Jyotiba Phule Jayanti Speech In Hindi : महात्मा ज्योतिबा फुले जयंती पर छोटा और आसान भाषण
- Jyotiba Phule Jayanti Speech In Hindi: ज्योतिबा फुले जयंती पर कई स्कूलों व स्थानों पर कार्यक्रम होते हैं जहां उन्हें श्रद्धांजिल अर्पित की जाती है। अगर आप भी इस दिन भाषण देने का मन बना रहे हैं तो नीचे लिखी स्पीच से आइडिया ले सकते हैं-

Mahatma Jyotiba Phule Jayanti Speech In Hindi: हर साल 11 अप्रैल को देश वंचितों, शोषितों और महिलाओं के सशक्तिकरण व उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती मनाता है। 19वीं सदी के महान भारतीय विचारक और समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले अतिशूद्रों व महिलाओं के लिए शिक्षा के दरवाजे खोले और सत्यशोधक समाज के जरिए क्रांति की मशाल जलाई। महात्मा ज्योतिबा फुले जी सामाजिक सशक्तिकरण के एक ऐसे पर्याय हैं जिन्होंने अपना जीवन राष्ट्रसेवा के लिए समर्पित किया। स्त्रियों की शिक्षा एवं समाज को अन्य कुरीतियों से मुक्ति दिलाने के लिए उन्होंने बड़े पैमाने पर आंदोलन चलाए। इन आंदोलनों ने भारतीय स्वाधीनता संग्राम को भी सशक्त किया। आज का दिन ऐसे महान समाज सुधारक को नमन कर श्रद्धांजलि देने का दिन है। ज्योतिबा फुले का जीवन और उनके विचार व महान कार्य आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बने हुए हैं। महात्मा ज्योतिबा फुले जयंती पर कई स्कूलों व स्थानों पर कार्यक्रम होते हैं जहां उन्हें श्रद्धांजिल अर्पित की जाती है। स्कूलों में निबंध व भाषण प्रतियोगिताएं भी होती हैं। अगर आप भी इस दिन भाषण देने का मन बना रहे हैं तो नीचे लिखी स्पीच से आइडिया ले सकते हैं-
Jyotiba Phule Jayanti Speech In Hindi: महात्मा ज्योतिबा फुले जयंती पर भाषण
आदरणीय मुख्य अतिथि/प्रधानाचार्य, मेरे अध्यापकगण और मेरे साथियों...
आज भारत के महान समाज सुधारक, विचारक, लेखक, समाजसेवी और क्रान्तिकारी कार्यकर्ता महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती है। उनका जन्म 11 अप्रैल 1827 को महाराष्ट्र के पुणे में हुआ था। ज्योतिबा फुले जीवन भर भारतीय समाज की सेवा में जुटे रहे। उन्होंने वंचितों, शोषितों व महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए अपना पूरा जीवन अर्पण कर दिया। ऐसे युग पुरुष को उनकी जयंती पर मैं श्रद्धांजलि देता हूं। देश में सामाजिक क्रांति के अग्रदूत महात्मा ज्योतिबा फुले ने गरीबों, महिलाओं, दलितों एवं पिछड़े वर्ग के उत्थान तथा सामाजिक जड़ताओं व कुरीतियों को दूर करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनका पूरा नाम जोतिराव गोविंदराव फुले था। उन्हें ज्योतिबा फुले या महात्मा फुले के नाम से जाना जाता था।
जब ज्योतिबा फुले सिर्फ एक साल के थे तब उनकी माता का निधन हो गया। पढ़ाई बीच में छूट गई थी। फिर बाद बाद में 21 वर्ष की उम्र में अंग्रेजी की सातवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की।
साथियों, 19वीं सदी के भारतीय समाज में जात-पात, बाल विवाह समेत कई कुरीतियां व्याप्त थीं। महिलाओं और दलितों की स्थिति बेहद खराब थी। महात्मा फुले ने भारतीय समाज की इन कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई। वह बाल-विवाह विरोधी और विधवा-विवाह के समर्थक थे। वह अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले के साथ मिलकर महिलाओं का शिक्षा का अधिकार दिलाने के लिए लड़े। वह और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले भारत में महिला शिक्षा के अग्रदूत थे।
फुले महिलाओं को स्त्री-पुरुष भेदभाव से बचाना चाहते थे। इसके लिए स्त्रियों को शिक्षित करना बेहद आवश्यक था। उन्होंने अपनी पत्नी में पढ़ाई के प्रति दिलचस्पी देखकर उन्हें पढ़ाने का मन बनाया और प्रोत्साहित किया। सावित्रीबाई ने अहमदनगर और पुणे में टीचर की ट्रेनिंग ली। उन्होंने साल 1848 में पुणे में लड़कियों के लिए देश का पहला महिला स्कूल खोला। इस स्कूल में उनकी पत्नी सावित्रीबाई पहली शिक्षिका बनीं। सावित्री बाई फुले को ही भारत की पहली शिक्षिका होने का श्रेय जाता है। फुले दंपति ने देश में कुल 18 स्कूल खोले थे। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने उनके योगदान को सम्मानित भी किया। महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए उन्हें समाज का विरोध भी झेलना पड़ा।
ज्योतिराव फुले ने दलितों और वंचितों को न्याय दिलाने के लिए सत्यशोधक समाज की स्थापना की थी। समाज सुधार के इन अथक प्रयासों के चलते 1888 में मुंबई की एक विशाल सभा में उन्हें महात्मा की उपाधि दी गई। 1890 को 63 साल की उम्र में उनका निधन हुआ था।
साथियों, महात्मा फुले कहते थे कि शिक्षा स्त्री और पुरुष दोनों के लिए समान रूप से आवश्यक है। आज उनके द्वारा किए गए महान कार्यों को याद करने का दिन है। आज उनके महान विचारों को अपनाने के लिए संकल्प लेने का दिन है।
इसी के साथ मैंने अपने भाषण का समापन करना चाहूंगा। धन्यवाद।