गौतम गंभीर ने चैंपियंस ट्रॉफी की प्राइज मनी को लेकर सुनील गावस्कर को सुनाई खरी खोटी, बोले- जो शीशे के घरों में रहते हैं…
गंभीर ने कहा कि चैंपियंस ट्रॉफी में मुझे जो प्राइज मनी मिली। मुझे इस देश को यह बताने की जरूरत नहीं है कि मैंने पैसे कहां छोड़े और कहां निवेश किए। लेकिन इस देश को पता होना चाहिए कि ऐसे लोग इतने सालों से देश में NRI के तौर पर काम कर रहे हैं।

टीम इंडिया के हेड कोच गौतम गंभीर ने चैंपियंस ट्रॉफी की प्राइज मनी पर सवाल उठाए जाने को लेकर पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर को जमकर खरी-खोटी सुनाई है। रोहित शर्मा की अगुवाई वाली टीम इंडिया ने मार्च में न्यूजीलैंड को फाइनल में 8 विकेट से हराकर यह आईसीसी खिताब जीता था। इस जीत पर बीसीसीआई ने टीम इंडिया के लिए 58 करोड़ रुपये की प्राइज मनी का ऐलान किया था। गावस्कर ने इसके बाद स्पोर्टस्टार के लिए अपने कॉलम में पूछा कि क्या गंभीर अपने पूर्ववर्ती राहुल द्रविड़ के नक्शेकदम पर चलेंगे, जिन्होंने सहयोगी स्टाफ के अन्य सदस्यों से अधिक राशि लेने से इनकार कर दिया था।
बता दें, 2024 टी20 वर्ल्ड कप जीतने के बाद द्रविड़ ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड द्वारा उन्हें दिए जाने वाले अतिरिक्त 2.5 करोड़ रुपये लेने से इनकार कर दिया था और उन्होंने अपने बाकी सहयोगी स्टाफ के बराबर प्राइज मनी लेने का फैसला किया था।
गंभीर ने एबीपी न्यूज के ‘इंडिया एट 2047’ समिट में कहा, "लोगों का काम मेरी आलोचना करना है और उन्हें आलोचना करनी चाहिए। लेकिन कुछ लोग हैं जो 20-25 सालों से कमेंट्री बॉक्स में बैठे हैं। उन्होंने मेरे हर काम पर सवाल उठाए। उन्हें लगता है कि भारतीय क्रिकेट उनकी संपत्ति है। दुर्भाग्य से, भारतीय क्रिकेट किसी की संपत्ति नहीं है। यह 140 करोड़ भारतीयों की पहचान है और यह ऐसा ही रहेगा। उन्होंने मेरी कोचिंग, मेरे रिकॉर्ड और यहां तक कि मेरी प्राइज मनी पर भी सवाल उठाए।"
उन्होंने कहा, "चैंपियंस ट्रॉफी में मुझे जो प्राइज मनी मिली। मुझे इस देश को यह बताने की जरूरत नहीं है कि मैंने पैसे कहां छोड़े और कहां निवेश किए। लेकिन इस देश को पता होना चाहिए कि ऐसे लोग इतने सालों से देश में NRI के तौर पर काम कर रहे हैं। वे देश से पैसा कमाते हैं और उसे विदेश ले जाते हैं। मैं 11:55 बजे सुरक्षा जांच या इमिग्रेशन नहीं करता।"
आगे बोलते हुए उन्होंने कहा, "जिनके पास सिर्फ 1 दिन, 180 दिन बिताने के लिए हैं। मैं एक भारतीय हूं और अपनी आखिरी सांस तक भारतीय ही रहूंगा। मैं टैक्स बचाने के लिए NRI नहीं बनूंगा। जो लोग शीशे के घरों में रहते हैं, उन्हें दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंकना चाहिए।"