Jyotiba Phule Jayanti Essay In Hindi: महात्मा ज्योतिबा फुले जयंती पर आसान निबंध, पहला इनाम आपको ही मिलेगा
- Mahatma Jyotirao Phule Birth anniversary: महान समाज सुधारक, दार्शनिक और लेखक महात्मा ज्योतिराव फुले की जयंती हर साल 11 अप्रैल को मनाई जाती है। अगर आप भी स्कूल या किसी कार्यक्रम में महात्मा ज्योतिबा फुले के ऊपर निबंध लिखना चाहते हैं तो यह आसन निबंध जरूर लिखें।

Mahatma Jyotiba Phule Jayanti 2025: महान समाज सुधारक, दार्शनिक और लेखक महात्मा ज्योतिराव फुले की जयंती हर साल 11 अप्रैल को मनाई जाती है। अगर आप भी स्कूल या किसी कार्यक्रम में महात्मा ज्योतिबा फुले के ऊपर निबंध लिखना चाहते हैं तो यह आसन निबंध आपको फर्स्ट प्राइज के साथ सब की वाहवाही जरूर दिलाएगा। इसे आप भाषण की तरह भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
उन्हें ज्योतिबा फुले और महात्मा फुले के नाम से भी जाना जाता है। उनका पूरा नाम जोतिराव गोविंदराव फुले था। उन्होंने अपना पूरा जीवन गरीबों, महिलाओं, दलितों एवं पिछड़े वर्ग के उत्थान तथा सामाजिक जड़ताओं व कुरीतियों को दूर करने के लिए समर्पित कर दिया। महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल, 1827 को पुणे में हुआ था। उनका परिवार कई पीढ़ी पहले सतारा से पुणे आकर फूलों के गजरे आदि बनाने का काम करने लगा था। माली के काम में लगे ये लोग फुले के नाम से जाने जाते थे। ज्योतिबा फुले का जीवन और उनके विचार व महान कार्य आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बने हुए हैं।
वर्ष 1841 में उनका दाखिला स्कॉटिश मिशनरी हाईस्कूल, पुणे में हुआ, जहां से उन्होंने अपनी शिक्षा प्राप्त की। महात्मा ज्योतिबा फुले की विचारधारा स्वतंत्रता, समानता और समाजवाद पर आधारित थी। महात्मा ज्योतिबा फुले थॉमस पाइन की किताब 'द राइट्स ऑफ मैन' से बहुत ज्यादा प्रभावित थे, उनका मानना था कि समाज की बुराइयों से निपटने का एकमात्र जरिया स्त्रियों, निम्न वर्ग के लोगों को शिक्षा प्रदान करना है। महात्मा ज्योतिबा फुले ने तृतीया रत्न (1855), पोवाड़ा: छत्रपति शिवाजीराज भोंसले यंचा (1869), गुलामगिरि (1873), शक्तारायच आसुद (1881) आदि पुस्तकों को लिखा। वर्ष 1873 में उन्होंने अपने अनुयायियों के साथ मिलकर सत्यसोधक समाज का गठन किया।
फुले महिलाओं को स्त्री-पुरुष भेदभाव से बचाना चाहते थे। इसके लिए स्त्रियों को शिक्षित करना बेहद आवश्यक था। उन्होंने अपनी पत्नी में पढ़ाई के प्रति दिलचस्पी देखकर उन्हें पढ़ाने का मन बनाया और प्रोत्साहित किया। सावित्रीबाई ने अहमदनगर और पुणे में टीचर की ट्रेनिंग ली। उन्होंने साल 1848 में पुणे में लड़कियों के लिए देश का पहला महिला स्कूल खोला। इस स्कूल में उनकी पत्नी सावित्रीबाई पहली शिक्षिका बनीं।
समाज सुधार के इन अथक प्रयासों के चलते 1888 में मुंबई की एक विशाल सभा में सामाजिक कार्यकर्ता विठ्ठलराव कृष्णजी वांडेकर द्वारा उन्हें महात्मा की उपाधि दी गई। 1890 को 63 साल की उम्र में उनका निधन हुआ था।
Mahatma Jyotiba Phule Quotes : महात्मा ज्योतिबा फुले के प्रेरणादायक विचार
1. स्वार्थ अलग-अलग रूप धारण करता है। कभी जाती का रूप लेता है तो कभी धर्म का।
2. भारत में राष्ट्रीयता की भावना का विकास तब तक नहीं होगा, जब तक खान-पान एवं वैवाहिक सम्बन्धों पर जातीय बंधन बने रहेंगे।
3. अच्छा काम पूरा करने के लिए बुरे उपाय से काम नहीं लेना चाहिये।
4. शिक्षा स्त्री और पुरुष दोनों के लिए समान रूप से आवश्यक है।
5. परमेश्वर एक है और सभी मानव उसकी संतान हैं।