First wife has right to divorce on husband second marriage Islamic organisation enraged on SC order in Pakistan दूसरी शादी पर पहली बीवी को तलाक का हक, पाकिस्तान में SC के आदेश पर भड़का इस्लामिक संगठन, International Hindi News - Hindustan
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दूसरी शादी पर पहली बीवी को तलाक का हक, पाकिस्तान में SC के आदेश पर भड़का इस्लामिक संगठन

  • पाकिस्तान में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस्लामिक संगठन भड़का हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि यदि कोई बिना बताए दूसरी शादी करता है तो पहली बीवी को संबंध तोड़ने का हक है।

Gaurav Kala लाइव हिन्दुस्तानThu, 27 March 2025 07:05 PM
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दूसरी शादी पर पहली बीवी को तलाक का हक, पाकिस्तान में SC के आदेश पर भड़का इस्लामिक संगठन

पाकिस्तान में इस्लामिक विचारधारा परिषद ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का विरोध किया है, जिसमें कहा गया था कि अगर कोई व्यक्ति अपनी पहली पत्नी को बिना बताए दूसरी शादी करता है तो पहली पत्नी को तलाक यानी विवाह रद्द करने का अधिकार होगा। परिषद ने इसे शरिया कानून के खिलाफ बताया और सुप्रीम अदालत के फैसले को खारिज कर दिया। संगठन ने कहा कि इस फैसले को परिषद की अगली बैठक में एजेंडे में लाया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में एक अहम फैसला दिया था, जिसमें कहा गया था कि यदि कोई व्यक्ति बिना अपनी पत्नी की अनुमति के दूसरी शादी करता है, तो पहली पत्नी को विवाह अनुबंध समाप्त करने का अधिकार होगा। यह फैसला न्यायमूर्ति मंसूर अली शाह की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सुनाया था और इसे फरयाल मकसूद व अन्य द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के बाद जारी किया गया था।

इस्लामिक संगठन भड़का

बीबीसी उर्दू की रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामिक विचारधारा परिषद ने 26 मार्च को अपनी बैठक में इस फैसले को शरिया कानून के विपरीत बताया। परिषद का कहना था कि पहली पत्नी को बिना अनुमति के दूसरी शादी करने के बाद तलाक का अधिकार देना गैर-इस्लामी है और शरिया की नजर से वैध नहीं है। परिषद ने आगे कहा कि एक मुसलमान के पास अपनी शादी समाप्त करने के लिए केवल दो विकल्प होते हैं: खुला और तलाक।

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1961 का मुस्लिम परिवार कानून

इस्लामिक विचारधारा परिषद ने 1961 के मुस्लिम परिवार कानून को भी शरिया कानून के खिलाफ बताया। इस कानून के तहत एक व्यक्ति को एक समय में चार महिलाओं से शादी करने का अधिकार है, लेकिन परिषद का कहना है कि इस कानून के प्रावधान शरिया के सिद्धांतों से मेल नहीं खाते हैं। परिषद ने कहा कि इस फैसले का विरोध जारी रहेगा और इसे अपनी अगली बैठक में चर्चा के लिए रखा जाएगा। परिषद का मानना है कि पुरुषों को अपनी पहली पत्नी की अनुमति के बिना दूसरी शादी करने का अधिकार होना चाहिए, जैसा कि शरिया में निर्धारित है।

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