लोग जुड़े हैं। शम्भूपट्टी में विकास के कई काम तो हुए हैं, वर्तमान में भी हो रहे हैं, फिर भी पाहेपुर व राजखंड के इलाकों की कई समस्याएं वहां के लोगों को घेर रखा है। जिन्हें दूर कराने के लिए वे गोलबंद हैं। लगातार वे अपने वार्ड पार्षद पर दबाव भी बना रहे हैं। उनका कहना है कि उनकी सबसे बड़ी समस्या पानी निकासी की है। जिस पर नगर निगम का टालमटोल रवैया है। बरसात में सड़कों पर काफी जल जमाव हो जाता है। यहां सड़कें तो बहुत हैं लेकिन किसी सड़क में नाला नहीं है। पूर्व से बना नाला किसी काम का नहीं है। नाला आधा-अधूरा भी बना हुआ है। इसका जीर्णोद्धार व विस्तारीकरण भी नहीं हो रहा है। पुलिस लाइन से विशनपुर तक नए सिरे से सड़क का निर्माण नहीं किया जा रहा है। इससे लोगों में असंतोष है। पाहेपुर राम टोला में पांच हजार लीटर क्षमता का पानी टंकी का निर्माण अभी तक अधूरा है। पाहेपुर में नल जल योजना से बनी पाइपलाइन जर्जर है। कई जगह पर लिकेज रहने की वजह से पानी निकल कर खेत और सड़क पर बहता रहता है। एक तरह एक-एक बूंद पानी के लिए लोग परेशान रहते हैं तो दूसरी ओर पानी की इस तरह से बर्बादी होती है। एक दर्जन बनी सड़कें जर्जर हाल में हैं। जिनका जीर्णोद्धार नहीं किया जा रहा है। बरसात में नारकीय जीवन लोगों को जीना पड़ता है। भुईधारा, धुरलख, राजखंड व आसिनपुर सीमा से कई इलाकों को जोड़ने वाली आसिनपुर तक सम्पर्क सड़क का निर्माण लोगों की पुरानी मांग है। फिर भी इस समस्या को नगर निगम गंभीरता से नहीं ले रहा है। इससे कई गांवों के लोगों में नगर निगम की व्यवस्था से नाराजगी है। स्ट्रीट लाइट लगाने का मामला नगर निगम के ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। बरसात में लोगों को काफी कष्ट खेलना पड़ेगा। क्योंकि बरसात के पानी में सड़कें डूब जाती हैं और अंधेरा अलग परेशान करता है। स्ट्रीट लाइट लगाने की मांग लोग दो सालों से लगातार कर रहे हैं। 20 सार्वजनिक कुओं में केवल तीन कुओं का ही अभी तक जीर्णोद्धार किया गया है। वह भी गुणवत्तापूर्ण निर्माण नहीं किया गया है। और तो और इनकी सफाई भी करनी थी जिसे छोड़ दिया गया है। गांधी आश्रम पुस्तकालय के साइड से सरकारी पोखर के किनारे सुरक्षा के दृष्टिकोण से दीवार का निर्माण अधूरा छोड़ दिया गया है। यह पोखरा जानलेवा है। क्योंकि दीवार निर्माण पूरा नहीं होने से राह चलते दो लोग अभी तक फिसल कर पोखरे में गिर कर मर चुके हैं। पोखरे की गहराई काफी अधिक है। मांग से काफी कम सार्वजनिक कूड़ा दान नगर निगम से देने से लोग सड़क पर ही व जहां तहां कूड़ा फेंकते हैं, जिससे गंदगी बढ़ रही है। कूड़ा कई दिनों तक पड़ा रहता है। 500 कूड़ादान की मांग की गई थी, जिनमें मिला केवल 18 डस्टबिन। किसी पानी टंकी की सफाई कभी नहीं की जाती है। जिससे लोग गंदा पानी पीने को विवश हैं। कुछ को छोड़ बाकी सरकारी चापाकल उपयोग में नहीं है। इनकी मरम्मत की मांग लंबे समय से लोग करते रहे हैं लेकिन नगर निगम टाल मटोल करता रहता है। इससे नगर निगम की व्यवस्था से लोगों में नाराजगी है। बोले-जिम्मेदार वार्ड 30 की जो समस्या अब तक दूर नहीं हुई हैं, उनको नगर निगम बोर्ड की सशक्त स्थायी समिति व नगर निगम बोर्ड की अगली बैठक के एजेंडे में रखी जाएंगी। वार्ड के अंदर कई नई पीसीसी सड़क नगर निगम ने बनाई है। नए सार्वजनिक कूड़ादान भी दिए गए हैं। मुझ पर शहर के 47 वार्डो को देखने की जिम्मेदारी है। हमारे पास पर्याप्त संसाधन हर समय नहीं होता, फिर भी समस्या की गंभीरता को देख कर उन्हें दूर करने की जरूर कोशिश रहती है। -अनिता राम, मेयर, नगर निगम, समस्तीपुर।
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