पराक्रमी सेना की बहादुरी यादकर जोश में आ जाते हैं लोग
रघुनाथपुर, एक संवाददाता। आपदा से बचाव के लिए चलाए जाते पुर्नवास कार्यक्रमआपदा से बचाव के लिए चलाए जाते पुर्नवास कार्यक्रमआपदा से बचाव के लिए चलाए जाते पुर्नवास कार्यक्रम

रघुनाथपुर, एक संवाददाता। भारत-पाकिस्तान के युद्धों के दौरान पाकिस्तान को धूल चटाने वाले हमारे पराक्रमी योद्धाओं की वीरता को याद करते हुए परशुरामपुर गांव के वशिष्ठ राय ने बताया कि युद्ध जीतने के बाद जगह-जगह सैनिकों को सम्मानित किया गया। शहरों में कुछेक जगहों पर लोगों को मॉकड्रिल के माध्यम से बचने की प्रैक्टिस कराई गई। घर से बाहर निकलकर खुले मैदान में चले जाने की सलाह दी गई। निखती खुर्द गांव के मनी भक्त ने कहा कि जब 1971 का युद्ध हुआ तो हमारे उम्र के लोग पढ़ाई कर रहे थे। गोरखपुर एयरफोर्स स्टेशन से लगातार युद्ध विमान इसी क्षेत्र से होकर उड़ान भर रहे थे।
वशिष्ठ राय ने बताया कि 1965 के युद्ध के दौरान प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री का देश के नाम संबोधन रेडियो पर सुना गया। उस समय कहीं-कहीं पर किसी-किसी के यहां रेडियो हुआ करता था। उस समय रेडियो खरीद लेना सबके बस की बात नहीं थी। युद्ध की जानकारी आज की तरह उस समय अपडेट हमलोगों को नहीं मिल पाती थी। आज तो पल-पल की जानकारी मिल रही है। 1965 की जंग के बाद ताशकंद समझौते के दौरान लाल बहादुर शास्त्री के निधन की खबर ने सबको दुखी कर दिया था। युद्ध में भारत की जीत हुई तो मनी थी खुशियां युद्ध में जब भारत की जीत हुई और पाकिस्तान के 2 टुकड़े हुए तो गांवों में भी जश्न देखने को मिला। कॉलेज के छात्र खूब जश्न मनाए थे। रघुनाथपुर गांव के विजय भूषण तिवारी ने बताया कि पाकिस्तान के 90 हजार से ज्यादा सैनिकों ने भारतीय जांबाजों के सामने सरेंडर किया था। भारतीय फौज ने पाकिस्तान के कई हिस्सों पर कब्जा कर लिया था। लेकिन, शिमला समझौता में पाकिस्तान से जीता क्षेत्र वापस कर दिया गया।
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