बिटकॉइन साल के अंत तक 250000 डॉलर के होगा पार, डॉलर की जगह लेगा: वॉल स्ट्रीट
Bitcoin: बिटकॉइन अगले 10 साल में अमेरिकी डॉलर की ग्लोबल रेस को पलट देगा और अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की मुख्य मुद्रा बन जाएगा। यह 250000 डॉलर के पार जा सकता है।

अरबपति वेंचर कैपिटलिस्ट टिम ड्रेपर का दावा है कि बिटकॉइन अगले 10 साल में अमेरिकी डॉलर की ग्लोबल रेस को पलट देगा और अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की मुख्य मुद्रा बन जाएगा। यह 250000 डॉलर के पार जा सकता है। कॉइनडेस्क को दिए इंटरव्यू में ड्रेपर ने कहा, "10 साल या उससे कम समय में यह बदलाव आएगा। अच्छी खबर यह है कि बैंक अब आपका बिटकॉइन और फिएट करेंसी दोनों रख सकते हैं, लेकिन जब यह बदलाव होगा तो बैंकों में लाइन लगाकर डॉलर निकालने और बिटकॉइन में डालने का जोखिम कोई नहीं उठाना चाहेगा।" वॉल स्ट्रीट के दिग्गजों की नजर में बिटकॉइन न सिर्फ डॉलर को चुनौती दे रहा है, बल्कि अमेरिकी आर्थिक नीतियों पर सवाल खड़े कर रहा है। अगर कर्ज का संकट गहराया, तो दुनिया की वित्तीय तस्वीर बदल सकती है।
क्या बिटकॉइन बेहतर है?
ड्रेपर के मुताबिक, अमेरिका का राष्ट्रीय कर्ज 1989 से जीडीपी की गति से तीन गुना तेजी से बढ़ा है। इस साल ब्याज भुगतान 952 अरब डॉलर को पार कर जाएगा, जो रक्षा खर्च से भी ज्यादा है। 2030 तक सरकारी खर्च और कर्ज चुकाने का बोझ सारे राजस्व को खा जाएगा, जिससे डॉलर का मूल्य गिरेगा और अमेरिकी अर्थव्यवस्था की ताकत कमजोर होगी। ड्रेपर बिटकॉइन को बैंकों और सरकारी मुद्राओं से बेहतर टेक्नोलॉजी मानते हैं। उन्होंने बताया कि बचपन में उनके पिता ने उन्हें एक कन्फेडरेट करेंसी का नोट दिया था, जो बेकार हो चुका था।
'अमेरिकी कर्ज डॉलर की ताकत के लिए खतरा'
मिंट की खबर के मुताबिक ब्लैकरॉक के सीईओ लैरी फिंक ने चेतावनी दी है कि अमेरिका का बढ़ता राष्ट्रीय कर्ज डॉलर के "रिजर्व करेंसी" दर्जे को खतरे में डाल सकता है। उनका कहना है कि अगर अमेरिका कर्ज नहीं संभाल पाया तो बिटकॉइन जैसी डिसेंट्रलाइज्ड करेंसी डॉलर की जगह ले सकती है। ब्रिजवाटर के रे डालियो ने भी हाल में कहा कि कर्ज संकट "बहुत करीब" है। सिंगापुर में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, "आपूर्ति-मांग का संतुलन बिगड़ चुका है। कर्ज का पुनर्गठन, राजनीतिक दबाव, या कर्ज को मुद्रा में बदलना जैसे हल हो सकते हैं।"
36.2 ट्रिलियन डॉलर के कर्ज का बोझ
अमेरिका का राष्ट्रीय कर्ज अब 36.2 ट्रिलियन डॉलर से ऊपर पहुंच चुका है। फिंक के मुताबिक, यही बोझ एक दिन डॉलर को गद्दी से उतार सकता है। डालियो ने इतिहास के उदाहरण देते हुए कहा कि जिन देशों ने कर्ज संकट को नजरअंदाज किया, उनकी अर्थव्यवस्थाएं धराशायी हो गईं। उन्होंने कहा, "यह स्थिति अमेरिका के लिए नई नहीं है, लेकिन दुनिया के दूसरे देशों के इतिहास से सबक लेना होगा।"