'आरोपी को मुआवजा, पीड़िता की उपेक्षा', झारखंड सरकार पर क्यों भड़क गए बाबूलाल मरांडी
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने झारखंड सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने हाल ही में हुई एक घटना में पीड़िता की उपेक्षा की और आरोपी के परिवार को मुआवजा दिया। जेएमएम ने इसका जवाब भी दिया है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने झारखंड सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने हाल ही में हुई एक घटना में पीड़िता की उपेक्षा की और आरोपी के परिवार को मुआवजा दिया। बोकारो के कडरूखुट्ठा गांव में एक आदिवासी महिला से दुष्कर्म का प्रयास हुआ। इस मामले में ग्रामीणों ने आरोपी अब्दुल को पकड़कर उसकी पिटाई कर दी, जिससे उसकी मौत हो गई।
मरांडी ने आरोप लगाया है कि इस घटना के बाद सरकार ने आरोपी के परिवार को चार लाख मुआवजा, एक लाख सहायता राशि और सरकारी नौकरी की पेशकश की। उन्होंने कहा कि कानून को हाथ में लेना गलत है, लेकिन सरकार को पीड़िता के प्रति भी संवेदनशील होना चाहिए था। सरकार को निष्पक्षता से काम करना चाहिए और पीड़िता के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। राज्य में सभी नागरिकों के साथ समान व्यवहार होना चाहिए, चाहे उनका धर्म या समुदाय कोई भी हो।
स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी पर निशाना साधते हुए मरांडी ने कहा कि उन्होंने इस घटना को मॉब लिंचिंग का रूप देकर एक अलग दिशा में मोड़ने का प्रयास किया। ऐसी राजनीति से पीड़ित पक्ष की आवाज अनसुनी कर दी जाती है। इरफान ने कहा कि झारखंड की जनता ऐसी विभाजनकारी राजनीति से पूरी तरह परिचित है। बाबूलाल मरांडी जैसे नेता अब केवल अफवाहें फैलाने और नफरत की राजनीति करने में लगे हुए हैं। जनता को बरगलाने की उनकी कोशिश सफल नहीं होगी।
इरफान अंसारी ने बाबूलाल मरांडी के आरोपों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि बाबूलाल अब संवेदनशील मुद्दों को भी सांप्रदायिक रंग देने में जुट गए हैं। बोकारो की दुर्भाग्यपूर्ण घटना को लेकर मरांडी का बयान न केवल भ्रामक है, बल्कि मानवीय संवेदनाओं का भी अपमान है। इरफान ने कहा कि जब एक मां के आंसू पोछने के लिए सरकार ने सहानुभूति दिखाई, तो भाजपा ने उसे भी सांप्रदायिक नजरिए से देखना शुरू कर दिया। क्या संवेदनशीलता अब धर्म के आधार पर तय होगी? बाबूलाल जवाब दें। जब बरही में रूपेश पांडे की दर्दनाक हत्या हुई थी, तब बाबूलाल मरांडी मौन थे।