चीन का गुलाम है पाकिस्तान, IMF को पैसे देने से क्यों नहीं रोका; ट्रंप पर भड़के US रक्षा रणनीतिकार
भारत ने पहले ही इस सहायता को लेकर अपनी चिंताओं को व्यक्त किया था। भारत ने कहा कि पाकिस्तान का आतंकवाद के खिलाफ रिकॉर्ड खराब रहा है और इस तरह की सहायता का दुरुपयोग हो सकता है।

अमेरिकी रक्षा रणनीतिकार और अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टिट्यूट (AEI) से जुड़े माइकल रुबिन ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा पाकिस्तान को 1 बिलियन डॉलर का बेलआउट पैकेज दिए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने इस निर्णय के लिए तत्कालीन ट्रंप प्रशासन को भी जिम्मेदार ठहराया है, और कहा है कि यह कदम "आतंक को राज्य नीति के तौर पर अपनाने वाले देश" को इनाम देने जैसा है।
"पाक को पैसा देना, चीन को मदद करना है"
रुबिन 2021 तक अमेरिका के नौसेना स्नातकोत्तर स्कूल में पढ़ा चुके हैं। उन्होंने कहा, “IMF द्वारा पाकिस्तान को पैसा देना, चीन को भी अप्रत्यक्ष रूप से बेलआउट देना है। आज पाकिस्तान चीन का गुलाम बन चुका है। ग्वादर बंदरगाह ‘चीन की मोतियों की माला’ का पहला मोती था, और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) ने इस्लामाबाद को 40 अरब डॉलर के कर्ज में डुबो दिया है।” उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान अब चीन के इशारों पर चलने वाला देश बन चुका है और इस तरह के आर्थिक समर्थन से न केवल आतंक का पोषण हो रहा है, बल्कि चीन को भी रणनीतिक बढ़त मिल रही है।
रुबिन ने हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई चार दिन की सीमित लड़ाई का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ने इस संघर्ष में "स्पष्ट और निर्णायक जीत" हासिल की है। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान ने भारत को सबक सिखाने की जो धमकी दी थी, वो खोखली निकली। उलटा खुद पाकिस्तान संघर्षविराम की गुहार लगाता फिरा, जैसे कोई डरा हुआ कुत्ता अपनी दुम दबाकर भागता है।”
भारत से बुरी तरह से पराजित हुआ पाकिस्तान
उन्होंने पाकिस्तान की उस कोशिश की भी आलोचना की जिसमें वह इस हार को छुपाने के लिए प्रचार करता रहा। रुबिन ने कहा, “पाकिस्तानी सेना इस हार पर चाहे जितना भी पर्दा डालने की कोशिश करे, सच्चाई यही है कि उन्होंने न केवल हार मानी, बल्कि बुरी तरह से पराजित हुए। भारत ने उनके अहम सैन्य ठिकानों और एयरबेस पर निशाना साधा और पाकिस्तान को पूरी तरह बैकफुट पर ला दिया।”
अपने एक ओप-एड लेख में रुबिन ने अमेरिका को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि उसे IMF को पाकिस्तान को आर्थिक सहायता देने से रोकना चाहिए था। उन्होंने कहा कि यह फैसला ऐसे समय में लिया गया, जब पाक स्थित आतंकवादियों ने भारत में घुसपैठ कर निर्दोष गैर-मुस्लिम नागरिकों की हत्या की और वह भी उनके परिवारों के सामने।
यह तो ट्रंप को खुली चुनौती देने जैसा
उन्होंने कहा, “1 बिलियन डॉलर की यह सहायता ऐसे समय में दी गई है, जब व्हाइट हाउस भारत और पाकिस्तान जैसे परमाणु संपन्न देशों के बीच तनाव को कम करने की कोशिश कर रहा था। यह सिर्फ पाकिस्तान की मदद नहीं है, बल्कि IMF द्वारा अमेरिका और राष्ट्रपति ट्रंप को खुली चुनौती देने जैसा है।”
रुबिन का यह बयान ऐसे वक्त आया है जब पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बेहद नाजुक दौर से गुजर रही है और वह चीन के आर्थिक प्रभाव में पूरी तरह झुक चुका है। उनके मुताबिक, ऐसे में अमेरिका और IMF को पाकिस्तान की सहायता पर पुनर्विचार करना चाहिए, न कि उसे आतंकवाद फैलाने और चीन के रणनीतिक हितों को साधने का अवसर देना चाहिए। रुबिन ने अपने हालिया लेख में कहा कि पाकिस्तान को "विश्व के सबसे भ्रष्ट देशों में से एक" माना जाता है और यह "आतंकवाद का प्रायोजक" है।
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