बाल विवाह एवं डायन प्रथा सामाजिक कुरीति एवं गंभीर अपराध
चाईबासा में विधिक सेवा प्राधिकार के निर्देश पर विधिक जागरूकता शिविर आयोजित किया गया। शिविर में ग्रामीणों को बाल विवाह और डायन प्रथा के खिलाफ जागरूक किया गया। इन प्रथाओं के स्वास्थ्य और शिक्षा पर...
चाईबासा। झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार रांची के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकार, पश्चिमी सिंहभूम के तत्वावधान में गुरुवार को तुईबीर पंचायत भवन में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन पीएलवी हेमराज निषाद एवं पीएलवी रत्ना चक्रवर्ती के द्वारा किया गया। जिसमें उपस्थित ग्रामीणों को कई महत्वपूर्ण कानूनी संबंधित बातों से अवगत कराया गया,ताकि वह अपने हक और अधिकार के प्रति जागरूक हो सके। जिसमें कहा गया कि बाल विवाह और डायन प्रथा दोनों ही समाज में गंभीर कुरीतियां हैं। जो बच्चों और महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करती हैं। बाल विवाह बच्चों को उनकी शिक्षा और विकास से वंचित करता है।
जबकि डायन प्रथा के कारण महिलाओं को उत्पीड़न और हिंसा का सामना करना पड़ता है। बाल विवाह एक ऐसी प्रथा है जिसमें बच्चों को उनकी उचित उम्र लड़कियों के लिए 18 वर्ष और लड़कों के लिए 21 वर्ष से पहले ही विवाह कर दिया जाता है। यह एक कानूनी और सामाजिक अपराध है जो बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और विकास को प्रभावित करता है। बाल विवाह के कारण लड़कियों की शादी की उम्र कम हो जाती है, जिससे उन्हें गर्भावस्था और प्रसव के दौरान जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है। दहेज प्रथा एक ऐसी प्रथा है जिसमें शादी के समय दुल्हन के परिवार को दूल्हे के परिवार को धन या संपत्ति देनी पड़ती है। यह प्रथा भी बाल विवाह को बढ़ावा देती है क्योंकि गरीब परिवार अपनी बेटियों की शादी कम उम्र में ही कर देते हैं ताकि दहेज का बोझ कम हो जाए। डायन प्रथा एक ऐसी कुप्रथा है जिसमें महिलाओं को डायन या चुड़ैल के रूप में देखा जाता है और उनके साथ उत्पीड़न और हिंसा की जाती है। डायन प्रथा किसी स्वार्थ से प्रेरित होता है उसके संपत्ति को हड़पने अपना वर्चस्व फैलाने के लिए इस तरह के अंधविश्वास को फैलाया जाता है। बाल विवाह और डायन प्रथा की रोकथाम के लिए समाज में जागरूकता पैदा करने और कानूनी प्रावधानों को लागू करने की आवश्यकता है। बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 जैसे कानून इस प्रथा को रोकने में मदद करते हैं. डायन प्रथा की रोकथाम के लिए डायन निषेध अधिनियम जैसे कानून बनाए गए हैं जो इस प्रथा को अपराध घोषित करते हैं। इसके अलावे बाल श्रम निषेध अधिनियम, साइबर क्राइम और श्रमिक निबंधन कार्ड के बारे में जानकारी दिया गया। 10 मई को होने वाले राष्ट्रीय लोक अदालत की जानकारी देते हुए इसका लाभ लेने के लिए कहा गया। पुलिस हेल्पलाइन नंबर 100 चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 एंबुलेंस हेल्पलाइन नंबर 108 अग्निशमन हेल्पलाइन नंबर 101 के बारे में जानकारी दिया गया। इस विधिक जागरूकता शिविर में तुईबीर पंचायत की मुखिया जोत्सना देवगम रोजगार सेवक मोहन दास सेविका मेमबत्ती बारी और अन्य लोग उपस्थित थे।
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