तय कर लो क्या करना है; चीन पर कोई रहम नहीं दिखा रहा अमेरिका, बताया बचने का तरीका
- नीति आयोग ने एक रिपोर्ट में कहा है कि चीन पर अमेरिकी शुल्क और बढ़ती लागत भारत के लिए वैश्विक उपकरण निर्यात बाजार में अपनी भूमिका को बढ़ाने का एक बड़ा अवसर है।

चीन के खिलाफ जारी अमेरिका का टैरिफ वॉर के फिलहाल रुकने के आसार नहीं हैं। अब वाइट हाउस ने साफ कर दिया है कि चीन को ही अमेरिका साथ डील करनी होगी। साथ ही दो टूक कहा है कि अमेरिका टैरिफ के मामले में झुकने वाला नहीं है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने चीन पर 145 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। इसके जवाब में चीन ने भी 125 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप ने साफ कर दिया है कि चीन को फैसला लेना है। वाइट हाउस प्रेस सचिव कैरोलीन लेविट ने कहा, 'राष्ट्रपति ने चीन को लेकर अपना मत साफ कर दिया है। हालांकि, मेरे पास उनका एक बयान है, जो उन्होंने ओवल ऑफिस में मुझे दिया है।' उन्होंने कहा, 'फैसला चीन को करना है। चीन को हमारे साथ डील करनी ही होगी। हमें उनके साथ डील करने की कोई जरूरत नहीं है।'
वाइट हाउस ने कहा कि चीन दुनिया के किसी अन्य देश से अलग नहीं है। उन्होंने कहा, 'चीन को वो चाहिए जो हमारे पास है। सभी को वो चाहिए, जो हमारे पास है। यानी अमेरिकी उपभोक्ता या आसान भाषा में कहें, तो उनको हमारे धन की जरूरत है।' उन्होंने कहा, 'राष्ट्रपति ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि वह चीन के साथ डील करने के लिए तैयार है, लेकिन चीन को अमेरिका के साथ डील करनी होगी।'
भारत के लिए मौका है चीन पर अमेरिकी टैरिफ की मार
नीति आयोग ने एक रिपोर्ट में कहा है कि चीन पर अमेरिकी शुल्क और बढ़ती लागत भारत के लिए वैश्विक उपकरण निर्यात बाजार में अपनी भूमिका को बढ़ाने का एक बड़ा अवसर है। रिपोर्ट में साथ ही स्थानीय उपकरण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक स्तर के संकुल बनाने और लागत को कम करने के लिए जरूरी सहायता प्रदान करने जैसे उपाय सुझाए गए हैं।
नीति आयोग ने 'भारत के हाथ और बिजली से चलने वाले उपकरण क्षेत्र: 25 अरब डॉलर से अधिक निर्यात अवसर' शीर्षक से जारी एक रिपोर्ट में कहा कि इस उद्योग में निर्यात की काफी संभावनाएं हैं, लेकिन बुनियादी ढांचे, उच्च विनिर्माण लागत और बड़े स्तर की विनिर्माण सुविधाओं की कमी से बाधा तैयार होती है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जिसके पास अपने हाथ और बिजली उपकरण उद्योग को वैश्विक निर्यात महाशक्ति में बदलने का एक उल्लेखनीय अवसर है। इस क्षेत्र में 2035 तक 25 अरब डॉलर से अधिक के निर्यात की क्षमता है।
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