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Hindi Newsओपिनियन Hindustan aajkal column by shashi shekhar 11 May 2025

पाक के परमाणु बम पर सोचें

भारत ने साबित कर दिया कि हम पाकिस्तानी नेताओं और रावलपिंडी के जनरल साहबान की उन भभकियों से नहीं डरने वाले कि हम परमाणु हमला कर देंगे। पिछले तीन दशकों से यह धमकी सुनते-सुनते हिन्दुस्तान सहित समूची दुनिया …

Shashi Shekhar लाइव हिन्दुस्तानSat, 10 May 2025 08:33 PM
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पाक के परमाणु बम पर सोचें

युद्ध की आशंकाओं से लरजती शनिवार की शाम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ट‌्वीट शांति की समझ लेकर आया। उन्होंने दोनों देशों को बधाई दी कि वे संपूर्ण संघर्ष-विराम के लिए तैयार हो गए हैं। बाद में भारत और पाकिस्तान, दोनों ने इसकी पुष्टि की।

जो लोग अमन चाहते थे, उनके लिए यह खबर यकीनन सुकूनदेह है। जंग किसी समस्या का हल नहीं, पर क्या हमारे ऊपर थोपे जाने वाले आतंकवाद की आहटें हमेशा के लिए थम गईं? तत्काल इसका जवाब देना असंभव है, पर एक बात तय है कि भारत ने अपना तात्कालिक लक्ष्य हासिल कर लिया है। पाकिस्तान में चल रहे आतंक के तमाम अड‌्डे ध्वस्त किए जा चुके हैं। पड़ोसी के साथ समूची दुनिया को संदेश मिल गया है कि अब पुरानी रवायत नहीं चल सकती।

भारत का रुख हमेशा की तरह साफ था कि हम युद्ध नहीं चाहते। हमारी लड़ाई किसी मुल्क से नहीं, बल्कि आतंकवादियों से है। उन आतंकवादियों से, जो हमारे सपूतों के खून से अपने हाथ धोकर पाकिस्तान के अपने शरणालयों में चले जाना चाहते हैं। हम उनके उन आकाओं का खात्मा चाहते हैं, जिन्होंने पिछली 22 अप्रैल को पहलगाम की बैसरन घाटी में धार्मिक आधार पर 26 भारतीयों की हत्या की साजिश रची। उन्हें खत्म करना, हमारी पवित्र जिम्मेदारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में नई दिल्ली की सरकार ने यही तो किया।

दुर्भाग्य से पाकिस्तान अपनी पांच हजार साल पुरानी रवायत को भूल गया है। धर्म जोड़ने के लिए होता है, तोड़ने के लिए नहीं। भरोसा न हो, तो उनकी मिसाइलों के नाम देख लीजिए- गजनी, अब्दाली और न जाने क्या-क्या! वे भूल कैसे गए कि मध्य एशिया से आने वाले आक्रामकों ने सबसे पहले हिन्दुस्तान की उसी सरजमीं पर कदम रखा था, जिसे आज पाकिस्तान कहते हैं? सबसे पहली कत्लोगारत और महिलाओं पर अत्याचार वहीं हुए थे।

पड़ोसी मुल्क का दुर्भाग्य है कि उसके रहनुमा हमेशा से नेकी के नाम पर बदी करते आए हैं।

जुल्फिकार अली भुट्टो का नाम तो आपको याद होगा। उन्होंने कहा था- हम भारत से हजार साल तक लड़ेंगे। उनके दोस्त से जानलेवा दुश्मन बने जनरल जियाउल हक हमें हजार घाव देना चाहते थे, ताकि लहू (जान-माल) रिसता रहे और देश कमजोर होता रहे। आज पाकिस्तान के साथ यही हो रहा है। वह जो महंगे मिसाइल और ड्रोन हम पर दागता है, उनको आसमान में ही ठंडा कर दिया जाता है। यह उस देश का आत्मघात नहीं तो और क्या है, जहां एक बोरी आटे के लिए लोग एक-दूसरे की जान लेने पर आमादा हो जाते हैं!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देख-रेख में भारतीय सेनाओं ने सोची-समझी रणनीति और तालमेल के साथ पाक के तमाम शहरों पर सफल हमले किए हैं। पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठानों के साथ इस कार्रवाई के जरिये भारत सरकार ने न केवल पाकिस्तान, बल्कि समूची दुनिया को स्पष्ट संदेश दे दिया कि हमें संयम बरतना आता है, लेकिन अपने ऊपर हुआ हमला हमें बर्दाश्त नहीं। यकीनन, आने वाले वक्त में सैन्य विज्ञान के विद्यार्थी सगर्व पढ़ेंगे कि भारत ने किस तरह उरी, बालाकोट और मई 2025 के प्रतिकार के जरिये परत-दर-परत एक नई सुरक्षा नीति की सर्जना कर दी है।

पाकिस्तान अगर इस मुकाम पर नहीं सुधरा, तो उसका अंजाम और भी बुरा हो सकता है।

भारत ने यह भी साबित कर दिया कि हम पाकिस्तानी नेताओं और रावलपिंडी के जनरल साहबान की उन भभकियों से नहीं डरने वाले कि हम परमाणु हमला कर देंगे। पिछले तीन दशकों से यह धमकी सुनते-सुनते हिन्दुस्तान सहित समूची दुनिया आजिज आ चुकी है। यही वह बिंदु है, जहां मुझे लगता है कि पूरी विश्व बिरादरी को अपने किंतु-परंतु को त्यागकर सोचना होगा कि इतने गैर-जिम्मेदार देश को परमाणु हथियार रखने की इजाजत देनी चाहिए या नहीं?

याद करें, पाकिस्तान ने अपना परमाणु बम लीबिया और कुछ अन्य अरब देशों की इमदाद से बनाया था। भुट्टो और उनके साथी कहते थे कि ‘इस्लामी’ दुनिया को ‘अपना बम’ चाहिए। मैं आतंकवाद को हथियार और जनता को धार्मिक चश्मे की रंगत से नहीं देखना चाहता, लेकिन सच को भी तो नहीं झुठलाया जा सकता। इजरायल ने इसीलिए तो 1970 की दहाई के अंत और 1980 की शुरुआत में पाकिस्तान के कहूटा स्थित परमाणु संयंत्र को नष्ट करने की योजना बनाई थी।

तेल अवीव आज भी अपने इस ‘स्टैंड’ पर कायम है। 11 अक्तूबर, 2023 को इजरायली प्रधानमंत्री ने एक इंटरव्यू में साफ तौर पर कहा था- हमारा सबसे बड़ा मिशन है, कट्टर इस्लामी शासन को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकना या परमाणु हथियारों को किसी इस्लामी जेहादी निजाम के हाथ लगने देने से रोकना। इनमें पहला ईरान है और दूसरा पाकिस्तान। ज्यादा सटीक रूप से कहूं, तो तालिबान के कब्जे वाला पाकिस्तान!

पाकिस्तानी सत्ता-प्रतिष्ठान में फिलवक्त यह खौफ तारी है कि हमास पर निर्णायक बढ़त और सीरिया में सत्ता-परिवर्तन कराने के बाद इस साल ईरान को अपने काबू में करना ‘यहूदी-ईसाई गठबंधन’ के लिए आसान हो जाएगा। उसके तत्काल बाद पाकिस्तान के परमाणु केंद्र उसके निशाने पर होंगे।

पेंटागन के रणनीतिकार भी मानते हैं कि जिस तरह पाकिस्तान में तालिबानी ताकतें पनप रही हैं, उससे यह खतरा बढ़ता जा रहा है कि अगर वहां का मौजूदा सत्ता-तंत्र विफल रहता है, तो भुट्टो साहब का ‘इस्लामिक बम’ वाकई अपने नाम को चरितार्थ करने वाला साबित हो जाएगा।

मैं अफसोस के साथ यहां आपको वाशिंगटन स्थित ‘हेरिटेज फाउंडेशन’ के एक कार्यक्रम में ब्रिटेन की पूर्व गृह मंत्री सुरेलाव ब्रेवरमैन के दिए गए भाषण पर ध्यान दिलाना चाहूंगा। ब्रेवरमैन ने कहा था कि जिस तरह से पाकिस्तान और अन्य देशों से आए मुसलमानों की संख्या हमारे देश में बढ़ रही है, उससे यह खतरा पैदा हो गया है कि आने वाले कुछ सालों में ब्रिटेन में ईसाई अल्पसंख्यक हो जाएंगे। उस स्थिति में पाकिस्तान के बाद ब्रिटेन दूसरा ऐसा इस्लामिक देश होगा, जिसके पास परमाणु हथियार होंगे। यह दुनिया के ‘अमन-ओ-अमान के लिए बड़ा खतरा’ होगा।

इंग्लैंड के तमाम लोगों ने इसे ‘इस्लाम-फोबिया’ बताते हुए खारिज कर दिया था। लेकिन पश्चिम में पनपती इस सोच की अनदेखी भी नहीं की जा सकती। वहां दक्षिणपंथी राजनीति का उदय भी यही मुनादी करता है। ऐसे में, सवाल उठना लाजिमी है कि अगर ट्रंप प्रशासन और ईरान किसी समझौते पर पहुंचने के करीब हैं, तो क्यों न समूची दुनिया एक बार पुन: पाकिस्तान की परमाणु नीति की समीक्षा करे। इन्हीं हथियारों की आड़ में वह भारत में अशांति के बीज रोपता आया है। जो देश ओसामा बिन लादेन को पनाह दे सकता हो, संसार की कई बड़ी आतंकवादी वारदातों में जिसके नागरिकों की भूमिका पाई गई हो, उसे परमाणु बम की आड़ में अपना खेल खेलने के लिए खुला नहीं छोड़ना चाहिए।

अच्छा होगा, दुनिया समय रहते इस सच को समझकर चेत जाए।

@shekharkahin

@shashishekhar.journalist

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