कनाडा में जल्दी चुनाव कैसे पीएम मार्क कर्नी के लिए वरदान? डोनाल्ड ट्रंप की धमकी का भी फायदा
- अमेरिका से ट्रेड वॉर और कब्जा करने की धमकियों के बीच कनाडाई पीएम मार्क कार्नी ने स्नैप इलेक्शन करवाने का ऐलान कर दिया है। अप्रैल में होने वाले ये चुनाव लिबरल पार्टी के लिए वरदान साबित हो सकते हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से लागू की गई टैरिफ नीति और कनाडा पर कब्ज करने की धमकियों के बीच नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने स्नैप इलेक्शना का ऐलान कर दिया है। अगले ही महीने 28 अप्रैल को कनाडा में चुनाव कराए जाएंगे। पहले कनाडा में आम चुनाव 20 अक्टूबर को होने वाले थे। डोनाल्ड ट्रंप की धमकियों को लेकर भी कार्नी काफी हमलावर हैं और वह अपनी लोकप्रियता का पूरा फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। बता दें कि जस्टिन ट्रूडो की नीतियों की वजह से उनका विरोध होने लगा था। उनके इस्तीफे के बाद मार्क कार्नी को प्रधानमंत्री बनाया गया है। वह पूर्व बैंकर हैं औऱ अर्थव्यवस्था की अच्छी जानकारी रखते हैं। ऐसे में जनता का विश्वास है कि वह देश को आर्थिक संकट से निकाल लाएंगे और अमेरिका को भी मुंहतोड़ जवाब दे सकते हैं।
दूसरी तरफ डोनाल्ड ट्रंप लगातार यह भी कह रहे हैं कि कनाडा कोई वास्तविक देश ही नहीं है और वह अमेरिका का ही हिस्सा है। ऐसे में मार्क कार्नी के सामने राष्ट्रीयता के मुद्दे पर भी वोट हासिल करने का अच्छा मौका है। यह ऐसा समय है कि लोग लिबरल पार्टी के पिछले 10 सालों का इतिहास आने वाले भविष्य के लिए भूल जाने को तैयार हैं। मार्क कार्नी को अच्छी तरह पता है कि अमेरिका की धमकियों को लेकर लोगों में राष्ट्रीयता की भावना जगाने से आसानी से वोट हासिल होंगे और उनकी पार्टी बड़ी जीत हासिल करेगी।
अमेरिका और कनाडा दोनों ही लंबे समय से बड़े ट्रेडिंग पार्टनर रहे हैं। हालांकि डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से स्थितियां एकदम से बदल गईं। कार्नी ने 14 मार्च को शपथ ग्रहण किया था। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने कहा था कि डोनाल्ड ट्रंप हमारी संप्रभुता पर हमला करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, जल्दी चुनाव कराने से देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। ट्रंप कनाडा को तोड़ना चाहते हैं लेकिन उन्हें ऐसा करने नहीं दिया जाएगा। 6 मार्च को डोनाल्ड ट्रंप ने 25 फीसदी टैरिफ को 30 दिन के लिए टालने का फैसला किया था।
2 अप्रैल को अमेरिका कनाडा पर 25 फीसदी का टैरिफ थोप सकता है। उससे पहले ही कार्नी पूरी भूमिका तैयार कर देना चाहते हैं जिससे लोगों को लगने लगे कि चुनाव ही इससे बचने का रास्ता है। कार्नी ने एक बड़ा फैसला करते हुए इनकम टैक्स में भी कमी की है। सर्वे में पता चला है कि साल के शुरुआत में लिबरल अपने विरोधी कंजरवेटिव से पिछड़ गए थे। वहीं कार्नी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनकी लोकप्रियता एक बार फिर बढ़ गई है। ऐसे में कार्नी अक्टूबर का इंतजार नहीं करना चाहते और राष्ट्रीय संकट के नाम पर अप्रैल में ही बाजी मार लेना चाहते हैं।
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