भारत के शुभांशु शुक्ला की स्पेस यात्रा में बाधा बनेगा मस्क-ट्रंप का झगड़ा? स्पेसक्राफ्ट बंद करने की धमकी
फिलहाल, Ax-4 मिशन की लॉन्च टाइमलाइन जस की तस बनी हुई है, लेकिन यह विवाद यह साफ दर्शाता है कि अंतरिक्ष विज्ञान और राजनीति के बीच टकराव अब और गहरा होता जा रहा है।

एलन मस्क और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई तीखी बयानबाजी ने वैश्विक स्तर पर अंतरिक्ष अभियानों को लेकर चिंता बढ़ा दी है। मस्क ने घोषणा की है कि उनकी कंपनी स्पेसएक्स अब ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट को तत्काल प्रभाव से बंद करने जा रही है। यह बयान उस समय आया जब ट्रंप ने मस्क के सरकारी कॉन्ट्रैक्ट्स को रद्द करने की धमकी दी थी। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या मस्क के फैसला का असर एक्सिओम स्पेस का मिशन पर भी पड़ेगा? यही वह मिशन है जिसके जरिए भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) ले जाया जाएगा।
पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब मस्क ने ट्रंप प्रशासन द्वारा पेश किए गए एक प्रमुख खर्च विधेयक की सार्वजनिक रूप से आलोचना करते हुए उसे एक यानी ‘घृणित’ कदम बताया। इसके जवाब में ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा कि एलन मस्क की सरकारी डील्स को खत्म कर देने से अमेरिका अरबों डॉलर बचा सकता है और पूछा कि यह कदम अब तक क्यों नहीं उठाया गया।
मस्क ने इस पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए एक्स पर लिखा, “राष्ट्रपति द्वारा मेरे सरकारी कॉन्ट्रैक्ट्स को रद्द करने की बात के बाद, स्पेसएक्स अब ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट को डिकमीशन करना शुरू करेगा।” यह स्पष्ट नहीं है कि मस्क की धमकी कितनी असरदार साबित होगी, लेकिन सरकारी कॉन्ट्रैक्ट्स की मदद से विकसित कैप्सूल, अंतरिक्ष स्टेशन के कामकाज को सुचारू रखने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट खासकर 'क्रू ड्रैगन' नासा के लिए बेहद अहम है, क्योंकि इसी से अंतरिक्ष यात्रियों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) तक भेजा जाता है। खास बात ये है कि इसी यान के जरिए भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला 10 जून को ISS की यात्रा पर जाने वाले हैं, जो एक्सिओम स्पेस के Ax-4 मिशन का हिस्सा हैं। यह मिशन पहले 29 मई को निर्धारित था लेकिन दो बार टल कर अब 10 जून की संभावित तारीख पर पहुंचा है।
मस्क की इस घोषणा से अंतरिक्ष जगत में खलबली मच गई। हालांकि बाद में मस्क ने राहत भरी खबर दी। मस्क के बयान के कुछ घंटों बाद, एक यूजर के सुझाव पर उन्होंने अपना फैसला वापस ले लिया और लिखा, “अच्छी सलाह थी। ठीक है, हम ड्रैगन को डिकमीशन नहीं करेंगे।” फिलहाल, Axiom Space की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है लेकिन मस्क के फैसले में नरमी आने के बाद Ax-4 मिशन फिलहाल अपने निर्धारित ट्रैक पर बना हुआ है।
अगर ड्रैगन यान को वाकई में बंद कर दिया जाता, तो इसका असर न सिर्फ Ax-4 जैसे वैज्ञानिक अभियानों पर पड़ता बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्पेस प्रोग्राम्स की रणनीतिक और वैज्ञानिक स्थिरता पर भी खतरा मंडराने लगता। इससे रूस का सोयुज यान ही एकमात्र विकल्प बचता, जिससे क्रू रोटेशन और अंतरराष्ट्रीय पहुंच में भारी कमी आती।
भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला भारत के दूसरे और ISS पर जाने वाले पहले अंतरिक्ष यात्री होंगे, इस मिशन के जरिए भारत-अमेरिका के अंतरिक्ष सहयोग में एक नया अध्याय जोड़ेंगे। मौजूदा समय में सभी क्रू मेंबर प्रोटोकॉल के तहत क्वारंटीन में हैं, और ड्रैगन यान भी केनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड पर पहुंच चुका है। इस पूरे विवाद के बीच नासा के एक अधिकारी ने प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि ट्रंप प्रशासन द्वारा प्रस्तावित बजट कटौती से वे जूझ रहे हैं और इससे निजी मिशनों के आकार में कटौती संभव है। लेकिन उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि Ax-4 मिशन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। फिलहाल, Ax-4 मिशन की लॉन्च टाइमलाइन जस की तस बनी हुई है, लेकिन यह विवाद यह साफ दर्शाता है कि अंतरिक्ष विज्ञान और राजनीति के बीच टकराव अब और गहरा होता जा रहा है।
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