सियाराम चरण से प्रेम करने से मनोरथ पूर्ण होते हैं: जगतगुरु
सीतामढ़ी में जगतगुरु स्वामी राम भद्राचार्य जी महाराज के श्रीमुख से श्रीराम कथा का दिव्य प्रवचन चल रहा है। कथा के दूसरे दिन माता सीता के प्रकट होने की भूमि पुनौराधाम पर विस्तार से कथा सुनाई गई। जगतगुरु...
सीतामढ़ी,हिंसं। जगतगुरु तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामानंद चार्य स्वामी श्री राम भद्राचार्य जी महाराज के श्रीमुख से श्रीराम कथा का दिव्य प्रवचन चल रहा है। सीता प्रेक्षागृह जानकी जन्मभूमि पुनौराधाम में कथा के दूसरे दिन मंगलवार को जगत जननी माता सीता जी के पुनौरा में प्राकट्य पर विस्तार से कथा सुनाई। जगतगुरु ने कहा माता सीता की प्राकट्य भूमि पुनौराधाम में कथा जानकी जी की कृपा से होती है। प्रथम आचार्या, बहुरानी एवं जगत जननी माता सीता की कृपा से सोलहवें वर्ष कथा हो रही है। मिथिला का सत्कार व आदर भाव अद्वितीय प्रेम प्रतीक है। इसलिए प्रतिवर्ष कथा कहने आता हूं। मिथिला के प्रेम से बंधकर श्रीराम कथा सुना रहा हूं। अवध के नाते गुरु गोत्रि हूं इस नाते सीता जी बड़ी बहुरानी हैं। भगवान राम विश्वामित्र के यज्ञ रक्षा में ताड़का सुबाहु वध किए। राजा जनक ने धनुष यज्ञ रक्षा के लिए गुरु विश्वामित्र जी समेत राम, लखन को निमंत्रण भेजा। सीता स्वयंवर में सब राजा महाराजा आए। ईश्वर के दर्शन मात्र से हृदय की वासना खत्म हो जाती है। मन निर्मल व पावन हो जाता है। मन की सारी इच्छा समाप्त हो जाती है। राम को निहारने के बाद जनक जी को परमात्मा प्रेम की अनुभूति हुई। जगतगुरू ने कहा कि सियाराम चरण से प्रेम करने से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। रावण का सामना सिर्फ राम ही कर सकते थे। इसलिए जनक जी ने धनुष यज्ञ रक्षा के लिए विश्वामित्र संग राम लखन को बुलाने का संवाद भेजा। सीताराम परम ब्रह्म हैं तो सीता कार्य ब्रह्म हैं। सीताराम विवाह अलौकिक विवाह है। जिसकी व्याख्या आज भी गायन द्वारा होता है।मिथिला में सीता स्वयंवर सीता विवाह कथा त्रेतायुग से आजतक गायन होता रहा है।राम सच्चिदानंद ब्रह्म अवध में हैं। सीता मिथिला में परम ब्रह्म हैं। दोनो ब्रह्म हैं। दोनों एक हैं। कोई भेद नहीं है। सीताराम एक हैं। कथा में रघुनाथ तिवारी, मारुति नन्दन पांडेय, त्रिपुरारी सिंह, मधुकर राय, जितेश कुमार, रंजन कुमार, अन्नू श्रीवास्तव, बाल्मीकि कुमार उपस्थित रहे।
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