दिल्ली-मुंबई के नंबर पर बिहार में दौड़ा रहे हैं कार तो कभी भी उठा ले जाएगी सरकार
दिल्ली, मुंबई और दूसरे शहरों से खरीदकर या खुद लेकर बिहार लौट गए लोगों को अपनी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन अपने जिले में करवा लेना चाहिए नहीं तो 1 साल के बाद परिवहन विभाग कभी भी वाहन को जब्त कर सकता है।

दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और दूसरे राज्यों से अपने साथ वहां की कार और बाइक लेकर घर लौट आने वालों को सतर्क हो जाने की जरूरत है। अगर आपने दूसरे राज्यों में रजिस्टर्ड वाहन को बिहार लाने की खबर जिला परिवहन पदाधिकारी को एक सप्ताह के अंदर नहीं दी और एक साल के अंदर उसका रजिस्ट्रेशन बिहार में नहीं करवाया तो गाड़ी जब्त हो जाएगी। इस काम में विभाग सीसीटीवी कैमरों की मदद ले रहा है। परिवहन विभाग का अनुमान है कि 20 से 25 हजार गाडियां बिहार हर साल आ रही हैं लेकिन उनमें महज एक हजार वाहनों की खबर परिवहन विभाग को दी जाती है। बाकी गाड़ियां दूसरे राज्यों के नंबर पर ही बिहार में दौड़ रही हैं।
परिवहन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मात्र पांच फीसदी मालिक ही बाहर से गाड़ी लाकर यहां रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं। कभी ट्रांसफर तो कभी बिजनेस या फिर अन्य कारणों से लोग वाहन लेकर बिहार आते हैं। इसको लेकर परिवहन विभाग सजग हो गया है। अन्य राज्यों की नंबर वाली गाड़ियों को चिह्नित किया जा रहा है। ऐसी गाड़ियों को सीसीटीवी से खोजकर डेटा बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। डेटा बनाने के बाद इन गाड़ियों का स्टेटस देखा जाएगा कि किस शहर से गाड़ी आई है और कब से बिहार में चल रही है।
एक साल के अंदर मौजूदा पता वाले राज्य का रजिस्ट्रेशन नंबर लेना चाहिए
दूसरे राज्यों से आने वाली गाड़ियों का बिहार में पंजीकरण अनिवार्य है। यह एक साल के अंदर हो जाना चाहिए। इससे पहले इसकी सूचना सात दिनों के अंदर डीटीओ को दी जानी चाहिए। लेकिन गाड़ी मालिक सजग नहीं हैं। बिहार में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट का नियम है। लेकिन दूसरे राज्यों से आने वाली बहुत कम गाड़ियों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगा रहता है। बिहार के काफी लोग चंडीगढ़, हरियाणा, दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों से पुरानी गाड़ियां सस्ते दाम पर खरीदकर लाते हैं लेकिन निर्धारित समय के अंदर उसका रजिस्ट्रेशन अपने जिलों में करवाने के बदले दूसरे राज्य के नंबर पर ही उसे चलाते रहते हैं।