आसमान छूती कामयाबी कह रही शिवा एग्रो नेचुरल प्रोडक्ट्स प्रा. लि. के शिल्पकार शशि कुमार की कहानी...
गया जिले के एक छोटे से गांव से निकलकर मधुमक्खी पालन जैसे पारंपरिक पेशे को व्यवसायिक सफलता में बदलने वाले शशि कुमार ने न सिर्फ मधुमक्खी पालन में बिहार को नई ऊचाइयों तक पहुंचाया, बल्कि इस क्षेत्र में युवाओं और किसानों को स्वरोजगार के नए रास्ते भी दिखाए।

बिहार की पवित्र धरती हमेशा से प्रतिभाओं की जननी रही है। यहां से अक्सर ऐसे व्यक्तित्व निकले हैं जिन्होंने अपनी मेहनत, लगन और दूरदृष्टि से न केवल अपने जीवन को बदला, बल्कि समाज को भी नई दिशा दी है। और उन्हीं चमकते सितारों में एक नाम है शशि कुमार का, गया जिले के एक छोटे से गांव से निकलकर मधुमक्खी पालन जैसे पारंपरिक पेशे को व्यवसायिक सफलता में बदलने वाले शशि कुमार ने न सिर्फ मधुमक्खी पालन में बिहार को नई ऊचाइयों तक पहुंचाया, बल्कि इस क्षेत्र में युवाओं और किसानों को स्वरोजगार के नए रास्ते भी दिखाए। उन्होंने अथक परिश्रम, दूरदृष्टि और अडिग संकल्प केबल पर वह मुकाम हासिल किया। आज वे एक सफल उद्यमी केसाथ हजारों किसानों की प्रेरणा बन चुके हैं।
शशि कुमार का जीवन संघर्ष और सफलता की कहानी है। उनकी कहानी यह दर्शाती है कि अगर नीयत सही हो और मेहनत ईमानदारी से की जाए, तो किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने अपनी जटिल आर्थिक स्थिति से बाहर निकलकर न केवल खुद को बल्कि पूरे बिहार के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद की है। उनका व्यवसाय सिर्फ आर्थिक दृष्टि से सफल नहीं हुआ, बल्कि उसने समाज में भी एक नया दृष्टिकोण और सोच विकसित की।
गांव में बीता बचपन
किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले शशि कुमार का बचपन गांव में बीता। वह बताते हैं कि वह गांव में खेतों में काम करते देख बड़े हुए। उनके पिताजी किसान थे। शशि कुमार का जन्म बिहार के जहानाबाद जिले के विर्रा गांव में हुआ था। उन्होंने बचपन से ही खेतों में काम किया और खेती-बाड़ी को करीब से समझा। ग्रेजुएशन के लिए गया आए और केमेस्ट्री में डिग्री ली, लेकिन मन हमेशा खेती से जुड़ा रहा। नौकरी की बजाय कुछ ऐसा करना चाहते थे जिसमें पूंजी कम लगे और मुनाफा बेहतर हो। यहीं से उन्हें मधुमक्खी पालन की प्रेरणा मिली। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई। उन्होंने मैट्रिक तक की पढ़ाई गांव में की और फिर गया से केमेस्ट्री में स्नातक किया।
शशि कुमार की कहानी सिर्फ एक किसान से उद्यमी बनने की नहीं है, बल्कि यह उस आत्मविश्वास, संघर्ष और सतत प्रयास की मिसाल है जो किसी को भी अपनी पहचान गढ़ने की ताक़त देता है। उनका जीवन उन हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो कृषि क्षेत्र को नया मुकाम देना चाहते हैं।
शुरुआत से ही व्यवसाय की ओर रहा रुझान
भी शशि कुमार का रुझान व्यवसाय की ओर रहा। आर्थिक स्थिति सीमित थी और चार भाई-बहनों में सबसे बड़े होने के नाते जिम्मेदारियां भी थीं। ऐसे में उन्होंने एक ऐसा व्यवसाय तलाशा जिसमें कम पूंजी में शुरुआत हो सके। मधुमक्खी पालन में उन्हें यह संभावना दिखी।
पहली बार में व्यवसाय असफल रहे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। 1996 में पुन: प्रयास किया और फिर यह व्यवसाय चल पड़ा। 1998 में खादी बोर्ड के साथ जुड़कर कई किसानों को प्रशिक्षित किया और कर्नाटक तक ले गए। उसी वर्ष उन्हें धारवाड़ विश्वविद्यालय में "प्रोग्रेसिव बीकीपर" पुरस्कार मिला।
प्रशिक्षण और मार्गदर्शन
1998 में बिहार में खादी बोर्ड के प्रोग्राम के तहत उन्होंने कई लोगों को इस कार्य से जोड़ा। खादी बोर्ड के अधिकारियों के सहयोग से उन्हें कर्नाटक भी ले जाया गया जहां से उन्होंने और बेहतर प्रशिक्षण प्राप्त किया। उनका मार्गदर्शन करने वाले आर.सी. मिश्र थे, जो हिसार एग्रीकल्चर कॉलेज से जुड़े थे और भारत में इटालियन मधुमक्खी को लाने का श्रेय उन्हें जाता है।
कंपनी की स्थापना और विस्तार
शशि कुमार आज जिस मुकाम पर हैं, उसे हासिल करने के लिए उन्होंने मधुमक्खी पालन के शुरुआती दौर में कड़ी मेहनत की है। उन्होंने वर्ष 1995 में 10,000 रुपये (दस हजार रुपये) की पूंजी और 10 बक्सों के साथ शुरुआत की। उनकी फर्म जिसका नाम शिवा हनी है, 1997 में शुरू हुई और उन्होंने प्रधानंमत्री रोजगार योजना (ढटफ) के तहत 1 लाख रुपये का ऋण लिया जिसका उपयोग उन्होंने पैकेजिंग इकाई स्थापित करने के लिए किया। इसी बीच उन्हें एगमार्क लाइसेंस भी प्राप्त हुआ।
वर्ष 2004 में उन्होंने मेसर्स शिवा एग्रो नेचुरल प्रोडक्ट प्रा. लि. के नाम से एक कंपनी शुरू की, जिसकी परियोजना लागत 45 लाख रुपये थी, जो रकऊइक पटना के लिए सावधि ऋण सहायता और बैंक ऑफ बड़ौदा, मानपुर, गया से कार्यशील पूंजी ऋण के रूप में थी, उन्होंने एक प्रसंस्करण, परीक्षण, पैकेजिंग संयंत्र स्थापित किया और "शिव एग्रो" ळट के ब्रांड नाम से मार्केटिंग शुरू की, जिसने उन्हें मार्केटिंग में मदद की और उनके उत्पाद के लिए बेहतरीन रिटर्न दिलाया। शहद के कारोबार के साथ-साथ शशि कुमार ने वर्ष 2004 में वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन और मार्केटिंग भी शुरू की। वर्ष 2011 में मेसर्स कुंवर अप्पियारी (पी) लिमिटेड नाम से एक नई कंपनी शुरू की। परियोजना लागत 1.24 करोड़ रुपये बिहार सरकार की मदद से। अभी बिहार के करीब 200 मधुमक्खी पालक उनके साथ काम कर रहे हैं। उनकी भविष्य की योजना अच्छी गुणवत्ता वाले लीची शहद का निर्यात करना है। उन्होंने वर्ष 2006 में निर्यात लाइसेंस प्राप्त किया। अन्य किसानों की मदद के लिए वह केवीआईसी, केवीके और एटीएमए, गया की मदद से उनके लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं।

विस्तार और रोजगार सृजन
शशि कुमार आज लगभग 200 मधुमक्खी पालकों के नेटवर्क से जुड़े हुए हैं। उनके पास खुद के 600 बॉक्स हैं और कुल नेटवर्क मिलाकर लगभग 10,000 बॉक्स का संचालन होता है। उनकी कंपनी शिवा एग्रो नेचुरल प्रोडक्ट्स प्रा. लि. के माध्यम से 30-35 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्राप्त है।
वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन
डॉ. रेणु कुमारी कुशवाहा, माननीय कृषि मंत्री, बिहार सरकार, ने बिहार दिवस के अवसर पर गांधी मैदान, पटना में श्री शशि कुमारी (एम.डी.) की शिवा एग्रो नेचुरल प्रोडक्ट प्राइवेट लिमिटेड के उत्पाद की सराहना की तथा स्मृति चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया।
परिवार का सहयोग
उनके छोटे भाई, पत्नी अनीता रानी व्यवसाय में सहयोग देते हैं। पुत्री अनुराधा जॉब करती हैं और पुत्र हर्षराज कळ चेन्नई से ढँऊ कर रहे हैं। जब शशि कुमार बाहर होते हैं, तब उनकी पत्नी घर और बाहर दोनों की जिम्मेदारी संभालती हैं।
बर्मी कंपोस्ट, ऑर्चर्ड प्लांटेशन में भी मिली सफलता
शशि कुमार ने केवल शहद उत्पादन में नहीं, बल्कि वर्मी कम्पोस्ट, ऑर्चर्ड प्लांटेशन और किसानों के प्रशिक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके प्रयासों से बिहार में इटालियन मधुमक्खी की प्रजाति को विस्तार मिला, जिससे शहद की गुणवत्ता में सुधार हुआ।
शशि कुमार ने हमेशा समाज की भलाई के लिए काम किया है। वे मानते हैं कि कृषि क्षेत्र में यदि सही दृष्टिकोण और तकनीकी सहायता हो, तो इसमें अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने किसानों को न केवल अपने व्यवसाय में शामिल किया, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए लगातार काम किया।
भविष्य की योजना
शशि कुमार की योजना अपने उत्पादों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर लाना और लीची हनी का वैश्विक स्तर पर निर्यात बढ़ाना है। उनका मानना है कि कृषि क्षेत्र में यदि सही से काम किया जाए तो इसमें अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने 2006 में एक्सपोर्ट लाइसेंस भी प्राप्त किया ।
लाभकारी और सस्टेनेबल व्यवसाय है मधुमक्खी पालन: शशि कुमार
मधुमक्खी पालन एक ऐसा व्यवसाय है, जिसे मैं खुद से जुड़ा हुआ महसूस करता हूं। शुरुआत में, जब मैंने शिवा एग्रो नेचुरल प्रोडक्ट्स की नींव रखी थी, तब मुझे यह समझने का मौका मिला कि कैसे छोटे स्तर पर काम करते हुए हम बड़े बदलाव ला सकते हैं। मधुमक्खी पालन, न केवल हमारे पारंपरिक कृषि पद्धतियों का हिस्सा है, बल्कि यह एक बेहद लाभकारी और सस्टेनेबल व्यवसाय भी है।
मधुमक्खियों का पालन करने से मुख्य रूप से शहद, मोम, और अन्य सहायक उत्पाद मिलते हैं, जो बाजार में उच्च मांग में रहते हैं। शहद, जो स्वास्थ्य केलिए फायदेमंद होता है, उसकी प्राकृतिक गुणों के कारण आजकल बहुत प्रसिद्ध है। एक मधुमक्खी बक्सा स्थापित करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बुनियादी जानकारी होनी चाहिए, जैसे बक्से का आकार, स्थान का चयन, और मधुमक्खियों की सही देखभाल।
मधुमक्खी पालन के लिए विशेष प्रकार के बक्से होते हैं, जिन्हें हाइव्स कहते हैं। ये बक्से मधुमक्खियों को एक संरक्षित और सुरक्षित वातावरण प्रदान करते हैं, जहां वे शहद बना सकते हैं। इन बक्सों को सही तरीके से स्थापित करना और मधुमक्खियों का सही देखभाल करना, सफलता की कुंजी है। बक्से में पर्याप्त धूप और हवा का ध्यान रखना जरूरी होता है, ताकि मधुमक्खियां स्वस्थ रहें और शहद का उत्पादन अच्छा हो।
इसके अलावा, मधुमक्खी पालन से प्राकृतिक परागण में भी मदद मिलती है, जिससे कृषि की उपज में सुधार होता है। यह एक ऐसा व्यवसाय है जो पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ किसान की आय को भी दोगुना कर सकता है। अगर आप भी इस व्यवसाय को अपनाने का सोच रहे हैं, तो मेहनत और सही ज्ञान के साथ यह आपके लिए एक सुनहरा अवसर साबित हो सकता है।
अन्य इकाइयां
- वर्मी कम्पोस्ट यूनिट
- शहद परीक्षण प्रयोगशाला
- शहद प्रसंस्करण मशीन
- बगीचा विकास (श्ठफ श् प्रजाति)
महत्त्वपूर्ण दौरे और मुलाकातें
- 2007 में "किसान श्री" पुरस्कार के साथ 'मधुमक्खी पालन' पुस्तक का विमोचन
- कृषि मंत्री डॉ. रेनु कुमारी कुशवाहा द्वारा "बिहार दिवस 2010" में सम्मानित
- डॉ. मेवा लाल चौधरी (कुलपति, RAU पूसा) द्वारा फॉर्म का दौरा
- आत्मा, KVIC और KVK गया के सहयोग से किसानों के लिए प्रशिक्षण
सम्मान और उपलब्धियां
1998: प्रोग्रेसिव बी कीपर्स अवार्ड (धारवाड़, कर्नाटक)
1998: बैंक ऑफ बड़ौदा, मानपुर, गया से सर्वश्रेष्ठ उद्यमी पुरस्कार
1999, 2003, 2007, 2009: राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर से प्रगतिशील
सदस्य बिहार कृषी विश्वविद्यालय
मधुमक्खी पालक सम्मान
2004: एपीडा एवं नेशनल बी बोर्ड, नई दिल्ली द्वारा प्रगतिशील पुरस्कार (लुधियाना, पंजाब)
2008: एन.जी. रंगा फार्मर अवार्ड फॉर डाइवर्सिफाइड एग्रीकल्चर
2009: आत्मा गया द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर सम्मान
2010: CITI Micro Entrepreneur Award, नई दिल्ली
2012: मीडिया समूह 'हिन्दुस्तान' द्वारा बिहार की 100 प्रतिभाओं में सम्मानित

संक्षिप्त जीवन परिचय
नाम : शशि कुमार
कंपनी : शिवा एग्रो नेचुरल प्रोडक्ट्स प्रा. लि. ( संस्थापक )
पिता का नाम : श्री महेश शंकर विद्यार्थी
स्थायी पता : ग्राम+पोस्ट-विर्रा, थाना-मखदुमपुर, जिला-जहानाबाद (बिहार)
वर्तमान पता : बुद्ध विहार, रोड नं. 3 (सुरहरी), पोस्ट- भदेजी, पीएस- मुफस्सिल, गया-823003 (बिहार)
संपर्क : 9431224880, 7544999921
ईमेल : shiva_agro13@yahoo.co.in/shashikumar13368@gmail.com
खेती सिर्फ खेत में अनाज उगाने तक सीमित नहीं रह गई है। आज अगर हम कृषि को विज्ञान, तकनीक और नवाचार से जोड़ें, तो यह असीम संभावनाओं का द्वार खोल सकती है। मैंने पारंपरिक खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन यानी हनी प्रोडक्शन को जोड़ा, जिससे न केवल आय के नए स्रोत बने, बल्कि खेतों की उत्पादकता भी बढ़ी। मधुमक्खी पालन न सिर्फ शुद्ध शहद देता है, बल्कि फसलों के परागण में भी सहायक होता है, जिससे उपज बेहतर होती है। मेरा मानना है कि अगर किसान बहु-आयामी खेती की ओर कदम बढ़ाए, जैसे कि शहद उत्पादन, फूलों की खेती, सब्जियों की प्रोसेसिंग आदि, तो उसकी आमदनी कई गुना बढ़ सकती है। हमें खेती को परंपरा नहीं, प्रोफेशन मानना होगा और युवा वर्ग को इससे जोड़ना होगा। आत्मनिर्भर भारत का सपना तभी साकार होगा जब हमारा किसान आत्मनिर्भर बनेगा - तकनीक, बाजार और मूल्य संवर्धन के साथ।
- शशि कुमार
संस्थापक
शिवा एग्रो नेचुरल प्रोडक्ट प्रा. लि.
(अस्वीकरण : इस लेख में किए गए दावों की सत्यता की पूरी जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति / संस्थान की है)
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