गुजरात में 7 साल की बच्ची से रेप व हत्या का मामला; दोषी को दोहरी मौत की सजा, कोर्ट ने मुआवजा भी दिलाया
पंड्या ने आगे कहा कि 'अदालत ने शख्स को दोहरी मौत की सजा इसलिए दी, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि अगर हाई कोर्ट उसे एक अपराध में बरी भी कर दे, तो भी उसे दूसरे मामले में मौत की सजा मिल सके और वह बच ना सके।'

गुजरात के आणंद जिले की एक अदालत ने सात साल की बच्ची से बलात्कार के बाद उसकी हत्या करने वाले एक शख्स को दोहरी मौत की सजा सुनाई है। आरोपी ने इस वारदात को साल 2019 में खंभात तहसील में अंजाम दिया था। इस मामले में खंभात सत्र न्यायालय के जज प्रवीण कुमार ने आरोपी अर्जुन गोहेल (29) को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO) की धारा 6 (गंभीर यौन हमला) के तहत दोषी पाया। कोर्ट ने पीड़िता के परिवार को 13 लाख रुपए का मुआवजा भी देने का आदेश दिया।
मामले की जानकारी देते हुए सरकारी वकील रघुवीर पंड्या ने बताया कि 'अदालत ने इस केस को दुर्लभतम करार देते हुए अभियोजन पक्ष की मांग के अनुसार दोषी को दोहरी मौत की सजा सुनाई। साथ ही अदालत ने प्रशासन को पीड़िता के परिवार को 13 लाख रुपए का मुआवजा देने का निर्देश भी दिया।'
पंड्या ने आगे कहा कि 'अदालत ने शख्स को दोहरी मौत की सजा इसलिए दी, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि अगर हाई कोर्ट उसे एक अपराध में बरी भी कर दे, तो भी उसे दूसरे मामले में मौत की सजा मिल सके और वह बच ना सके।'
यह मामला अक्तूबर 2019 का है, जब स्थानीय लोगों को गांव के बाहरी हिस्से के एक खेत में सात साल की बच्ची का शव अर्द्धनग्न हालत में मिला था। जिसके बाद बच्ची का पोस्टमार्टम हुआ और मेडिकल रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हो गई कि गला घोंटकर जान लेने से पहले उसके साथ बलात्कार की वारदात को अंजाम दिया गया था।
पंड्या ने आगे कहा, जांच के दौरान पता चला कि पीड़ित बच्ची के लापता होने से पहले आखिरी बार आरोपी अर्जुन गोहेल के साथ देखा गया था। जिसके बाद एक लड़की समेत कुछ अन्य गवाहों के बयान के आधार पर उसी गांव के निवासी गोहेल को गिरफ्तार कर लिया गया।
वारदात से पहले बच्ची अपने घर के बाहर अन्य लड़कियों के साथ खेल रही थी, तभी आरोपी वहां पहुंचा और बिस्किट दिलाने के बहाने उसे बहला-फुसलाकर अपने साथ गांव के बाहरी इलाके में ले गया था और वहां ले जाकर उसके साथ बलात्कार किया। आरोपी ने इस वहशीपन से इस वारदात को अंजाम दिया था, कि पीड़िता को गंभीर आंतरिक चोटें आई थीं। इसके बाद उसने गला घोंटकर उसकी जान ले ली।
पंड्या के मुताबिक हालांकि आरोपी ने कभी अपना जुर्म कबूल नहीं किया। उसका कहना था कि बिस्किट दिलाने के बाद उसने बच्ची को सुरक्षित छोड़ दिया था, लेकिन अभियोजन पक्ष ने संदेह से परे जाकर यह साबित कर दिया उसी ने अपराध किया था। जिसके बाद अदालत ने उसे दोहरे मृत्युदंड की सजा सुना दी।
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