मोदी जी, भारत से आए मुहाजिरों की आखिरी उम्मीद आप, उन्हें बचा लो... पाक नेता की गुहार
पाकिस्तानी नेता अल्ताफ हुसैन ने पीएम मोदी की तारीफ की। साथ ही गुहार भी लगाई कि वे भारत से आए मुहाजिरों पर पाक सेना द्वारा किए जा रहे अत्याचार को रुकवाएं और उनके लिए काम करें।

पहलगाम आतंकी हमले और उसके जवाब में ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। इस बीच पाकिस्तान से निर्वासित नेता और मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट के संस्थापक अल्ताफ हुसैन ने अपने लाइव संबोधन में पीएम मोदी की तारीफ की है। हुसैन ने पीएम मोदी से अपील भी की कि पाकिस्तान में भारत से आए मुहाजिरों पर पाक सेना अत्याचार करती है। इन्हें आज भी पाकिस्तानी नहीं समझा जाता। उन्होंने पीएम मोदी से उन मुहाजिरों को बचाने की अपील की।
पीएम मोदी की तारीफ
सोशल मीडिया पर अल्ताफ ने कहा कि कुछ मीडिया चैनल्स ने उनके संबोधन को गलत समझा, उन्होंने पीएम मोदी को कोई चिट्ठी नहीं भेजी, बल्कि तारीफ की है और भावुक अपील भी। अल्ताफ के मुताबिक, पीएम मोदी का बलूच लोगों के प्रति नरम रुख साहसिक और नैतिकता दिखाता है। उन्होंने पाकिस्तान में भारत से गए मुहाजिरों पर हो रहे अत्याचार का भी जिक्र किया। अल्ताफ ने कहा कि पाकिस्तान की सैन्य व्यवस्था ने न केवल इन मुहाजिरों और उनकी आने वाली पीढ़ियों को पाकिस्तानी मानने से इनकार कर दिया है, बल्कि उनकी आवाज़ उठाने वाली पार्टी पर भी कई बार सैन्य कार्रवाई की है।
कौन हैं मुहाजिर
मुहाजिर वे लोग हैं जो भारत-पाक विभाजन के दौरान और उसके बाद भारत से पाकिस्तान गए थे, खासकर उत्तर भारतीय राज्यों से जाकर कराची, सिंध और पंजाब जैसे इलाकों में बसे। ये उर्दू भाषी लोग हैं और पाकिस्तान में अल्पसंख्यक बन गए। इन्होंने पाकिस्तान के शहरी क्षेत्रों खासकर कराची, लाहौर और सिंध में बसकर शिक्षा, व्यापार, प्रशासन आदि में अहम भूमिका निभाई है।
मुहाजिरों पर दशकों तक अत्याचार
उन्होंने आरोप लगाया कि पाक सेना की कार्रवाइयों में 25,000 से ज़्यादा मुहाजिर युवाओं की हत्या कर दी गई और हज़ारों को उनके माता-पिता के सामने से उठाकर ग़ायब कर दिया गया, जो आज तक लापता हैं। अल्ताफ हुसैन ने कहा कि पिछले 61 वर्षों से मुहाजिरों का शैक्षणिक, आर्थिक और शारीरिक शोषण किया जा रहा है और पाकिस्तान में उनकी आवाज़ सुनने वाला कोई नहीं है।
गौरतलब है कि विभाजन के समय लाखों लोगों ने अपना घर-बार छोड़कर एक नई ज़िंदगी की शुरुआत की थी। पाकिस्तान गए इन भारतीय मुसलमानों को उम्मीद थी कि उन्हें वहां सम्मान और बराबरी मिलेगी, लेकिन दशकों बाद भी वे अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं।
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