खजूर रविवार को विभिन्न गिरजाघर में प्रार्थना सभा का आयोजन
मधुपुर में रविवार को ईसाई धर्मावलंबियों ने खजूर रविवार का उत्सव पारंपरिक तरीके से मनाया। विभिन्न गिरजाघरों में विशेष प्रार्थना सभाएं आयोजित की गईं। खजूर रविवार, ईस्टर से एक सप्ताह पहले आता है और यह...

मधुपुर, प्रतिनिधि। मधुपुर शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में रविवार को ईसाई धर्मावलंबियों का महत्वपूर्ण उत्सव खजूर रविवार पारंपरिक ढंग से मनाया गया। पैंटकोस्टल होलीनेस चर्च भेड़वा, सीएनआई गिरजाघर कुंडू बंगला, संत कोलंबस गिरजाघर राजबाड़ी रोड़, संत जोसेफ चर्च आदि गिरजाघरों में विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। इसाई धर्मावलंबियों ने बताया कि खजूर रविवार ईस्टर से एक सप्ताह पहले आता है। यह दिन पवित्र सप्ताह की शुरुआत का प्रतीक है, जो यीशु मसीह के यरूशलेम में विजय के साथ प्रवेश की याद में मनाया जाता है। बाइबिल के अनुसार जब यीशु मसीह यरूशलेम में प्रवेश कर रहे थे, तब लोगों ने खजूर की शाखाएं लहराते हुए और अपने कपड़े रास्ते पर बिछाते हुए उनका स्वागत किया। वे चिल्ला रहे थे, होसन्ना, धन्य है वह जो प्रभु के नाम से आता है। यीशु का गधे पर सवार होकर आना उनकी विनम्रता और शांति का संदेश देता है।
खजूर रविवार की परंपराएं : सीएनआई गिरजाघर के सचिव संजय कुमार मुर्मू गुड्डू कहते हैं कि इस दिन चर्चों में विशेष प्रार्थना सभाएं आयोजित की जाती हैं, जहां खजूर की डालियों को आशीर्वाद देकर वितरित किया जाता है। पीएच गिरजाघर भेड़वा के पादरी विश्वनाथ यादव कहते हैं कि कई स्थानों पर जुलूस निकाले जाते हैं, जिसमें श्रद्धालु खजूर की डालियां लेकर यीशु के यरूशलेम में प्रवेश की घटना का पुनः प्रदर्शन करते हैं। कुछ लोग इन डालियों से क्रॉस बनाकर अपने घरों में सजाते हैं, जो आस्था और भक्ति का प्रतीक माने जाते हैं। पाम संडे केवल एक उत्सव नहीं है, बल्कि यह एक गहरा आध्यात्मिक संदेश भी प्रदान करता है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि सच्ची भक्ति परंपराओं में नहीं, बल्कि परमेश्वर के प्रति समर्पण और प्रेम में निहित होती है। यीशु का विनम्रता और बलिदान का मार्ग हमें प्रेरित करता है कि हम अपने जीवन में शांति, करुणा और सेवा को अपनाएं।
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