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लैटिन अमेरिका को अरबों देकर भी चीन का जबरदस्त फायदा कैसे? समझें ड्रैगन की चाल

ट्रंप संग टैरिफ वॉर खत्म होने के साथ ही चीन ने लैटिन अमेरिका के लिए अपना खजाना खोल दिया। जानकार इसके पीछे चीन की बड़ी रणनीति मान रहे हैं। इस डील से चीन को एक नहीं तीन बड़े फायदे होंगे।

Gaurav Kala रॉयटर्सTue, 13 May 2025 10:02 AM
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लैटिन अमेरिका को अरबों देकर भी चीन का जबरदस्त फायदा कैसे? समझें ड्रैगन की चाल

अमेरिका और चीन ने व्यापार युद्ध में नरमी दिखाते हुए आपसी सहमति से एक-दूसरे के ज्यादातर सामानों पर लगाए गए भारी आयात शुल्क को फिलहाल टाल दिया है। जब दुनिया अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर की अनिश्चितता से जूझ रही थी, तब राष्ट्रपति शी जिनपिंग चुपचाप एक और मोर्चे पर चाल चल रहे थे। ट्रंप से समझौता होते ही चीन ने लैटिन अमेरिका के लिए अपना खजाना खोल दिया, लेकिन अपनी शर्तों पर। लगभग 10 अरब डॉलर (करीब 83 हजार करोड़ रुपए) की क्रेडिट लाइन देकर चीन ने सिर्फ मदद का हाथ नहीं बढ़ाया, बल्कि एक बड़ा रणनीतिक दांव चला है।

चीन की स्कीम क्या है

चीन ने लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों को विकास सहायता के रूप में लगभग 10 अरब डॉलर (यूएसडी के समतुल्य) की क्रेडिट लाइन देने का ऐलान किया है, लेकिन यह राशि अमेरिकी डॉलर में नहीं, बल्कि चीनी मुद्रा युआन में दी जाएगी। यह घोषणा चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चाइना-सीलैक (China-CELAC) फोरम के एक सम्मेलन के दौरान की। चीन ने कहा कि वह लैटिन अमेरिका के विकास में मदद करेगा — लेकिन शर्त है कि ये मदद युआन में होगी, न कि डॉलर में।

चीन की 3 बड़ी चाल

युआन को बनाना 'नया डॉलर'- चीन चाहता है कि वैश्विक लेनदेन में युआन का इस्तेमाल बढ़े। जब लैटिन अमेरिका युआन में कर्ज लेगा, तो व्यापार और आयात भी युआन में होगा। इससे डॉलर पर निर्भरता घटेगी और युआन की वैश्विक पकड़ बढ़ेगी।

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बेल्ट एंड रोड की नई शाखा- यह फाइनेंसिंग चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का हिस्सा है, जिसके ज़रिए वह विकासशील देशों में सड़क, रेल और बंदरगाह जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर बनाकर अपना आर्थिक व राजनीतिक प्रभाव बढ़ा रहा है।

सॉफ्ट पॉवर और स्ट्रैटेजिक पकड़- चीन ने 5 देशों को वीज़ा-फ्री यात्रा की सुविधा भी देने की बात की है। यह डिप्लोमैटिक सॉफ्ट पॉवर का हिस्सा है — जिससे लैटिन देशों में चीन की छवि एक मददगार नेता की बनेगी, जबकि असल में वह घुसपैठ की रणनीति पर काम कर रहा है। इससे चीन की क्षेत्रीय संसाधनों (खासकर खनिज, तेल) तक आसान पहुंच होगी। साथ ही अमेरिका के 'बैकयार्ड' माने जाने वाले क्षेत्र में भी सीधी पकड़ होगी।

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