3 फीसद पर आ सकती है खुदरा महंगाई, सस्ते लोन और ईएमआई कम होने की बढ़ी उम्मीद
सब्जियों, दालों, और अंडों की कीमतें कम होने से खाद्य महंगाई दर मार्च में घटकर 2.69% पर आ गई थी। आरबीआई इस वर्ष रेपो रेट में कम से कम 50 बेसिस प्वाइंट (0.50 प्रतिशत) की कटौती कर सकता है।

खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट आने से खुदरा महंगाई दर अप्रैल में घटकर तीन फीसद पर आ सकती है, जो लगातार तीसरे माह आरबीआई के तय दायरे में रहेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे आरबीआई को जून में होने वाली मौद्रिक समीक्षा समिति की बैठक में ब्याज दरें कम करने का मौका मिल सकता है, जिससे अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। ब्याज दरें कम होने से लाेन सस्ते होंगे और ईएमआई भी घटेगी।
मार्च में खुदरा महंगाई 3.34 प्रतिशत थी, जो अगस्त 2019 के बाद सबसे कम है। इस कमी के सबसे बड़ा कारण खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट है। सब्जियों, दालों, और अंडों की कीमतें कम होने से खाद्य महंगाई दर मार्च में घटकर 2.69% पर आ गई थी। क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, घर में बने शाकाहारी खाने (थाली) की लागत में 3% की कमी आई है, जबकि मांसाहारी खाने की कीमतें स्थिर रहीं। इसके अलावा, पिछले साल की तुलना में इस साल महंगाई का आधार प्रभाव (बेस इफेक्ट) भी इस कमी में योगदान दे रहा है, क्योंकि पिछले साल अप्रैल में महंगाई अधिक थी।
आरबीआई के लिए मायने
महंगाई में कमी का सबसे बड़ा फायदा भारतीय रिजर्व बैंक को होगा। आरबीई को खुदरा महंगाई को 4% के आसपास बनाए रखने का लक्ष्य मिला हुआ है। इसमें 2% की ऊपरी और निचली सीमा की छूट है। मार्च में 3.34% और अप्रैल में अनुमानित 3% की दर इस लक्ष्य से काफी नीचे है। इससे केंद्रीय बैंक को अपनी मौद्रिक नीति को नरम करने का अवसर मिलेगा।
इस साल एक फीसद की कटौती संभव
विशेषज्ञों का अनुमान है कि आरबीआई इस वर्ष रेपो दर में कम से कम 50 बेसिस प्वाइंट (0.50 प्रतिशत) की कटौती कर सकता है। मौजूदा परिस्थितियों और आरबीआई की नीति संकेतों को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा है। केंद्रीय बैंक ने हालिया मौद्रिक नीति में अपने रुख को नरम किया है। यह संकेत है कि दरों में आगे और कटौती हो सकती है। आरबीआई ने इस वर्ष अब तक दो बार प्रमुख ब्याज दर (रेपो रेट) दरों में कटौती की है। अब जून में 25 आधार अंकों की एक और कटौती की उम्मीद की जा रही है।