काला और लाल धान बनेगा बागेश्वर की पहचान
विकास भवन में कृषि विस्तार कार्यक्रम के तहत कृषक वैज्ञानिक संवाद आयोजित किया गया। इसका उद्देश्य किसानों को काला और लाल धान उगाने के लिए प्रेरित करना था। जिलाधिकारी ने काले धान के बीज वितरित किए और...
विकास भवन सभागार में नेशनल मिशन ऑन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन (नमैट) के अंतर्गत आतमा योजना के तहत कृषक वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम का किया गया। इसका उद्देश्य किसानों को काला और लाल धान जैसी उच्च मूल्य वाली फसलों के उत्पादन के लिए प्रेरित करना था। इस अवसर पर जिलाधिकारी आशीष भटागांई ने प्रगतिशील किसानों को काले धान के बीज भी वितरित किए। जिलाधिकारी ने कहा कि काले धान की बाजार में अत्यधिक मांग है और यह किसानों के लिए आय का एक सशक्त माध्यम बन सकता है। उन्होंने कृषि विभाग को निर्देशित किया कि किसानों को इस दिशा में हर संभव तकनीकी और संसाधनगत सहायता प्रदान की जाए।
उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि वे न केवल स्वयं इस फसल को अपनाएं, बल्कि अन्य कृषकों को भी इसके लाभों से परिचित कराएं। जैविक खेती को समय की मांग बताते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि जैविक रूप से उत्पादित काला और लाल धान न केवल स्वास्थ्यवर्धक होगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी प्रीमियम कीमत भी प्राप्त होगी। उन्होंने कृषि विभाग को निर्देश दिए कि किसानों को केवल उच्च गुणवत्ता वाले बीज ही उपलब्ध कराए जाएं, और इस अभियान को योजनाबद्ध व चरणबद्ध ढंग से संचालित किया जाए। काला और लाल धान की खेती को बढ़ावा देने से न केवल किसानों की आमदनी बढ़ेगी, बल्कि बागेश्वर की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई गति मिलेगी। कार्यक्रम में उपस्थित प्रगतिशील किसानों ने अपने अनुभव साझा किए और जैविक खेती की तकनीकों पर चर्चा की। इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी आर.सी. तिवारी, परियोजना निदेशक शिल्पी पंत, जिला विकास अधिकारी संगीता आर्या, कृषि अधिकारी राजेन्द्र उप्रेती, उद्यान अधिकारी आरके सिंह सहित अन्य अधिकारी और बड़ी संख्या में किसान उपस्थित थे।
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