India pakistan tension: भारत-पाकिस्तान के बीच लागू हुए सीजफायर के बाद सोशल मीडिया पर लगातार पूर्व पीएम इंदिरा गांधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना हो रही है। इस पर कांग्रेस सांसद ने सीजफायर की तारीफ करते हुए कहा कि यह एक सही फैसला है। 1971 और 2025 की परिस्थितियों में फर्क है।
भारत ने साबित कर दिया कि हम पाकिस्तानी नेताओं और रावलपिंडी के जनरल साहबान की उन भभकियों से नहीं डरने वाले कि हम परमाणु हमला कर देंगे। पिछले तीन दशकों से यह धमकी सुनते-सुनते हिन्दुस्तान सहित समूची दुनिया …
गुजरी 22 अप्रैल को पहलगाम नरमेध के बाद देश की रोती-बिलखती बेटियों को देख मेरे मन में आइजाह बर्लिन की उक्ति उभरी थी—भेड़ियों की आजादी, भेड़ों की मौत का सबब बनती है…
हमें इस संवेदनशील समय में अपनी सरकार और उसके नेतृत्व पर भरोसा करना चाहिए, क्योंकि जो लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली से वाकिफ हैं, वे जानते हैं कि भारत आज नहीं तो कल, ऐसी कार्रवाई करेगा, जिसे दुनिया याद रखेगी…
कश्मीर में अनुच्छेद 370 की विदाई के बाद से जिस तेजी से विकास हुआ है, उससे वहां के नौजवानों में उम्मीद जग पड़ी है कि वे भी समूचे देश के साथ कदमताल कर सकते हैं। पहलगाम के हमले ने उनकी नेक उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। यही वजह है कि पूरे देश के साथ …
मुर्शिदाबाद से बड़ी संख्या में लोगों के पलायन के बाद से यह सवाल मेरे मन को रह-रहकर मथ रहा है कि हम अपने अंदर छिपी इस विभाजन ग्रंथि से कब छुटकारा पा सकेंगे…
जो लोग इसे राजनीतिक चश्मे से देखना चाहते हैं, वे यकीनन कयास लगा रहे होंगे कि अगले लोकसभा चुनाव से पहले संघ के कार्यकर्ता काशी और मथुरा को राष्ट्रीय मुद्दा बनाने की कोशिश करेंगे…
लोकतांत्रिक पद्धति से चुने गए राजनेताओं और धनाढ्यों का गठजोड़ इसे झकझोरने में जुटा है। कैसे? दुनिया के सर्वाधिक अमीर लोगों में शामिल एलन मस्क आज डोनाल्ड ट्रंप से कम चर्चित नहीं हैं। उन्हें डोज (डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी) का मुखिया बनाया गया है…
मैं अपनी उम्मीद को बनाए रखना चाहता हूं। ऐसा कहने की सबसे बड़ी वजह यह है कि हमारे सहयोगी प्रकाशन हिन्दुस्तान टाइम्स ने अपनी वेबसाइट पर शनिवार को यह खबर शाया की कि देश के प्रधान न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने अपने सहयोगी न्यायाधीशों को दिलासा दिया है…
एक खतरनाक प्रवृत्ति तेजी से पनपी है। धार्मिक शोभा-यात्राएं अब शक्ति-प्रदर्शन का जरिया बन चली हैं। समूची दुनिया में जब सांप्रदायिक उन्माद पनप चला हो, तब भारत पुरानी परंपराओं को आगे बढ़ाते हुए मिसाल बन सकता था…