This school in Bihar 2000 students only 1 teacher of Arts education mere formality ACS Siddharth बिहार के इस स्कूल में 2 हजार विद्यार्थी, टीचर मात्र 1, वह भी आर्ट्स के; एस सिद्धार्थ के रहते पढ़ाई की खानापूर्ति?, Bihar Hindi News - Hindustan
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बिहार के इस स्कूल में 2 हजार विद्यार्थी, टीचर मात्र 1, वह भी आर्ट्स के; एस सिद्धार्थ के रहते पढ़ाई की खानापूर्ति?

ढाका प्रखंड के सबसे पुराने स्कूल ढाका उच्च माध्यमिक स्कूल में प्लस टू के तीनों संकाय में करीब दो हजार छात्र छात्राएं हैं लेकिन शिक्षक महज एक हैं वह भी केवल अर्थशास्त्र के। उक्त स्कूल में प्लस टू में आर्ट्स संकाय में 793, साईंस में 280 व कॉमर्स में 56 छात्र, छात्राएं नामांकित हैं।

Sudhir Kumar हिन्दुस्तानFri, 25 April 2025 04:35 PM
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बिहार के इस स्कूल में 2 हजार विद्यार्थी, टीचर मात्र 1, वह भी आर्ट्स के; एस सिद्धार्थ के रहते पढ़ाई की खानापूर्ति?

बिहार के पूर्वी चंपारण में एक ऐसा स्कूल जहां दो हजार छात्र पर महज एक शिक्षक पदस्थापित है। यह स्कूल है ढाका उच्च माध्यमिक स्कूल। सरकार जहां स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए शिक्षकों को घर घर घूमकर नामांकन अभियान चलाने का निर्देश दे रही है वहीं दूसरी ओर स्कूलों में शिक्षकों की कमी की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। शिक्षा व्यवस्था में सुधार का दावा करने वाले केके पाठक और डॉ एस सिद्धार्थ जैसे अधिकारियों के होते भी विद्यालय में शिक्षकों की बहाली नहीं हो सकी।

ढाका प्रखंड के सबसे पुराने स्कूल ढाका उच्च माध्यमिक स्कूल में प्लस टू के तीनों संकाय में करीब दो हजार छात्र छात्राएं हैं लेकिन शिक्षक महज एक हैं वह भी केवल अर्थशास्त्र के। उक्त स्कूल में प्लस टू में आर्ट्स संकाय में 793, साईंस में 280 व कॉमर्स में 56 छात्र, छात्राएं नामांकित हैं। वहीं ग्यारहवीं में नामांकन जारी है, जिसमें करीब एक हजार छात्र, छात्राओं का नामांकन पाइपलाइन में है। लेकिन यहां न तो साईंस में एक शिक्षक है और न हीं कॉमर्स में। आर्ट्स संकाय में केवल एक शिक्षक हैं। इस कारण स्कूल में पढ़ाई नहीं होती है।

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बिना शिक्षक के ही स्कूल चल रहा है। यहां के छात्र, छात्राएं या तो ट्यूशन कोचिंग के भरोसे पढा़ई पूरी करते हैं या स्वयं पढ़ाई कर। शिक्षक नहीं रहने से छात्र, छात्राएं भी स्कूल में नहीं आते हैं। बगैर पढ़ाई किये ही इस स्कूल के बच्चे इंटर की परीक्षा देते है। इस स्कूल से बेहतर रिजल्ट भी पिछले दिनों आते रहा है। छात्र-छात्राओं का कहना है कि स्कूल में शिक्षक नहीं रहने की वजह से पढ़ाई नहीं होती है। सेल्फ स्टडी और कोचिंग पढ़कर परीक्षा देते हैं।

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क्या कहते हैं प्रधानाध्यापक

शिक्षकों की कमी से पढ़ाई तो बाधित होती ही है। जो शिक्षक मौजूद है वहीं शिक्षक प्लस टू के छात्रों को भी पढ़ाते है। सभी शिक्षक प्लस टू के पढ़ाने के योग्य है। शिक्षकों की कमी को लेकर कई बार जिला को पत्र भेजा जा चुका है। -रीता कुमारी, एचएम

नौवीं व दसवीं में भी शिक्षकों की संख्या है काफी कम

ढाका उच्च माध्यमिक विद्यालय में नौवीं व दसवीं के लिए शिक्षकों की कमी है। यहां दोनों वर्गों में 15 सेक्शन है। लेकिन शिक्षकों की संख्या महज 14 है। इन 14 में एक एचएम भी शामिल है। कभी कभी एक दो शिक्षक के छ्ट्टी में या ट्रेनिंग में चले जाने के कारण परेशानी और बढ़ जाती है। शिक्षकों की कमी के कारण एक सेक्शन को दूसरे सेक्शन में शामिल कर पढ़ाई की जाती है। दसवीं में 1360 नामांकित छात्र छात्राएं है।

नौवीं से बारहवीं तक में उर्दू के एक भी शिक्षक नहीं

वर्ग नौ से बारहवीं तक उर्दू विषय के एक भी शिक्षक यहां नहीं पदस्थापित नहीं है। इस कारण यहां उर्दू विषय की पढ़ाई नहीं होती है। जबकि यहां नौवीं से बारहवीं तक उर्दू विषय के छात्र छात्राओं की संख्या 654 है। उर्दू विषय के छात्र छात्राओं की अच्छी खासी संख्या होने के बावजूद यहां उर्दू विषय का शिक्षक नहीं होने से छात्र-छात्राओं को पढ़ाई करने में काफी परेशानी हो रही है।