Portugal wont buy Lockheed Martin F35s that America wants to sell to India Trump is the reason भारत को जो विमान बेचना चाहता है अमेरिका, उसे इस देश ने खरीदने से किया इनकार; ट्रंप को बताया वजह, International Hindi News - Hindustan
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भारत को जो विमान बेचना चाहता है अमेरिका, उसे इस देश ने खरीदने से किया इनकार; ट्रंप को बताया वजह

  • एफ-35 को दुनिया का सबसे एडवांस पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान माना जाता है, जो अपनी स्टील्थ तकनीक, उन्नत सेंसर और हथियार क्षमता के लिए जाना जाता है।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, लिसबनSat, 15 March 2025 09:06 AM
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भारत को जो विमान बेचना चाहता है अमेरिका, उसे इस देश ने खरीदने से किया इनकार; ट्रंप को बताया वजह

अमेरिका ने हाल ही में भारत को अपने सबसे एडवांस लड़ाकू विमानों में से एक, एफ-35 स्टील्थ फाइटर जेट बेचने की पेशकश की है। यह प्रस्ताव अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वाशिंगटन में हुई मुलाकात के दौरान रखा था। ट्रंप ने इस डील को भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग का एक महत्वपूर्ण कदम बताया। हालांकि, इस बीच यूरोपीय देश पुर्तगाल ने इसी एफ-35 विमान को खरीदने से इनकार कर दिया है और इसके पीछे की वजह खुद डोनाल्ड ट्रंप को बताया है। इस घटनाक्रम ने अंतरराष्ट्रीय रक्षा क्षेत्र में एक नई बहस छेड़ दी है।

अमेरिका की भारत को पेशकश

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फरवरी 2025 में व्हाइट हाउस में पीएम मोदी के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था, "हम भारत के साथ अपनी सैन्य बिक्री को कई अरब डॉलर तक बढ़ाएंगे और भारत को एफ-35 स्टील्थ फाइटर जेट उपलब्ध कराने का रास्ता साफ कर रहे हैं।" एफ-35 को दुनिया का सबसे एडवांस पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान माना जाता है, जो अपनी स्टील्थ तकनीक, उन्नत सेंसर और हथियार क्षमता के लिए जाना जाता है। यह विमान रडार से बचने की क्षमता रखता है और दुश्मन के इलाके में चुपके से हमला करने में सक्षम है।

भारत के लिए यह प्रस्ताव इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारतीय वायु सेना अपने लड़ाकू विमानों के बेड़े को मजबूत करना चाहती है, खासकर तब जब चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देश अपनी वायु शक्ति को तेजी से बढ़ा रहे हैं। हालांकि, भारत ने अभी इस प्रस्ताव पर कोई औपचारिक फैसला नहीं लिया है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, "यह अभी सिर्फ एक प्रस्ताव है। इस दिशा में कोई औपचारिक प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है।"

पुर्तगाल का इनकार और ट्रंप पर ठीकरा

जहां एक तरफ अमेरिका भारत को यह हाई-टेक विमान बेचने की कोशिश कर रहा है, वहीं पुर्तगाल ने अमेरिकी रक्षा कंपनी लॉकहीड मार्टिन से F-35 लड़ाकू विमान खरीदने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। यह फैसला उस समय आया है जब देश की वायु सेना ने इन विमानों को खरीदने की हरी झंडी दे दी थी। लेकिन अब सरकार ने भू-राजनीतिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का निर्णय लिया है। इसमें अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों को वजह बताया जा रहा है।

पुर्तगाली मीडिया ‘पब्लिको’ के हवाले से ‘पॉलिटिको’ ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि देश के कार्यवाहक रक्षा मंत्री नूनो मेलो ने अमेरिका से F-35 खरीदने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, "हम अपनी पसंद में भू-राजनीतिक माहौल को नजरअंदाज नहीं कर सकते। हाल ही में अमेरिका की नाटो को लेकर स्थिति ने हमें इस पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया है, क्योंकि हमारे सहयोगियों की विश्वसनीयता एक अहम कारक है।”

मेलो ने आगे कहा कि "दुनिया बदल चुकी है, और हमारा यह सहयोगी (अमेरिका) विमानों के इस्तेमाल, रखरखाव, पुर्जों और अन्य परिचालन जरूरतों पर प्रतिबंध लगा सकता है। ऐसे में हमें कई विकल्पों पर विचार करना चाहिए, खासकर यूरोपीय उत्पादों के संदर्भ में।"

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ट्रंप के नाटो संबंधों पर बढ़ती चिंता

यह फैसला ऐसे समय आया है जब यूरोपीय देशों में ट्रंप के नाटो संबंधों को लेकर चिंता बढ़ रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पुर्तगाल को आशंका है कि ट्रंप सरकार कभी भी अमेरिकी F-35 विमानों के सॉफ्टवेयर अपडेट और आवश्यक स्पेयर पार्ट्स तक पहुंच को ब्लॉक कर सकती है, जिससे ये विमान पूरी तरह परिचालन योग्य नहीं रहेंगे।

यूरोपीय विकल्पों पर जोर

विशेषज्ञों का मानना है कि पुर्तगाल के इस फैसले से यूरोपीय देशों के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ाने की कोशिशों को बल मिलेगा। कई यूरोपीय देश अब अमेरिका के बजाय फ्रांस, जर्मनी और स्वीडन जैसे देशों के सैन्य उपकरणों पर अधिक भरोसा दिखा रहे हैं। पुर्तगाल नाटो का सदस्य देश है और पहले से ही अमेरिकी एफ-16 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि पुर्तगाल का यह फैसला ट्रंप के उस रवैये से प्रभावित हो सकता है, जिसमें वे हथियारों की बिक्री को व्यापारिक लाभ और दबाव के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। पुर्तगाल ने संकेत दिया है कि वह यूरोपीय देशों के साथ मिलकर स्वदेशी या वैकल्पिक रक्षा तकनीकों पर ध्यान देना चाहता है, बजाय इसके कि अमेरिकी निर्भरता बढ़ाए। हालांकि, पुर्तगाल का यह निर्णय अमेरिका-पुर्तगाल रक्षा सहयोग को कैसे प्रभावित करेगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन यह साफ है कि यूरोपीय देशों में अमेरिका की अनिश्चित विदेश नीति को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है।

भारत के सामने दुविधा

भारत के लिए एफ-35 का प्रस्ताव कई मायनों में आकर्षक है, लेकिन इसमें कई चुनौतियां भी हैं। एक तरफ, यह विमान भारतीय वायु सेना को तकनीकी बढ़त दे सकता है, खासकर तब जब पाकिस्तान चीन से जे-35 जैसे पांचवीं पीढ़ी के विमान खरीदने की योजना बना रहा है। दूसरी तरफ, भारत पहले से ही रूस के एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल करता है, जिसे अमेरिका अपने एफ-35 के लिए खतरा मानता है। अमेरिका ने तुर्की को इसी वजह से एफ-35 प्रोग्राम से बाहर कर दिया था। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अमेरिका भारत को यह विमान बेचने के लिए अपने

नियमों में ढील देगा?

इसके अलावा, भारत अपने स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान प्रोजेक्ट AMCA (एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) पर भी काम कर रहा है और रूस से सुखोई-57 का ऑफर भी मिला हुआ है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को इन सभी विकल्पों पर सावधानी से विचार करना होगा।

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